रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि अहंकार हटाइए, जीवन में विनम्रता लाइए। ठंड में हड्डियाँ अकड़ जाती हैं, तो घमंड में जिंदगी। ठंड से बचने के लिए अलाव जलाइए और घमंड से बचने के लिए जीवन में मिठास लाइए। अहंकार अगर हथौड़ा है, तो विनम्रता चाबी है। हथौड़े से ताला टूटता है, पर चाबी से ताला खुलता है। अहंकारी व्यक्ति जहाँ घरवालों के दिल से भी उतर जाता है वहीं विनम्र व्यक्ति पड़ोसियों के दिल में भी जगह बनाने में सफल हो जाता है। चाहे जाति हो या कुल, रूप-रंग हो या जमीन-जायजाद - इन सब का उपयोग कीजिए, अभिमान नहीं। जीवन का अंतिम सत्य तो यही है कि अंत में 6 फुट जमीन और 2 गज कफन का टुकड़ा नसीब हो जाए, तो समझ लेना आपने जीवन की बाजी जीत ली है।
संत प्रवर मंगलवार को श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के चौथे दिन नवकार मंत्र में उपाध्याय पद और आत्म विजय का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र का चौथा पद है उपाध्याय। जो हमें अध्ययन करवाते हैं, जीवन जीने का ज्ञान देते हैं उन्हें उपाध्याय कहते हैं। उपाध्याय पद की प्रेरणा है हम चार कषाय क्रोध, मान, माया, लोभ पर विजय पाने का प्रयास करें। मान का विवेचन करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक हम अकड़े रहेंगे, न तो हम ज्ञान हासिल कर पाएँगे और न ही औरों के समान बन पाएँगे। अंगुलियाँ जब तक अकड़ी रहती हैं तब तक छोटी-बड़ी रहती हैं और जैसे ही झुकती हैं तो सब समान हो जाती हैं। विनम्रता हमारे घर को स्वर्ग बना सकती है। रिश्ते खराब होने की वजह यही है कि लोग टूटना पसंद करते हैं, पर झुकना पसंद नहीं करते।
रंग-रूप और सौन्दर्य का अहंकार मत करों-संतश्री ने कहा कि अपने रंग-रूप और सौन्दर्य का अहंकार मत कीजिए। आप कितने भी गोरे क्यों न हों, पर जीवन भर आपकी छाया और मरने के बाद आपकी राख काली ही होगी। अपने धन का अहंकार मत कीजिए। कुदरत ने मेरे और आप जैसे कइयों को इसी मिट्टी से बनाकर इसी में पलीत किया है। कुदरत की व्यवस्था जबरदस्त है। यह देती है तो छप्पर फाड़कर देती है, पर जब लेती है, तो थप्पड़ मारकर छीन लेती है। उन्होंने कहा कि पत्थर समझकर किसी को मत ठुकराइए क्योंकि वही पत्थर एक दिन मंदिर में भगवान की मूर्ति बनकर पूजा जा सकता हैय और किसी चाय वाले को चायवाला समझकर अपमान मत कीजिए, वही चायवाला कभी देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।
उन्होंने कहा कि स्वयं को अहंकार मुक्त रखने के लिए जीवन में झुकने की आदत रखिये। अंगुलियाँ जब तक सीधी होती हैं तब तक ऊँची-नीची रहती हैं लेकिन जैसे ही सारी अंगुलियाँ हथेली की तरफ झुकती हैं तो सब एक साइज की हो जाती हैं। प्रवचन में संतप्रवर ने श्रीपाल रास से जुड़े घटनाक्रम का भी विवेचन किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को ओम रीं श्रीं श्री नमो उवज्झायाणं मंत्र का सामूहिक जाप करवाया। इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने अज्ञान का नाश करने के लिए और सम्यक ज्ञान के उदय के लिए उपाध्याय पद का ध्यान करवाया।