श्रवण कुमार की मां बनना चाहती हैं तो पहले पति को श्रवण कुमार बनाएं
रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि हम राम, कृष्ण, महावीर या मोहम्मद की तरह महान इंसान बन पाएँ तो अच्छी बात है, पर कम से कम श्रवणकुमार जैसी अच्छी संतान तो अवश्य बन जाएँ। जो महिलाएँ चाहती हैं कि उनके घर में श्रवणकुमार जैसी संतान का जन्म हो, वे पहले अपने पति को श्रवणकुमार बनाएँ। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर ईश्वर का उपकार सौ गुना, गुरु का उपकार हजार गुना, पिता का उपकार दस हजार गुना, पर माँ का उपकार लाख गुना हुआ करता है। इससे बढ़कर माँ का हमारे ऊपर क्या उपकार हो सकता है कि उसने गर्भपात के इस युग में भी हमको जन्म दिया।
संत प्रवर रविवार को गुढ़ियारी जैन श्री संघ एवं सकल समाज द्वारा मारुति मंगलम में आयोजित प्रवचन तीन दिवसीय प्रवचन माला के समापन पर हजारों श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। संतप्रवर ने कहा कि
पत्नी आपकी पसंद है, पर माता-पिता आपके पुण्य हैं। कहीं ऐसा न हो कि हम पसंद के चक्कर में पुण्य से हाथ धो बैठें। बहनों को चाहिए कि वे कभी भी माँ से बेटे को जुदा करने का पाप न करें। अगर आपने ऐसा किया तो आपका भाई भी एक दिन आपकी माँ से अलग हो जाएगा। माँ द्वारा किए गए उपकारों का विवेचन करते हुए राष्ट्र-संत ने कहा कि माँ द्वारा भयंकर दर्द सहन करके हमें जन्म देना, अपने आँचल का दूध पिलाना, हजारों बार हमारे टॉयलेट बाथरूम साफ करना, हमारे सारे नखरों को पूरा करना, बुखार में रात भर जग कर बाम की मालिश करना जैसे अनंत उपकार माँ ने हम पर किए हैं। माँ तूने तीर्थंकरों को जन्मा है, यह संसार तेरे ही दम से बना है। तू ही पूजा मन्नत है मेरी, तेरे ही चरणों में जन्नत है मेरी।
माता-पिता के उपकारों को चुकाने के लिए राष्ट्र-संत ने कहा कि अपने दिन की शुरुआत माता-पिता के चरण छूकर के करें। जो सुबह-सुबह माता- पिता के आशीर्वाद ले लेता है उसके सारे ग्रह अनुकूल रहते हैं। ब्रह्मांड की सारी शक्तियाँ उसे आगे बढऩे में मदद करती है। हम कभी भी माँ की उपेक्षा या अनादर न करें। माँ या बहन के नाम की गाली न निकालें, 24 घंटे में से एक बार माँ को एक कौर ही सही अपने हाथों से रोटी जरूर खिलाएँ, अगर आप दूर रहते हैं तो दिन में एक बार माँ को फोन जरूर करें, प्रति माह अपनी कमाई का एक हिस्सा माता-पिता के चरणों में समर्पित करें, वर्ष में एक बार उन्हें तीर्थ यात्रा के लिए ले जाएँ और उनके प्रति अतीत में हो चुकी गलतियों के लिए सरल हृदय से क्षमा मांगें। याद रखें, ईश्वर सब जगह तो पहुँच नहीं सकता, पर माता-पिता के रूप में वह हमारे घर में विराजमान रहता है। जो माता पिता की सेवा और भक्ति कर लेता है उसे ईश्वर की सेवा करने का सौभाग्य घर बैठे प्राप्त हो जाता है।
इससे पूर्व डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने कहा कि
हर सुबह की शुरुआत मुस्कुराते हुए करें। अगर हम मुर्दे मन के साथ सुबह की शुरुआत करेंगे तो पूरा दिन बेकार चला जाएगा। हम सुबह उठकर यह तो देखते हैं कि मोबाइल चार्ज है या नहीं, पर यह नहीं देखते कि जिंदगी चार्ज है या नहीं। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आना पार्ट ऑफ लाइफ है, पर उसका मुस्कुराते हुए स्वागत करना ही आर्ट ऑफ लाइफ है। आखिर, दूध फटने पर वे ही लोग उदास होते हैं जिन्हें रसगुल्ले बनाने नहीं आते हैं। उदास लोगों पर व्यंग करते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर गधा मुस्कुराता हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए कि वह इंसान बनने वाला है, पर अगर इंसान मुरझाया हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए कि...?