छत्तीसगढ़

शांति चाहते हो तो खुद को बदलो, दुनिया को नहीं

Nilmani Pal
7 Oct 2022 2:57 AM GMT
शांति चाहते हो तो खुद को बदलो, दुनिया को नहीं
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रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि संकल्प लें कि हम चंदन की भाँति बनेंगे, कोई घिसेगा तो भी महकेंगे और कोई सिर पर चढ़ाएगा तो उसे भी सुवासित करेंगे। याद रखें, घिसा हुआ चंदन प्रभु चरणों में स्थान पाता है जबकि बगैर घिसा चंदन दाह-संस्कार में काम आता है। आपको भले ही कोई दुख दे, पर आप सदा औरों को सुख देने का प्रयास कीजिए। वृक्ष स्वयं धूप सहन करता है, पर औरों को तो छाया ही देता है। उन्होंने कहा कि शांति चाहते हों तो खुद को बदलो पूरी दुनिया को नहीं। सड़क के कंकरों से बचने के लिए सारी सड़क पर कारपेट बिछाने की जरूरत नहीं है, चप्पल पहनना ही काफी है।

संत प्रवर गुरुवार को श्री ऋषभदेव जैन मंदिर ट्रस्ट द्वारा एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में नवपद ओली पर आयोजित विशेष प्रवचन माला के छठे दिन नवकार मंत्र में दर्शन पद और अंतर्दृष्टि को निर्मल बनाने का रहस्य विषय पर श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नवपदऔली का छट्ठा पद है दर्शन। जो हमें दृष्टि को बेहतर रखने और सबमें अच्छाइयां देखने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि दूसरे की भूलें देखने के लिए दूरबीन का उपयोग करने की बजाय अपनी भूलों को देखने के लिए दर्पण का उपयोग कीजिए। हम जिससे प्रेम करते हैं उसकी हर बात ध्यान से सुनते हैं, उसका हर काम अच्छ लगता है, सुंदर लगता है, क्यों न हम सबसे प्रेम करें ताकि सबकी बातें अच्छी और सुंदर लगे। उन्होंने कहा कि खाली दिमाग शैतान का घर है वहीं खुला दिमाग भगवान का। अपने दिमाग को खाली नहीं, खुला रखिए। अगर कोई मित्र आपका अपमान कर दे तो उसे मिट्टी पर लिखिए ताकि थोड़े समय बाद मिट जाए, पर कोई मित्र बुरे वक्त में काम आ जाए तो उसे पत्थर में अंकित कीजिए ताकि हर समय आपको याद रहे।

उन्होंने कहा कि धनी बनने के साथ ज्ञानी बनने का भी प्रयास कीजिए। धन की हमें रक्षा करनी पड़ती है, जबकि ज्ञान हमारी रक्षा करता है। प्रवचन में संतप्रवर ने श्रीपाल रास से जुड़े घटनाक्रम का भी विवेचन किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को ओम रीं श्रीं श्री नमो दंसणस्स मंत्र का सामूहिक जाप करवाया। इस अवसर पर मुनि शांतिप्रिय सागर जी ने अंतर्दृष्टि को निर्मल बनाने के लिए सम्यक दर्शन पद का ध्यान करवाया।

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