रायपुर। राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि ने कहा कि जुबान में शुगर फैक्ट्री खोलें। टेढ़ी जुबान से जहां नजदीकियां भी खत्म हो जाती है वहीं मीठी जुबान से बनी हुई दूरियां दूर हो जाती है। मीठा बोलेंगे तो लोगों के दिलों में उतरेंगे और कड़वा बोलेंगे तो लोगों के दिलों से उतर जाएंगे। अगर पूरा देश मीठी भाषा को अपना ले तो पूरी दुनिया भारत की लटï्टू हो जाएगी। शब्दों में बड़ी जान होती है, इसी से आरती अरदास और अजान होती है, ये समंदर के वे मोती हैं जिनसे अच्छे आदमी की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि जब भी मुसीबत आती है तो मुंह के रास्ते आती है। महाभारत का युद्ध भी कड़वी जुबान के कारण हुआ था। अगर व्यक्ति विपरीत वातावरण में अपनी जुबान पर केवल 2 मिनट का धैर्य व शांति धारण कर ले तो वह 90 प्रतिशत माथाफोडिय़ों से स्वत: ही बच जाएगा।
संतप्रवर बुधवार को कालीबाड़ी स्थित हनुमान नगर के हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित प्रवचन के दौरान श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी भाषा में 3 गुण होने चाहिए शिष्ट अर्थात शिष्टाचार युक्त, मिष्ट अर्थात मीठी और इष्ट अर्थात प्रिय। अगर व्यक्ति भाषा में ये 3 गुण ले आए तो वह लोगों के दिलों में सदा राज करेगा। उन्होंने कहा कि केवल मीठा खाओगे तो बीमार पड़ोगे पर मीठा बोलना शुरू कर दोगे तो सदाबहार स्वस्थ और प्रसन्न रहोगे, यह दुनिया आप पर फिदा हो जाएगी।
संतप्रवर ने दिमाग में आइस फैक्ट्री खोलने की प्रेरणा देते हुए कहा कि हमने कमरों में तो ऐसी लगा लिया है पर दिमाग अभी भी हीटर जैसा बना हुआ है। अगर व्यक्ति केवल एक बार गुस्सा करता है तो उसकी 24 घंटे की एनर्जी खत्म हो जाती है। गुस्सा हंसी की हत्या करता है और खुशी को खत्म कर देता है। अगर हम गुस्सा करेंगे तो घर वाले भी हमें पसंद नहीं करेंगे और मुस्कान से जिएंगे तो पड़ोसी भी हमें पसंद करना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि खुद को बार-बार समझाएं हे जीव अब तो शांत रह, कब तक गुस्सा करके अपने इस जन्म को और आने वाले जन्म को बिगाड़ता रहेगा। व्यक्ति अपनी सहनशक्ति बढ़ाएं, सहनशीलता बढ़ाएं तभी वह इस दुनिया में सुख और शांति से जी पाएगा। अगर कभी बड़े डांट लगा ले तो बुरा न माने यह सोच कर कि बड़े नहीं डांटेेंगे तो कौन डांटेगा और अगर छोटों से गलती हो जाए तो हमें यह सोचकर गुस्सा नहीं करना चाहिए कि छोटो से गलती नहीं होगी तो किससे होगी। अगर व्यक्ति माफी मांगना और माफ करना सीख जाए तो यह धरती जन्नत बन जाए।
दिल में लव फैक्ट्री खोलने की नसीहत देते हुए संत प्रवर ने कहा कि आप केवल घरवालों से ही प्रेम न करें वरन सब से प्रेम करें। जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है उनसे विशेष प्रेम करें। अपनी बेटी की शादी में एक करोड़ का खर्चा करने की बजाय 90 लाख का खर्चा करें और बचे हुए 10 लाख से 10 गरीब बेटियों की शादी करवाएं तो वह बेटियां आपको सदा भगवान तुल्य मानकर सम्मान देगी। उन्होंने कहा कि दीपावली पर स्टाफ को केवल सामान ही न दें वरन् उसे गले लगाकर सम्मान भी दें, केवल अपने बेटे को ही न पढ़ाएं वरन गरीब पड़ोसी के बेटे को पढ़ा कर उसे भी पांवों पर खड़ा करने का सौभाग्य लें। प्रवचन के पहले शांतिप्रिय सागर जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया।