छत्तीसगढ़

हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र नहीं बनाओगे तो क्या पाकिस्तान बनाओगे, रायपुर में बोले पंडित खिलेंद्र दुबे

Nilmani Pal
22 Feb 2023 11:34 AM GMT
हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र नहीं बनाओगे तो क्या पाकिस्तान बनाओगे, रायपुर में बोले पंडित खिलेंद्र दुबे
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रायपुर। पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहा कि हिन्दुस्तान को हिन्दू राष्ट्र नहीं बनाओगे तो क्या पाकिस्तान बनाओगे। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दो भाई है और एक भाई ने अपना अधिकार ले लिया तो क्या दूसरे भाई का अधिकार उस हिस्से में बनता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के फोटो में जिन्ना है उन्होंने एक प्रकार पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल पर कहा कि था आप जो मुलक बना रहे है उसका मूलक को क्या कहें तब उन्होंने कहा कि था उस मुल्क को हिन्दुस्तान कहेंगे और इस मूलक को पाकिस्तान कहेंगे। उसी समय से तो हिन्दुतान है ही। कई संत और महात्मा हिन्दु राष्ट्र की मांग कर रहे हैं मैं उसका समर्थन करता हूं और उनके साथ हमेशा खड़ा रहूंगा। हिन्दु का कोई अस्तित्व नहीं होता हिन्दुस्तान में रहने वाला हर मानव हिन्दु है। इस दुनिया में दक्षिणा लेने वाले बहुत है, लेकिन एक 26 साल के बालक बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने प्रवचन के माध्यम से हिन्दुओं में जनजागरण फैला दिया है। मैं उस बालक के साथ हमेशा खड़ा हंू। खमतराई के दोना पत्तल फेक्टरी बम्हदाई पारा में चल रह श्री शिव महापुराण कथा व महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक के आठवें दिन पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहीं। कथा श्रवण करने के बाद आज पार्षद गोदावरी गज्जू साहू के साथ अहमदाबाद से भी श्रद्धालुगण पहुंचे।

श्रद्धालुओं को पंडित खिलेंद्र दुबे ने बताया कि जिसके डमरु की आवाज से विश्व प्रचण्ड बन जाता है, जिसके पलक झपकते ही प्रलय आ जाता है ऐसे भगवान शिव शंकर को नमन। बाना सुर एक ऐसा भक्त था जो एक हजार हाथों के साथ नगाड़ा बजाते थे और भगवान शंकर की स्तुति करते थे ऊँ नम: शिवाय का। भगवान शंकर प्रसंन्न हो गए और बाना सुर ने उनसे वरदान मांगा कि वह उनके पिता बन जाए, लेकिन भगवान शंकर ने उन्हें पुत्र नहीं बनाया लेकिन इतना कहा कि पिता और पुत्र का युद्ध होता ही नहीं है। भगवान की कथा बोलना ही सबसे बड़ा आराम है और खाली रहना मनुष्यों का काम नहीं है। वाट्सअप, फेसबुक, इस्ट्राग्राम में दोस्ती करना अच्छी बात है लेकिन अगर इनसे दोस्ती बनाए रखना है तो अच्छा व्यवहार करना पड़ता है अगर व्यवहार गलत हुआ तो दोस्ती टुटने में समय नहीं लगता। दुनिया में भगवान की भक्ति करना भी अच्छा है लेकिन भक्ति नि:स्वार्थ होना चाहिए और बाना सुर ने युद्ध की गलती की और उसे भगवान ने वरदान दिया कि कोई न कोई तुम से जरुर युद्ध करेगा और बाना सुर ने युद्ध किससे किया अपनी ही बेटी ऊषा से। भगवान शिव राक्षस को भी अपने शरण में लेते हैं और बाना सुर भी एक राक्षस था जिसे भगवान शिव ने अपने शरण में लिया।

उन्होंने कहा कि जिस धरती में हम बैठे है उसे धन्यवाद कहना चाहिए क्योंकि हमने भारत देश में जन्म लिया है जिसे पूरा विश्व भारत माता कहते है और हम जिस राज्य में रहते है उसे छत्तीसगढ़ महतारी कहते है। छत्तीसगढ़ में कहीं हीरा का खदान है तो इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। जो शरीर हमें भगवान ने दिया है उसके लिए हमें भगवान शिव की पूजा जरुर करना चाहिए। हम जन्म लेते है तो उसकी की कृपा से और मृत्यु जब होता है तो हमें शमशान घाट जाना पड़ता है और शमशान घाट में भगवान शिव का वास होता है। इस शरीर के साथ कोई रहे चाहे नहीं रहे लेकिन भगवान शिव हमेशा रहते है और यह माटी का चोला है। शरीर आपका एक मंदिर है और इसके लिए पूजारी जरुर मिलेगा, इसके लिए इंतजार करना पड़ता है।

पंडित दुबे ने कहा कि श्रेष्ठ भक्त वही जो भगवान के चरण पर अपना ध्यान अर्पण करें। भगवान शंकर में अगर कुशा का जल रोज अर्पण किया जाए तो आपकी एकाग्रता भंग नहीं होगी। कुशा भगवान शिव का साक्षात रोम है, कुशा को चढ़ाने से पहले उसे एक बाल्टी पानी में डूबाकर रखने के बाद भगवान शिव में उस जल को चढ़ाना चाहिए। अगर हो सके तो पंडित जी से रुद्राभिषेक कराओ उसे कहते हैं कुशावर जल। भगवान शिव ने बेटियों को इसलिए बनाया होगा कि वह कह सकें भगवान भोले - शंकर नहा लो। एक घटना का जिक्र करते हुए पंडित दुबे ने कहा कि एक छोटी की गुडिया बाल्टी में जल भरकर भगवान शिव में चढ़ाने जा रही थी, तभी उन्होंने उसे रोककर पूछा कि बाल्टी को उठा देता हूं, उस बालिका ने मना कर दिया और जैसे-तैसे बाल्टी में जल लेकर मंदिर पहुंची और भगवान शिव में जल अर्पित करते हुए कह रही थी नहा लो मेरे शिव नहा लो मेरे शंभू। भगवान शिव में जल चढ़ाओ तो पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ाओ, चाहे तुम ऊँ नम: शिवाय बोलो, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं बोलो या नहा लो शंभू शंकर बोलो भगवान शिव उसे स्वीकारते जरुर है। भगवान शिव के 500 से अधिक रुप है और 8 प्रकार की मूर्ति होती है। भगवान शिव ने 11 प्रकार रुद्र बनाया है। अभी तक 28 व्यास जी ने अपने-अपने अनुसार कथाओं की रचना की है।

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