मरहम लगा सको तो किसी गरीब के ज़ख्मों पर लगा देना, हकीम बहुत हैं अमीरों के खातिर
पिछले दिनों विश्व खाद्य दिवस मनाया गया। लेकिन दुनिया भर में भूखे पेट सोने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। भारत में ही रोजाना लगभग 20 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। यानी छत्तीसगढ़ जैसे 6-7 प्रदेश की जनसँख्या के बराबर लोग रोजाना भूखे सोते हैं। गलोबल हैंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक भुखमरी में हम अपने पडोसी देश नेपाल,पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार से भी पीछे हैं। हालांकि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को जल्दबाजी में दिया गया बताकर इस पर हैरानी जताई है। साथ ही इस रिपोर्ट को जमीनी वास्तविक्ता से परे और अवैज्ञानिक बताया है। अब सवाल ये उठता है कि यदि रिपोर्ट जल्दबाजी में बनी है और वास्तविकता नहीं है तो सरकार को यह भी बताना चाहिए की जमीनी हकीकत क्या है? वास्तविकता क्या है? क्या भारत में भुखमरी नहीं है? अगर नहीं है तो उक्त रिपोर्ट का पुरजोर खंडन करना चाहिए क्योकि अभी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। और अगर हमारे देश में भुखमरी है तो उन लोगों के अच्छे दिन कब आएंगे उन्हें भरपेट खाना कब से मिलना प्रारम्भ होगा? खुद को उभरती हुई आर्थिक शक्ति मानकर खुद की पीठ थपथपाने वाली सरकार के लिए यह खबर ठीक नहीं है। दुनिया में भुखमरी के शिकार जितने लोग हैं,उनमें से एक चौथाई लोग सिर्फ भारत रहते हैं। यह रिपोर्ट हमारे देश के लिए शर्मनाक तो है ही, सरकार के उन तमाम दावों को भी नकार देती है, जो विकास का दावा करते हैं। उल्लेखनीय है कि इस समय दुनियाभर में 80 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिन्हें दो जून की रोटी नहीं मिल पाती है। इन 80 करोड़ में से लगभग 40 करोड़ लोग भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में हैं। यानी दुनिया में जितने भूखे हैं, उसका आधा भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में हैं। जब इन देशों में खाद्यान्नों के अतिरिक्त भण्डार भी भरे पड़े हैं, तो फिर आम लोग भूख से क्यों मरते हैं? अन्न वितरण व्यवस्था में कहां कमी है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? भारत में लगभग 20 करोड़ गरीब जनता भूखी सोती है, फिर भी हम इस खुशफहमी में जी रहे हैं कि भारत कृषि प्रधान देश है। जो सबका पेट भरता है उन किसानो को अपनी मांगो के लिए धरना प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है उसके बावजुद उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। पिछले एक साल से धरने पर बैठे कई किसान धरना स्थल पर ही परलोक गमन कर चुके हैं। जो बच गए हैं उन पर वाहन से रौंद कर मारा जा रहा है। ऐसा कब तक चलेगा । सरकार को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ किसानो और अपने उन नागरिको के लिए कार्य करना होगा जो भूखे सोने मजबूर हैं। देश में भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है वहीं सरकारी लापरवाही के चलते लाखों टन अनाज बारिश के बाद हो रही लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। देखा यह भी जा रहा है कि हाल ही में इतना अनाज सड़ चुका है कि उससे साल भर करोड़ों भूखों का पेट भर सकता था। विडम्बना है कि पेट भरने की जद्दोजहद में गरीब दम तक तोड़ देते हैं, जबकि सरकार के पास अनाज रखने को जगह नहीं है। अनाज पर आत्मनिर्भरता का दावा करने वाला हमारा देश अनाज भंडारण के कुप्रबंधन की मार झेल रहा है। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि सब कुछ है देश में रोटी नहीं तो क्या, वादा लपेट लो लंगोटी नहीं तो।
हमर कका हवय नंबर वन
ताजा राजनीतिक घटनाक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश कका देश भर में नंबर 1 बन गए है। मुख्यमंत्री बघेल को आईएएनएस और सी वोटर्स ने अपने गोपनीय सर्वे रिपोर्ट में सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का ताज पहनाकर नवाजा है। अपने त्वरित और ठोस निर्णय से प्रदेश के विकास की रफ्तार देने और जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कामकाज के मामले में सबसे आगे है। आइएएनएस-सी वोटर के सर्वे में भूपेश बघेल सभी मुख्यमंत्रियों के बीच सर्वोच्च लोकप्रियता रेटिंग प्राप्त की है। राजकाज को लेकर मुख्यमंत्री को लोगों ने पसंद किया है, जिनमें निर्णय लेने की क्षमताएं हैं और जिनके काम करने की शैली मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैसी है। नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार, एसडीजी के लैंगिक समानता पैरामीटर पर छत्तीसगढ़ देश में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य है। जनता में खुसुर-फुसर है कि कका ह दीनदयाल आडिटोरियम में जौन बात ल कहे रहिस वो ह एकदम सच साबित होवत हवय। काबर कि कका अभी जिंदा हवय।
भाजपाइयों को सीएम ने नहीं दिया आग में घी डालने का मौका
लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के बाद गरमाई राजनीति को हवा देने में छत्तीसगढ़ के भाजपाई भी पीछे नहीं है। कवर्धा में तनाव खत्म करने के बाद पत्थलगांव में पुलिस से बचकर भागने के चक्कर में गांजा तस्करों का वाहन विसर्जन जुलूस में घुस गया और लोगों को कुचलते हुए निकल गया। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। भाजपाई पत्थलगांव की घटना को साम्प्रदायिक रंग देते या हो हल्ला करते उसके पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मृतक के परिजनों को 50 लाख देने की घोषणा कर भाजपाइयों का मुंह बंद कर दिया। त्वरित निर्णय लेकर सीएम ने संवेदनशीलता का परिचय देेने के साथ घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए है। वहीं अब तस्करों का कारिडोर बने छत्तीसगढ़ में सीमावर्ती राज्यों के बार्डर में चेकिंग बेरियर लगाकर सभी वाहनों की चेकिंग सख्ती से करने के आदेश दिए है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि मुख्यमंत्री ने सूझबूझ का परिचय देते हुए भाजपाइयों के नाक में नकेल कस दी है। वो अब छत्तीसगढ़ की तुलना यूपी से करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
प्रधानमंत्री का अप्प दीपो भव मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुशी नगर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन करने से पहले बौद्ध मंदिर भी गए। वहां उन्होंने भगवान बुद्ध के संदेश अप्प दीपो भव संदेश को लोगों तक पहुंचाया, अप्प दीपो भव संदेश यानी अपने दीपक स्वयं बनो, जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है, तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। यहीं भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सचमुच भगवान बुद्ध के संदेशों को अंगीकार कर रहे है। दोनों स्वयं दीपक बनकर प्रकाशित तो हो रहे, लेकिन उनका प्रकाश यूपी और गुजरात और जिस राज्य में चुनाव हो रहा है वहीं तक ही फैल रहा है। शेष राज्यों में तो दीयातले अंधेरा है, जहां प्रकाश पहुंच ही नहीं पा रहा है।
यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
लखीमपुर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें लगता है कि आप अपनी जिम्मेदारी से बच रहे है। ऐसा न करें। कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह इस मामले में बाकी गवाहों की बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराएं। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि 44 गवाहों में से 4 के बयान दर्ज कर लिए है। जस्टिस रमन्ना ने यूपी सरकार से पूछा कि आपने 4 लोगों की गवाही ली बाकी की क्यों नहीं। आपको एक दिन पहले फाइल करनी चाहिए हम इंतजार करते रहे कि कुछ मटेरियल मिले। आखिरी क्षणों में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की गई। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यूपी सरकार को फटकार खाने की आदत हो गई है। इसलिए संगीन मामले में भी सुप्रीम कोर्ट को तहसीली मान कर लेटलतीफी करने से चूकते नहीं है। अब अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को है देखते है इसमें यूपी सरकार क्या तैयारी करती है।
भाजपाइयों दर्द दूर करने भूपेश की जेनरिक दवाई
इलाज भले ही मंहगा हो लेकिन देश के मुख्यमंत्री नंबर वन ने हाल ही में जेनरिक दवाइयों की एक साथ पूरे प्रदेश में 84 मेडिकल स्टोर्स खोलकर जनता की पीड़ा कम करने और मंहगे इलाज में सस्ती दवाई देकर राहत पहुंचाने का प्रयास किया है जिसकी पूरा प्रदेश के साथ देश में भी सराहना हो रही है। वहीं जब से भूपेश सीएम नंबर वन बने है तब से भाजपाइयों के दिल का दर्द बढ़ गया है। रोज अनाप-शनाप बयान जारी कर दिल को हल्का करने प्रयास कर रहे है। जनता का कहना है कि जेनरिक दवाई क्यों नहीं लेते भाजपाई ? भाजपा नेताओं का दर्द भूपेश के नंबर वन मुख्यमंत्री बनते ही छलक पड़ा है। आईएएनएस और सीवोटर्स ने देश भर में सर्वे किया उसे प्रायोजित बता रहे है। सनद रहे कि भाजपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमनसिंह को दूसरे और तीसरे कार्यकाल में देश का नंबर वन मुख्यमंत्री घोषित किया गया था। क्या डॉ. साहब भी ऐसे ही बन गए थे।
10 साल तक डा. रमनसिंह के सिर पर नंबर वन का ताज रहा था। जनता में खुसुर-फुसर है कि क्या भाजपा शासन काल में जो ताज डा. रमनसिंह के सिर पर सजा था, वह भी प्रायोजित था या यू ही भाजपाइयों ने अपना उल्लू सीधा करने जबरदस्ती रमनसिंह के सिर पर ताज मढ़वा दिया था। क्या नंबर वन बनने के लिए राजनेताओं को प्रयोजनों की जरूरत पड़ती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क के लिए जाकिर घुरसेना और कैलाश यादव