छत्तीसगढ़

इच्छा शक्ति अगर बड़ी हो तो आसमान भी छोटा लगने लगता है

Nilmani Pal
22 April 2022 5:19 AM GMT
इच्छा शक्ति अगर बड़ी हो तो आसमान भी छोटा लगने लगता है
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राजभाषा को देश की एकता का एक महत्वपूर्ण अंग बनाने का समय आ गया है। जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के लोग आपस में संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए, न कि अंग्रेजी में। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए बिलकुल सही बात है लेकिन अब सवाल उठता है कि सरकारी कामकाज भी अभी अंग्रेजी में ही होते हैं। और तो और बैंक वाले हिंदी और अंग्रेजी में यदि विज्ञापन देते हैं तो विज्ञापन के नीचे स्पष्ट लिख देते हैं कि किसी भी प्रकार की विवाद की स्थिति में अंग्रेजी का विज्ञापन ही मान्य होगा ये कैसा विरोधाभास है। सभी केंद्रीय दफ्तरों में हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है जबकि अंग्रेजी पखवाड़ा मनाना चाहिए। और कामकाज की भाषा हिन्दी होना चाहिए यानी इच्छा शक्ति की कमी सभी में है।

यूपीएससी और पीएससी की परीक्षाएं भी हिंदी मीडियम में शुरू की जाने चाहिए। जिस तरह से ये केंद्र में ध्रुवीकरण के सहारे सत्ता हासिल किये बैठे हैं उसी प्रकार दक्षिण प्रान्त में भी हिन्दी भाषा के विरोध के कारण ही उनको सत्ता मिली है। गृह मंत्री अमित शाह का हिंदी को लेकर दिया गया सुझाव विपक्षी नेताओं को पसंद नहीं आया। उन्होंने इसे भारत के बहुलवाद पर हमला बताया और कहा कि वे हिंदी साम्राज्यवाद को लागू करने के कदम को विफल कर देंगे। जैसा कि भाजपाई हर एक काम को जिहाद बताते है उसी प्रकार हिंदी विरोधी इसे भाजपा का सांस्कृतिक जिहाद और सांस्कृतिक आतंकवाद बताने से भी नहीं चूक रहे है। एक नेता ने ट्वीट किया कि हिंदी राजभाषा है, न कि राष्ट्रभाषा। भाजपा शाषित कर्नाटक में ही देखा जाये तो वहां के नेता कन्नड़ के सामने हिंदी को चलने नहीं देते और वहां के नेता कहते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और हम इसे कभी नहीं होने देंगे। सबसे पहले भाजपा को अपने शाषित प्रदेशों में हिंदी लागू करना चाहिए लेकिन ऐसा वे नहीं करेंगे क्योकि इस कदम से सत्ता जाने का खतरा मोल लेना पड़ेगा। भारत अनेक भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है तथा हमें उनका आदर करना चाहिए, लेकिन पूरे देश में एक ऐसी भाषा का होना बेहद जरूरी है, हिंदी भारतीयों की मातृभाषा होनी ही चाहिए। सबको मालूम है कि नौकरशाहों की भाषा अंग्रेजी है। राजकाज की भाषा हिंदी होते हुए भी हिंदी भाषी राज्यों में भी ज्यादातर सरकारी कामकाज अंग्रेजी में ही होता है। यदि हिंदी को जन-जन की भाषा बनाना है, तो उस पर सार्थक विमर्श करना होगा सिर्फ बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला। किसी ने ठीक ही कहा है कि इच्छा शक्ति अगर बड़ी हो तो आसमान भी छोटा लगने लगता है।

आकाओं को खुश करने पुलिस किस हद तक गिरेगी

मध्यप्रदेश सरकार की पुलिस अपने आकाओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इसका ताजा तरीन उदाहरण बीते दिनों मध्यप्रदेश में देखने को मिला। पुलिस ने खबर कवरेज करने गए रिपोर्टरों को रोकने के लिए थाने में बंद कर दिया और कोई अनहोनी न हो इसके लिए सारे कपड़े उतरवा दिए। पत्रकार सिर्फ चड्डी पहनकर थाने में बैठे रहे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बाबा ये एमपी की पुलिस है, जो कभी भी रंग बदल देती है, पिछले दिनों खरगोन में हुए दंगे में एक दिव्यांग को आरोपी बना दिया जो पानी भी दूसरे के हाथ से पीता है। एक दुर्घटना में दोनों हाथ गंवा चुके उस शख्स को पत्थरबाज बताकर उसका घर तोड़ दिया, भला हो कुछ ईमानदार पत्रकारों का जिन्होंने इस मामले को उठाया और जनता के सामने लाया।

खैरागढ़ के परिणाम किसके लिए शुभ किसके लिए अशुभ

खैरागढ़ उपचुनाव कांग्रेस के लिए तो शुभ नजर आ रहा है लेकिन भाजपा के लिए अशुभ लग रहा है। 4 उपचुनाव में एक जगह भी बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रही। जबकि भाजपा के बड़े और दिग्गज नेताओं ने गांव-गांव जाकर कैम्पेनिंग की थी, लेकिन सीएम भूपेश बघेल के मास्टर स्ट्रोक के आगे सभी बौने साबित हुए। इसे चुनाव पूर्व सेमीफाइनल माना जा रहा था, भाजपा को मुद्दा विहीन कर कांग्रेस ने एक तरफा जीत हासिल की। और खैरागढ़ जिला के अस्तित्व में आ गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने राजनांदगांव जिले का विभाजन कर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला बनाने की प्रारंभिक अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करा दी है। कांग्रेस ने 31 मार्च को खैरागढ़ विधानसभा उप चुनाव का घोषणापत्र जारी कर नए जिले का वादा किया था। 16 अप्रैल को कांग्रेस की जीत के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिला गठन की घोषणा की। दो दिन बाद राजपत्र में इसकी अधिसूचना का प्रकाशन भी हो गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि देश के लिए मोदी अच्छा काम कर रहे है तो प्रदेश के लिए भूपेश सबसे अच्छा काम कर रहे है। इसलिए विधानसभा चुनाव में उतरने से पहले भाजपाइयों को भूपेश से टक्कर लेने के लिए बहुत से राजनीतिक दांवपेंच फिर से सीखने पड़ेंगे । डा. रमनसिंह ने कहा था कि भूपेश 90 विधानसभा जीतने के लिए 90 को जिला बना देंगे। डाक्टर साहब ये राजनीति है, 15 साल राज आपने किसके भरोसे किया यह तो सर्वविदित है, लेकिन भूपेश ने अपने दम पर कांग्रेस को उर्जावान बनाकर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाया है। इसलिए जनता का विश्वास कांग्रेस के प्रति होना शुभता का प्रतीक है।

पाठ्य पुस्तक निगम की ही पुस्तकें पढ़ानी होगी

सरकार ने निजी स्कूलों को साफ तौर पर कह दिया है कि राज्य शासन से नि:शुल्क पुस्तकें लेने वाले सीजी बोर्ड के निजी स्कूलों को छत्तीसगढ़ पाट्य पुस्तक निगम की पुस्तकें ही पढ़ानी होगी। वे निजी प्रकाशकों की पुस्तकों का उपयोग नहीं करेंगे। निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के पालकों के लिए यह राहत भरी खबर है। प्रदेश में ज्यादातर निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें चल रही है। जिसके एवज में स्कूल प्रबंधन मनमाना फीस वसूलते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार ने किसानों के साथ भावी पीढ़ी की पढ़ाई को लेकर भी चिंतित है, यह भूपेश सरकार की स्वागत योग्य कदम है। सरकार के इस कदम की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

ओडिसा में पीके ने क्या देख लिया

पीके लगातार कांग्रेस खेमे में घुसपैठ कर वरिष्ठ और पुराने कांग्रेसियों को बेघर करने के लिए नए-नए चुनावी पैंतरे हाई कमान को बता रहे है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आवास पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक गतिविधियों केंद्र बना हुआ है। इस बार फिर चुनाव के रणनीतिकार प्रशांत किशोर पहुंचे और कांग्रेस को चुनावी सफलता के टिप्स दिए। पीके का कहना है कि कांग्रेस को बिहार और ओडि़शा के चुनावी जंग में अकेले ही उतरना चाहिए। पिछले दिनों संकेत दिया था कि भाजपा को हराने और कांग्रेस में जान फूंकने के लिए उनके पास अचूक अस्त्र है। इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में विरोध चल रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर पीके यदि इतनी आसानी से भाजपा को पटकनी दे सकते है तो अपनी खुद की पार्टी बनाकर पूरे देश में लोकसभा का चुनाव लड़वाने की प्लानिंग करते कांग्रेस के कंधे में बैठकर सक्रिय राजनीति में प्रवेश का जुगाड़ नहीं लगाते। कहते है पीके पास 4 एम वाला फार्मूला है। जिसके सहारे कांग्रेस को सत्ता में ला सकते है। यदि ऐसा था तो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चलते तब कहां थे।

नितिन गडकरी ने दिल से की भूपेश की तारीफ

केंद्रीय सड़क और भू-तल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने छत्तीसगढ़ में चल रहे विकास कार्यों में पहिया लगा दिया है जिससे छत्तीसगढ़ निरंतर विकास की दौड़ में आगे बढ़ता ही रहेगा। छत्तीसगढ़ में चल रहे विकास कार्यों को लेकर सीएम भूपेश बघेल की जमकर तारीफ की वहीं भूपेश बघेल भी बिना देर किए केंद्रीय मंत्री मंत्री गडकरी के कार्यो और विकास के लिए बिना भेदभाव के छत्तीसगढ़ में अरबों रुपए की सौगात देकर अपने निष्पक्ष कार्य कुशलता का परिचय दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ऐसा कोई केंद्रीय मंत्री नहीं जो सीएम भूपेश की कामकाज की तारीफ न की हो। सीएम भूपेश को केंद्रीय मंत्री गडकरी ने आश्वस्त किया कि छत्तीसगढ़ को पार्टीबंदी से उपर उठकर विकास की दौड़ को आगे बढ़ाए रखने के लिए हर संभव मदद की जाएगी। ये है बड़े लोगों कि व्यवहारिक कार्यकुशलता का राज। जो राजनीतिक प्रतिव्दंदिता से उपर उठकर देश के विकास में सबका साथ सबका विकास की भागीदारी में सभी को समान नजरिए से देखते है।

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