छत्तीसगढ़
"मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया...." सुरीली यादों का सफर
Shantanu Roy
14 April 2022 9:33 AM GMT
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विशेष आलेख
रायपुर। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रोफेसर जय नारायण पांडे जी के सुपुत्र, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के राज्य स्तरीय विवेकशील संचालन तथा गुणवत्ताधारी सेवाओं को उच्चतम मापदंडों के अनुरूप प्रतिस्थापित करने में शीर्षस्थ, पूर्व राज्य टीकाकरण व परिवार कल्याण अधिकारी, छत्तीसगढ़ अंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं को शीर्ष स्थान पर पहुंचाने वाले संभाग के पूर्व संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉक्टर सुभाष पांडे जी ने कोरोना काल में कोविड-19 से जूझते हुए जनमानस की सेवा में अपनी जान गवाई|
ऑल राउंडर फनकार, गीत संगीत के प्रेमी, भविष्यवेत्ता, समाजवादी चिंतक, राष्ट्रवादी जज्बे से परिपूर्ण, ईश्वरीय शिल्पशाला में गढे हुये एकमात्र नायक डॉ. सुभाष पांडे जी 14 अप्रैल 2021 को दिवंगत हो गए| यूं तो 2020-2021 संपूर्ण जनमानस के लिए शोकाकुल था|
शोकग्रस्तता का आलम रायपुर में निहायत ही संगीन किस्म का था| डॉ. सुभाष के निधन का समाचार उस दिन पूरे देश में प्रसारित किया जा रहा था| उनकी चिरस्थायी छवि सभी के मस्तिष्क में संस्मरण बन कर रह गई| डॉ. पांडेजी को अंततः धरा पर अवतरित होने वाले "नायक", "कर्मनिष्ठ", "कर्तव्यपरायण" उपाधियों से आलोकित किया गया|
हो सकता है कि प्रस्तुत संस्मरण नाचीज़ का निजी अनुभव हो, परंतु मेरे दृष्टिकोण से वे असाधारण एवं अद्वितीय देवपुरुष थे जिनके उदात्त मूल्यों तथा सिद्धांतों के सानिध्य में मुझे उनके अखंड स्वरूप को जीवित रखना है|
13 अप्रैल 2021 की वह रात रहस्यमई रह गई| चट्टानी इरादों, खुशनुमा एहसास देने वाले व्यक्तित्व, अपने सगे साथी के साथ गीत से उपजे आनंद के चरमोत्कर्ष, जीवन की सार्थकता का एहसास एवं जीने की तलब का दहन कर, दिलकश नज़ारों के साथ डॉ. सुभाष पांडेजी ने अपनी आंखें बंद कर ली| सुखों को तिलांजलि दे देश के लिए धड़कने वाले दिल की हृदयगति रुक गई|
बाल्यावस्था से लेकर 64 वर्ष की आयु तक अपनी श्रेष्ठतम प्रस्तुति देने वाले सुभाष जी की मासूमियत, शरारती चेहरा, कोमल हृदय एवं निर्भीक स्वभाव अतुलनीय है| उनका जीवन दिलकश फिल्मी सपने के अंत की भाँति है, जिसकी दिव्यता के विषय में चर्चा की जा सकती है परंतु उस स्वप्न का फिल्मीचित्रण करके नहीं दिखाया जा सकता|
बनारस के गंगा घाटों में, बाबा विश्वनाथ दरबार के करीब अनंत बरसों तक सुभाष बाबू अपनी स्नेहांजलि बाँटते रहेंगे| दशाश्वमेध घाट पर पाप नाशिनी गंगा में विलीन डॉ. पांडे विश्वव्यापी आस्था व उत्कृष्टता का हिस्सा रहेंगे|
उनकी सुरीली यादें, लोगों के प्रति आत्मीयता, मिलनसार, नटखट स्वभाव एवं कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना उनके व्यक्तित्व को मंत्रमुग्ध बनाती रहेगी| डॉ. पांडे जी अपने जीवन रूपी पटकथा के लेखक निर्देशक एवं अदाकार स्वयं ही रहे इसलिए उनकी विदाई भी शानदार होनी चाहिए|
मैं प्यार का दीवाना
सबसे मुझे उल्फत है
हर फूल मेरा दिल है
हर दिल में मोहब्बत है...
इसी विचारधारा के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन उपरांत डॉक्टर साहब अनंत लोक की यात्रा पर निकल पड़े हैं|
डॉ. यशस्वी पांडेय
Shantanu Roy
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