छत्तीसगढ़

औरों के लिए लड़ता हूँ, पर अपने लिए कहां बोल पाता हूं! हां मैं पत्रकार कहलाता हूं...

Tulsi Rao
8 Oct 2021 4:54 AM GMT
औरों के लिए लड़ता हूँ, पर अपने लिए कहां बोल पाता हूं! हां मैं पत्रकार कहलाता हूं...
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जाकिर घुरसेना-कैलाश यादव

पत्रकारों को प्रताडि़त करने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। माफियाओं के बुलंद हौसले की तस्दीक इस बात से की जा सकती है कि उस बड़े अख़बार के पत्रकार के साथ सरगांव में ठीक पुलिस थाने के सामने मारपीट की गई जिसके पूर्व संपादक रहे छत्तीसगढ़ के नामी और दिग्गज पत्रकार जो आजकल मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हैं। इतना जानने के बावजूद पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है तो माफियाओं को कैसे पकड़ेगी। पिछले दिनों किसान नेता राकेश टिकैत और उनके कुछ साथी छत्तीसगढ़ दौरे पर आये थे। पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था कि अगली बारी मीडिया हाउस की है। उनके बात पर गौर किया जाये तो इंतजार की घड़ी ख़त्म हो चुकी है, काफी हद तक मीडिया हाउस तो राजनीतिक पार्टी के कब्जे में हैं।लेकिन अब बचे पत्रकार जो बेचारे पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे हैं। आये दिन पत्रकार माफियाओं के हाथो पिट रहे हैं। ऊपर से पुलिस विभाग भी इन माफियाओं के साथ खड़ी नजऱ आती है। पत्रकारों पर जानलेवा हमले होने के बावजूद भी उन गुंडों-बदमाशों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में हीला हवाला करते हैं। इनके हौसले इतने बुलंद हैं कि थाने के सामने पत्रकार को पीट रहे है और पुलिस खामोश बैठी है। हद तो तब हो जाती है जब माफियाओं ने इस काम को सोशल मीडिया में फैला भी रहे हैं कि हमने एक पत्रकार को पीट दिया। पत्रकारिता का पेशा काफी चुनौती भरा हो गया है साथ ही जनहित के लिए अब पत्रकारिता करना बहुत मुश्किल काम हो गया है। क्योंकि माफियाओ की पहुँच ऊपर तक है। ताजा उदाहरण सरगांव का है जहाँ एक पत्रकार को शराब माफिया के खिलाफ खबर छापना मंहगा पड़ गया। थाने के सामने ही माफियाओं ने पत्रकार को धुन दिया। इसके पहले भी इस प्रकार की काफी घटनाये छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में हो चुकी है। सब जगह कार्रवाई हुई लेकिन यहां ख़ामोशी छाई है। मजे की बात ये है कि आज भी हमलावर बेखौफ घूम रहे हैं और उक्त पत्रकार को फिर से मारने की बात करते हैं। जनता में खुसुर फुसुर है कि पत्रकार अगर ऐसे ही पिटते रहेंगे तो जनता की समस्याओ को कौन उठाएगा। पत्रकार बिक्रम सिंग ने ठीक ही कहा है कि औरों के लिए लड़ता हूँ, पर अपने लिए कहां बोल पाता हूं! हां मै पत्रकार कहलाता हूं।

यहां भी भूपेश वहां भी भूपेश

इन दिनों उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री योगी जी की चुनावी रैली जो अघोषित रूप से प्रारम्भ हो गई है। वे अब्बाजान और चचाजान के बहाने हिन्दू-मुस्लिम बनाने की कोशिश में लग गए हैं। इसी रणनीति के तहत पार्टी तीन चुनाव में फायदा उठा भी चुकी है। लेकिन अब जिस प्रकार से ंकिसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है उससे नहीं लगता कि अब्बाजान चचाजान एकतरफा फायदा दिला सके। देखा जाये तो अब इनके पास कोई ऐसा मुद्दा बचा ही नहीं है जिससे ध्रुवीकरण किया जाय। धारा 370 हट चुकी है, राम मंदिर की नीव भी डल चुकी है, तीन तलाक का मामला लगभग ख़त्म हो चुका है,लव जिहाद पर भी कानून बन गया है। उत्तरप्रदेश में लगभग 40 से 45 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। कांग्रेस को राजनीतिज्ञ लोग मृतप्राय मानकर चल रहे थे लेकिन अब वहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मुख्य जिम्मेदारी देकर जान फंूकने का जिम्मा दे दिया गया है जो ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के बीच जाकर काम करेंगे। परिवर्तन का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प का नारा लेकर भूपेश बघेल जी यूपी के चुनावी समर में कूदने के लिए तैयार हैं। अब देखना है कि यूपी की जनता बिजली, पानी, विकास, रोजगार या कानून व्यवस्था जैसे बुनियादी मसलों की बात करती है या नेताओं की मजहबी चिकनी चुपड़ी बातो में आती है यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन अब जनता यह भी ध्यान दे रही है कि सरकारें जान बूझकर मुख्य मुद्दे को किसी बहाने से नेप्थय में डालकर बेकार मुद्दे को तवज्जों तो नहीं दे रही है। जनता समझदार हो चुकी है।

ब्रिटेन को भारत का नहले पे दहला वाला जवाब

भारतीय यात्रियों पर ब्रिटेन में जारी कोरोना प्रतिबंध का भारत ने भी करारा जवाब दिया है। अब ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों को भारत में 10 दिन आइसोलेट होना पड़ेगा। ब्रिटेन ने कोवीशील्ड को मान्यता तो दे दी, लेकिन भारतीयों के लिए कुछ शर्तें जोड़ दीं। इस पर भारत ने नाराजगी भी जताई थी। नए नियमों के मुताबिक, कोवीशील्ड वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके भारतीयों को ब्रिटेन पहुंचने पर अब भी 10 दिन क्वारैंटाइन रहना पड़ेगा और टेस्ट भी कराने पड़ेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अंग्रेज अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते। भारत सरकार ने ब्रिटेन को उसी अंदाज में नहले पे दहला जवाब दिया है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। अंग्रेज लातों के देवता है बातों के नहीं, इसलिए उसे उसी की भाषा में समझाना जरुरी है।

भूपेश सरकार ने पूरी दुनिया को बता दिया गोबर की ताकत

जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आई है तब से प्रदेश कई ऐसे जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ जिसकी प्रशंसा देश भर में होी रही है। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी भी भूपेश सरकार की योजनाओं की सराहना कर चुके है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के बाद भूपेश सरकार ने गोबर से बिजली उत्पादन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि गोबर गिरता है तो कुछ न कुछ लेकर उठता है। छत्तीसगढ़ में गोबर गिरा तो सब कुछ लेकर उठा। केंद्र सरकारने भी इस योजना की जमकर तारीफ की वहीं यूपी योगी आदित्यनाथ की सरकार बी गोबर खरीदी कर रही है। इसका श्रेय दाऊ जी को ही जाता है। दाऊ जी की सरकार ने पूरा का पूरा पावर दिखाते हुए गोबर से बिजली बनाकर गौठानों को रौशन कर दिया है। जिसने पूरे देश में भूपेश सरकार की इस योजना धूम मचा दिया है। अब यूपी सरकार भी भूपेश सरकार की हमराह होकर गोबर खरीदने की योजना क्रियान्वित करने जा रही है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने किसके लिए डंडा उठाने कहा

किसान आंदोलन को लेकर नया मोड आ गया है। लखीमपुर में केंद्रीयमंत्री का घेराव करने पहुंचे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई। जिसमें 4 किसानों और 4 नागरिकों सहित 8 लोगों की मौत हो गई। इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने एक बयान जारी किया जिसमें डंडे उठाने की बात कह रहे है। क्या खट्टर अपने विरोधियों और किसानों को रास्ते से हटाने लखीमपुर से तो प्रेरित नहीं हो रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि नेताओं को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए । ये प्रजातंत्र है उनका बयान कहीं आगे चलकर अगर बूमरेंग साबित हो गया तो परेशानी और फजीहत दोनों होगी।

3000 किलो हिरोइन पकडऩे पर छूट, एक ग्राम पर बना दिया प्रकरण

रायपुर मेेंं एक ट्रक चालक से पास से थोड़ा सा नशीली ड्रग हिरोइन मिलने पर एवं शाहरूख खान के बेटे आर्यन को क्रूज में पार्टी मनाते पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई कर जेल पहुंचा दिया। बताया जाता है कि क्रूज में लगभग 1300 लोग थे फिर इतने कम लोगों को पकडऩे के क्या मायने?गांधी जी ने कहा था कि अपराध से घृणा करो अपराधियों से नहीं। यहां लगता तो देश में उल्टी गंगा बह रही है। पुलिस ने हिरोइन पीने वालों को पकड़ रही है और बेचने वालों को संरक्षण दे रही है ऐसा लग रहा है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इस घटना से पहले अडानी के एयरपोर्ट में 3000 किलो ड्रग हिरोइन पकड़ाई, जिसकी जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई । पता ही नहीं चला कि कौन उसका मालिक था, और कहां से आ रहा है। किसने भेजा और किसको मिलने वाला था। पुलिस की दोहरी नीति को लेकर जनता सिर्फ यही कह रहा है कि ये तो पब्लिक है सब जानती है। अजी अंदर क्या, बाहर क्या है सब जानती है...।

पुलिस वाले ने पहरेदारी का ट्रेंड बदला

पुलिस कर्मी और अधिकारी पहरेदारी का ट्रेंड ही बदल दिया है,अब बार पार्टी मनाते हुए पहरेदारी करने का मन बना लिया है। अपनी निजी जिंदगी को सरकारी बना कर जी लेने की भरसक कोशिश कर रहे है। इंसानी फितरत वो सब कुछ करने की छूट चाहता है, जो एक आम आदमी को करने की छूट मिली है, पुलिस वालों की जिंदगी का फलसफा बड़ा ही अजीब है, टेंशन कम करने के लिए आम आदमी की तरह मदहोश होकर अपनी थकान उतारना चाहती है। मुबंई में रेव पार्टी मनाने वालों को पुलिस कार्रवाई कर जेल की सलाखों तक पहुंचा दी है। वहीं बिलासपुर में पुलिस अफसरों की बार पार्टी का खुलासा हुआ, देर से पहुंची महिला अधिकारी की होटल प्रबंधन के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया, जिसमें महिला और उसके पति के साथ धक्का मुक्की होने की खबर है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि जब पुलिसवाले ही बार पार्टी मनाने लगेंगे तो पहरेदारी कौन करेगा, नशीली,दवाई, ड्रग, शराब, गांजा.जुआ, सट्टा के अवैध कारोबार कौन पकड़ेगा?

शांत प्रदेश को अशांत करने की साजिश

कवर्धा की आग से पूरा प्रदेश सकते में है। हर कोई यही सोच रहा है शांत प्रदेश में अशांति फैलाने का दुस्साहस किसने किया। कहीं यह साजिश का हिस्सा तो नहीं। जब झंड़ा लगाने उतारने का विवाद स्थानीय स्तर पर खत्म हो गया था, तो भाजपाइयों को रैली निकालने की अनुमति किसने दी। इस रैली में स्थानीय कम और बाहरी लोग ज्यादा थे। जनता में खुसुर-फुसर है कि विघ्नसंतोषियों को शांत छत्तीसगढ़ रास नहीं आ रहा है। राजनीति के लिए कुछ भी करने को तैयार है। जिससे प्रदेश की राजनीतिक फिजा खराब हो रही है। मजे की बात है कि पुलिस ने करीब 70 लोगों को गिरफ्तार किया था उनमें से लगभग 60 लोग कवर्धा के बाहर के थे। इनको लाया कौन था। इनका मकसद क्या था। पूछताछ कर असल गुनहगार को सरकार सजा दे।

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