छत्तीसगढ़

पत्नी को प्रतिमाह 10 हजार देगा पति, हाईकोर्ट का फैसला

Nilmani Pal
21 July 2023 4:11 AM GMT
पत्नी को प्रतिमाह 10 हजार देगा पति, हाईकोर्ट का फैसला
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एडिशनल प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट, रायपुर द्वारा हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) (1-ए) के तहत प्राप्त तलाक की डिक्री को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार मानते हुए पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि तलाक की कोई भी डिक्री तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि तलाक चाहने वाला व्यक्ति दलीलों और सबूतों के आधार पर क्रूरता साबित नहीं कर देता। इस दंपती की शादी 5 जून 2015 को हुआ था। इसके बाद उन्हें वैवाहिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। पति ने दावा किया कि पत्नी उसके साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करती थी और अपने माता-पिता से अलग रहने पर जोर देती थी। पत्नी मैरिज एनवर्सरी के दिन भी साथ नहीं आई। पत्नी ने आरोपों से इनकार करते हुए बताया कि पति के परिवार ने उससे दहेज की मांग की और दुर्व्यवहार किया।

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अपने फैसले में बेंच ने लिखा कि पति अपनी पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आरोपों को साबित करने में विफल रहा। कुछ घटनाओं पर कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया। यह तथ्य कि पति के खिलाफ दहेज से संबंधित एक आपराधिक मामला लंबित है, उसकी दलील पर संदेह पैदा होता है।

अदालत ने पत्नी की ससुराल में रहने की इच्छा और पति के पिता के धमतरी स्थित आवास के संबंध में पति के बयानों में विरोधाभास पाया। इसके अलावा, जजों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पत्नी द्वारा कतिपय परिस्थितियों में रहने से इनकार करने को क्रूरता नहीं माना जा सकता। पति के दुर्व्यवहार ने भी स्थिति में भूमिका निभाई। हाईकोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि तलाक देने का फैमिली कोर्ट का फैसला टिकाऊ नहीं है और इसे रद्द कर दिया। इसके बदले कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि भरण पोषण के रूप में वह पत्नी को प्रतिमाह 10 हजार रुपये दे। यह निर्धारण उसके मासिक वेतन और वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखकर किया गया।


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