पति को पत्नी से Divorce लेने की मिली अनुमति, अलग रह रहे थे 10 साल से
बिलासपुर Bilaspur। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट Family Court के आदेश को पलटते हुए याचिकाकर्ता पति को 10 साल से अलग रह रही पत्नी से विवाह विच्छेद divorce की अनुमति दे दी है। Kabirdham कबीरधाम के याचिकाकर्ता की शादी फरवरी 2002 में हुई थी।उनकी दो बेटियां हैं, जो पत्नी के साथ रहती हैं।
chhattisgarh high court पत्नी सन 2013 से अलग रह रही है। फैमिली कोर्ट में उसने विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। पत्नी ने कोर्ट में दलील दी थी कि शादी के तुरंत बाद उसके पति और ससुराल वाले दहेज की मांग कर उसके साथ क्रूर व्यवहार करते थे। बेटियों के जन्म लेने के बाद उनका दुर्व्यवहार अधिक बढ़ गया था। उसे मारपीट कर ससुराल से निकलने की कोशिश की गई। 15 फरवरी 2016 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि शादी के बाद उसकी पत्नी बुजुर्ग माता-पिता से दुर्व्यवहार करती थी और याचिकाकर्ता के साथ भी विवाद करती थी। सामाजिक बैठक के बाद पत्नी और बच्चों को लेकर उसने माता-पिता से अलग भी रहने लगा, लेकिन उसका व्यवहार नहीं बदला। वर्ष 2013 में ही पत्नी ने उसके माता-पिता और भाई के खिलाफ थाने में प्रताड़ना की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी, जो झूठी थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि दोनों 10 साल से अलग रह रहे हैं और शादी के सभी उद्देश्य लगभग समाप्त हो चुके हैं, जिसके पुनर्जीवित होने की संभावना नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत कई वर्षों से अलग रहना विवाह विच्छेद का आधार नहीं है किंतु माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार, उनसे अलग रहने के लिए कहना और 10 सालों से अलग रहना मानसिक क्रूरता है। इस आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री पारित की जाती है।