भूपेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। लोगों को सुलभ स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम ने गुढिय़ारी और भाटागांव में हमर अस्पताल शुरू किया है। लेकिन यहा जिस तरह की सुविधाएं मिलने की बात कही गई थी। वैसी सुविधाएं लोगों को उपलब्ध नहीं हो रही है। डॉक्टर भी पूरे समय उपलब्ध नहीं रहते। वही इलाज वरिष्ठ डॉक्टरों की जगह सहायक चिकित्सक कर रहे है। इसी चलते लोग हमर अस्पताल में उपचार कराने के बजाय मेकाहारा और एम्स का रुख कर रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की यह महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत कमजोर व निम्न वर्ग के लोगों को क्षेत्र में ही निशुल्क और सुलभ स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराया जाना है। लेकिन ऐसे ही गैरजिम्मेदार अधिकारियों के कारण योजनाओं का उद्देध्य पूरा नहीं हो पाता और लोग सुविधाओं से वंचित रह जाते है।
वरिष्ठ डॉक्टर सिर्फ 2 घंटे के लिए
हमर अस्पताल के स्टाफ ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टर सिर्फ सुबह 2 घंटे के लिए आते है। मरीज़ अपना इलाज कराने हमर अस्पताल आते है, मगर उनका इलाज करने के लिए समय पर वरिष्ठ डॉक्टर नहीं आते। इस तरह की अव्यवस्था हमर अस्पताल की छवि को खऱाब करता नजऱ आ रहा है। हमर अस्पताल की योजना गुढिय़ारी, भनपुरी, भाटागांव और राजातालाब के स्वास्थ्य केंद्र के रूप में बनाया जाना था लेकिन सिर्फ गुढिय़ारी और भाटागांव में ही हमर अस्पताल शुरू हुआ है और यहां के इंचार्ज की लापरवाही से ये योजना डूबती नजऱ आ रही है।
महामारी के दौर से मरीज़ नहीं आ रहे
कोरोना महामारी में जहा डॉक्टर को लोग भगवान का दर्जा दे रहे थे, वहीं हमर अस्पताल के डॉक्टर अपने ड्यूटी पर समय से नहीं आ रहे है। लॉकडाउन का असर अस्पतालों पर भी पड़ा है। हमर अस्पताल के स्टाफ का कहना है कि उनके अस्पताल में इन दिनों मरीजों की भीड़ भी कम होने लगी है। इस कारण वरिष्ठ डॉक्टर देर से पहुंच रहे है। वही दूसरी तरफ मरीज परेशान रहते है। अस्पताल में सुबह से ही मरीज अपना इलाज कराने के लिए जुट जाते है। डॉक्टर के पहुंचते ही इलाज के लिए मरीजों के बीच कभी-कभी बहसबाजी भी होती है।
हेड इंचार्ज से स्टाफ हो रहे परेशानी
भाटागांव में बने हमर अस्पताल में स्टाफ अपने इंचार्ज से परेशान हो रहे है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंचार्ज से हमर अस्पताल के स्टाफ बहुत ही ज्यादा मानसिक परेशानियों से काम कर रहे है, इंचार्ज का खुद का भाटागांव में अपना हॉस्पिटल है जिसके कारण वो स्वयं नाम मात्र ही हमर हस्पताल में उपस्थित होते है। इस तरह की लापरवाही एक अस्पताल के इंचार्ज की। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए जहां रायपुर के सभी अस्पतालों में जद्दोजहद शुरू हो गई है वही हमर अस्पताल में इंचार्ज डॉक्टर समय में नहीं आ रहे है। जिस वजह से मरीज़ इलाज समय पर नहीं करवा सकते। मरीज़ रोजाना लाइन लगकर अस्पताल में इलाज करवाने आते है लेकिन कोई वरिष्ठ डॉक्टर की उपस्थिति नहीं होने की वजह से लोगो का इलाज सहायक डॉक्टरों को करना पड़ता है।
अव्यवस्थाओं से घिरा हमर हस्पताल
हमर अस्पताल भाटागांव, गुढिय़ारी में बड़ी अव्यवस्था और सेवा में कमी नजऱ आती है जैसे ना समय पर डॉक्टरों की उपस्थिति, ना समाय पर मरीजो की दवाये उपलब्ध रहती है जिसके ज़िम्मेदार वहां के इंचार्ज होते है। रोजाना मरीज़ की भर्ती से लेकर उनके डिस्चार्ज कराने का पूरा जिम्मा इंचार्ज का होता है मगर हमर अस्पताल में इंचार्ज 3 घंटे के लिए बैठते है तो अस्पताल में व्यवस्था कौन देखेगा? अस्पताल में काम करने वाले स्टाफ ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि भाटागांव हमर अस्पताल के इंचार्ज किशोर सिन्हा का अपना भी एक निजी अस्पाताल है जहां वो दिन भर काम करते है। हमर अस्पताल को शुरू करने की योजना सरकार की थी। भूपेश सरकार ने गरीबों की भलाई के लिए इस अस्पताल का निर्माण कराया लेकिन ऐसे ही कुछ इंचार्ज जो अपनी कमाई देखते हुए अस्पताल में कम समय की सेवा देकर अपने निजी अस्पातालों में काम कर रहे है ऐसे अधिकारियों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
अस्पताल में 6-6 घंटे के लिए चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है और मैं हमर अस्पताल का इंचार्ज हूं। मेरी ड्यूटी 24 घंटे की है मगर मैं 3 से 4 घंटे ही सेवा देता हूं।
- किशोर सिन्हा, इंचार्ज, हमर अस्पताल भाटागांव