सीईओ पर गबन के आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप, सस्पेंड कर्मचारी सीओडी में बैठ रहे
जिला सहकारी बैंक में भारी आर्थिक अनियमितता
दुर्ग में पदस्थ रहते भी लगा करोड़ों के गबन का आरोप, पंजीयक से शिकायत..पर नहीं हुई एफआईआर
रायपुर (जसेरि)। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर के सीईओ पर आर्थिक अनियमितता और गबन के आरोपी कर्मचारियों को संरक्षण देने का आरोप लग रहा है। बैंक कर्मचारी उन पर प्रताडना और मनमाने ढंग से तबादले करने का भी आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं गबन के दोषी कर्मचारी जिन्हें दूसरे शाखा में लाइन अटैच किया गया है ऐसे कर्मचारियों से सीओडी में सेवा ली जा रही है वहीं जांच के बाद दोषी नहीं पाए जाने वाले कर्मचारियों को आर्थिक अनियमितता में संलिप्त बताकर दूसरे जिले व दूर-दराज के शाखाओं में स्थानांतरित कर दिया गया है। कर्मचारी दबी जुबान यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सीईओ अपने गलत फैसलों और निर्णयों में सहयोग नहीं करने वाले कर्मचारियों को मानसिक रूप से भी प्रताडि़त कर रही हैं। आरोप यह भी है कि बैंक के कर्मचारियों के खातों में गलत तरीके से ट्रांजेक्शन कर राशि का गबन किया जा रहा है।
गबन के दोषियों को संरक्षण
अपेक्षा व्यास वर्तमान में जिला सहकारी बैंक रायपुर में बतौर सीईओ पदस्थ है। यहाँ के सीओडी शाखा में भी साढ़े पांच करोड़ से अधिक का गबन बैंककर्मियों ने मिलकर किया है। बैंक को चूना लगाने वाले तीन कर्मियों पर सितम्बर 2023 में मामला दर्ज किया गया था, घोटाले में शामिल बाकी अन्य कर्मियों को ना तो सस्पेंड किया गया है ना ही पुलिस में अपराध दर्ज कराया गया है। वहीं कुछ कर्मचारी जो गबन की राशि लौटा चुके हैं या लौटा रहे हैं वे सेवा में बने हुए हैं। इनमें से कुछ को सस्पेंड कर दूसरे शाखाओं में अटैच किया गया है। ऐसे ही एक कर्मचारी को सदर बाजार शाखा में अटैच किया गया है लेकिन वह मुख्य शाखा में आज भी सेवा दे रहा है और उसे सीईओ का बेहद करीबी बताया जा रहा है। एक अन्य कर्मचारी को न्यू मंडी शाखा में अटैच किया गया है लेकिन वह भी अक्सर मुख्य शाखा में नजर आते हैं। कर्मचारियों का सीधा आरोप है कि सीईओ इन कर्मचारियों को पूरा संरक्षण दे रही हैं।
फेवर करने वालो पर मेहरबान
हालहि में आर्थिक अनियमितता का एक मामला उरकुरा शाखा में सामने आया जहां एक कर्मचारी के खाते में एक किसान का पैसा आ गया। उस महिला कर्मचारी ने इसकी जानकारी बैंक को देने के बजाय राशि का आहरण कर लिया। जब किसान को अपनी राशि नहीं मिली तो उसने इसका पता लगाया तब जाके राशि बैक कर्मचारी के खाते में अंतरित होने की बात सामने आई। मामला सामने आने के बाद उक्त महिला कर्मचारी ने राशि लौटाया। इस अनियमितता के बाद सीईओ ने उस महिला कर्मचारी का स्थानांतरण रायपुर के ही दूसरे शाखा में कर दिया। लेकिन चूंकि महिला कर्मचारी सीईओ की विश्वासपात्र थीं इसलिए उसके स्थानांतरण आदेश में कहीं भी आर्थिक अनियमितता में संलिप्त होने का उल्लेख नहीं किया गया है जबकि 2023 में वित्तीय अनियमितता के दौरान जांच में जो कर्मचारी दोषी नहीं पाए गए उन्हें भी आर्थिक अनियमितता में लिप्त बताकर उनका तबादला दूर-दराज में किया गया। बताया जा रहा है कि इनमें से एक कर्मचारी तो विकलांग है जिसे महासमुंद भेज दिया गया है।
दुर्ग में 94 फीसदी कर्मियों का तबादला
उल्लेखनीय है कि दुर्ग सहकारी बैंक में पदस्थ रहने के दौरान भी सीईओ अपेक्षा व्यास पर गड़बड़ी और आर्थिक अनियमितता की शिकायत पंजीयक सहकारिता विभाग से की गई है। शिकायत में श्रीमती व्यास पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसके अनुसार जिला सहकारी बैंक दुर्ग में सीईओ रहते अपेक्षा व्यास ने नियमो का उल्लंघन कर थोक में कर्मचारियों का ट्रांसफर किया, विभिन्न बैंक शाखाओ में कार्यरत 470 कर्मियों में से 450 का तबादला एक साल के भीतर किया गया था, जबकि नियमानुसार 10 से 15 फीसदी से ज्यादा कर्मियों का तबादला एक साथ नहीं होना चाहिए पर श्रीमती व्यास ने 94 फीसदी कर्मियों का तबादला एक साथ कर दिया था। दरअसल श्रीमती अपेक्षा व्यास लगातार दुर्ग जिले में 14 वर्षो से अधिक समय से पदस्थ रही, इस दौरान उनका तबादला राजनांदगांव हुआ पर छह महीने के बाद दुर्ग वापसी हो गई।
प्रबंधक बनाने लेन-देन की शिकायत
पंजीयक को भेजे गए एक शिकायत में शिकायतकर्ता ने जिला सहकारी बैंक दुर्ग अंतर्गत बालोद, बेमेतरा और दुर्ग के बैंक शाखाओ में कनिष्ट सहायक लेखापाल और पर्यवेक्षको को प्रभारी शाखा प्रबंधक बनाने का भी आरोप लगाया है। शिकायत में कहा गया है कि बेमेतरा जिला अंतर्गत सेवा सहकारी समिति मारो और गुंजेरा के तत्कालीन समिति प्रबंधक और कर्मियों को नियमो के विपरीत बहाल किया गया। जिला सहकारी बैंक मारो और सहकारी समिति मारो में तत्कालीन समिति प्रबंधक श्यामसुंदर कश्यप, और लिपिक राजा वर्मा ने 42 लाख 12 हजार 126 रुपये का गबन किया, तो गुंजेरा समिति में 4447580 रुपये का घोटाला किया गया। जाँच में तत्कालीन शाखा प्रबंधक अवधराम खड़बंधे, लिपिक तरुण कुमार, राजा वर्मा और समिति प्रबंधक श्यामसुंदर कश्यप को सस्पेंड किया गया था पर किसी के खिलाफ भी अपराध दर्ज नहीं कराया गया और कथित तौर पर लेनदेन कर आरोपियों को बहाल कर दिया गया।