भ्रष्ट लापरवाह अधिकारी के भरोसे कैसे पूरा होगा सुशासन का संकल्प
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रायपुर। प्रसन्ना आर बहुत ही लापरवाह व गैरजिम्मेदार अधिकारी है। पिछले 6 सालों से न्यायलयीन आदेशों की लगातार अवमानना करते आ रहे हैं अब यह उनके आदत में शामिल हो गया है। 11 मॉर्च 2024 सहायक प्राध्यापक वनस्पति शास्त्र नियुक्ति आदेश में भारी गड़बड़ी भी किये है।न्यायालयीन आदेश WPS/3898/2022 का जानबूझकर आदतन अवमानना किये हैं वहीं एक याचिका WPS/6358/2022 के आदेश को मैनिपुलेट करके गलत अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश जारी किए हैं जिनको उक्त याचिका के लिए रोका जाना था।
इसके साथ ही आरक्षण अधिनियम 2012 व आरक्षण अधिनियम 1994 का उलंघन करते हुए अनुसूचित जाति के चयनित सहायक प्राध्यापक विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति 8 महीनों से रोक कर प्रताड़ित कर रहे हैं।जबकि विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति में कोई वैधनिक समस्या नहीं हैं। प्रसन्ना आर न्यायलयीन आदेश का कितना सम्मान करते हैं उन पर लगे अवमानना याचिकाओं की सूची देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
वर्षवार अवमानना याचिकाओं की संख्या
वर्ष। अवमानना याचिका संख्या
2019 2
2020 2
2021 5
2022 8
2023 6
2024 6
ऐसे अधिकारी के भरोसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सुशासन का संकल्प कैसे पूरा होगा। 7-8 महीनों में ही उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ में जब से प्रसन्ना आर पद भार सम्हाले हैं कुशासन चल रहा है। विजय शंकर पात्रे की नियुक्ति आदेश आरक्षण अधिनियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए, न्यायालयीन आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए 8 महीने से रोक रखे हैं यह प्रसन्ना आर के भ्रष्ट कार्य और कुप्रशासन का ताजा उदाहरण है।