![5 लाख कर्मचारी कैसे नियमित होंगे, क्या होगी प्रक्रिया? 5 लाख कर्मचारी कैसे नियमित होंगे, क्या होगी प्रक्रिया?](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/11/05/2188203-page-12-copy.webp)
कर्मचारियों ने कहा- पांच लाख अनियमित कर्मचारियों की आवाज बनी 'जनता से रिश्ता'
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। 54 विभाग व 35-40 निगम मंडल आयोग में कार्यरत प्लेसमेन्ट, आउट सोर्सिंग, जॉब दर, ठेका, मानदेय, श्रमायुक्त दर के अस्थायी श्रमिक, कलेक्टर दर के अस्थायी श्रमिक,अंश कालीन, केंद्रीय योजना के राज्य सरकार के द्वारा रखे गए (सविंदा, श्रमायुक्त दर, कलेक्टर दर के कर्मचारी),कार्य से पृथक किये गए कर्मचारी इन सभी के मांग को 5 लाख कर्मचारी कैसे नियमित होंगे, क्या प्रक्रिया हो सकती है। जनता से रिश्ता अपने 4 नवंबर के अंक में भी अनियमित कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए विस्तार से समाचार प्रकाशित किया था। प्रदेश में पौने तीन लाख से तीन लाख बीस हजार के आसपास ऐसे कर्मचारी है जो विभाग से सीधे राजकोष (ट्रेजरी) से वेतन प्राप्त नही करते है और दूसरे तरफ सविंदा/ श्रमायुक्त दर के अस्थायी श्रमिक/ कलेक्टर दर के अस्थायी श्रमिक है जो विभाग से सीधे राजकोष से वेतन प्राप्त करते है, इनकी संख्या लगभग एक लाख अस्सी हजार से दो लाख होती हैं। पहले राज कोष से वेतन पाने वालों की स्थिति समझते है, नियमित होने में इनके भी पेच है, वह यह है की यह सभी सविंदा कर्मचारी नहीं है। इनमें से बहुत से श्रमायुक्त दर/ कलेक्टर दर के कर्मचारी है। तब जब सब राज्य में केवल सविंदा वाले स्थायी किये जा रहे है तो इनका मार्ग कैसे खुलेगा? सरकार मध्य प्रदेश के भांति और राजेस्थान सरकार के भांति दोनो प्रदेशों के बिल के अनुसार अपना कोई नियम लागू करती है तो सविंदा वालो का राजस्थान तर्ज पर स्थायीकरण व शेष को मध्य प्रदेश की भांति स्थायीकर्मी के रूप में स्थायी कर सकती है। इन्हें वर्तमान वेतन में स्थायी करने से बजट का बोझ नही बढ़ेगा और कोई कानूनी बाधा सविंदा, श्रमायुक्त दर के श्रमिको के नियमित होने में नही आएगी।
अब शेष 3 लाढ़ से तीन लाख 20 हजार के तकनीकि बाधा पर चर्चा करते है, इसके लिए सर्व प्रथम इन सभी में जो पूरे 8 घण्टे, पूरे बारह माह का कार्य नही करते उन्हें पूरी अवधि का कार्य देने का मांग रखना चहिए, जो कर्मचारी विभाग से सीधे वेतन प्राप्त नहीं करते उन्हें विभाग व अपने मध्य बिचौलियों (आउट सोर्सिंग, स्वसहायता समूहों, ठेका, प्लसमेन्ट) को हटा कर सीधे विभाग से वेतन प्रदान करने की मांग रखनी चाहिए, इसी में आगे ऐसे कर्मचारी जो केंद्रीय योजना को राज्य के कर्मचारी के रूप में क्रियान्वयन हेतु रखे गए है उन्हें पूर्ण रूप से स्वयं को विभागीय (सविंदा/ श्रायुक्त दर/ कलेक्टर दर) कर्मचारी घोषित करवाने की माँग करनी चाहिए। इसके पश्चात इन सबो को सम्बन्धित विभाग से जब सीधे वेतन आगामी एक दो वर्ष प्राप्त होने लगे तो अपने नियमित होने की मांग रखनी चाहिए। तब यह सभी भी इन पौने दो लाख कर्मचारियों की भांति वर्तमान स्थिति के कर्मचारी बन जाएंगे।
सरकार ने घोषणा पत्र में शायद इसलिए कहा था कि प्लेसमनेट, ठेका, आउट सोर्सिंग खत्म करेंगे,खत्म करेंगे मतलब विभाग से पहले सीधे जोड़ेंगे? सरकार बनने के बाद यदि सरकार तत्काल 2018 में इस दिशा में यह कार्य प्रारम्भ देती तो करोड़ों रूपये बिचौलियों का राजस्व तो बच जाता व वर्तमान में यह सभी भी नियमित होने की पात्रता मांग रख पाते। इन्हें यदि सरकार द्वारा तत्काल विभाग में संलग्न किया जाता है तो कोई आर्थिक बोझ नहीं बढ़ेगा। केवल नीति बनने की आवश्यकता पड़ेगी। कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा इन बातों को समझने के बावजूद विभाग से सीधे जोडऩे व वेतन प्राप्त करने की मांग रखने के बजाए। सीधे नियमति होने की मांग कर रहे है। जो तकनीकी रूप से उनके गलत जिद्द को दर्शाता है। सरकार द्वारा घोषणा पत्र में दो अलग-अलग बिंदु इन 5 लाख कर्मचारियों के लिए इसलिए जोड़ा गया था। क्योंकि इन्हें यह बाधा मालूम थी। 2018 में दै.वे.भो. को नियमित करने की बात जो घोषण पत्र में रखी गई वह शायद मध्य प्रदेश सरकार में हो चुके 2016-17 निर्णय को ध्यान में रख कर रखा गया था? जिसमे वहां कार्यरत सभी विभाग के कर्मियों को श्रमायुक्त दर के अस्थायी श्रमिक मानकर नियमित किया गया था। जिनकी संख्या लगभग 48हजार थी।
छत्तीसगढिया संवेदनशील मुख्यमंत्री जी को मोर्चा 5 लाख कर्मियों के हित में सकरात्मक सुझाव/ मांग पत्र जल्द से जल्द 1 दिवसीय ध्यानाकर्षण के माध्यम से सौंपेगा, जिसमे बजट का बोझ, कानूनी बाधा सरकार को बिल्कुल न हो। सभी छत्तीसगढिया कर्मचारी को जॉब सिक्युरिटी भी प्राप्त हो।
सत्यम शुक्ला, प्रवक्ता छग अनियमित कर्मचारी मोर्चा
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