छत्तीसगढ़

हाउसिंग बोर्ड की दोहरी नीति, आम के लिए अलग और खास के लिए अलग

Admin2
24 March 2021 5:58 AM GMT
हाउसिंग बोर्ड की दोहरी नीति, आम के लिए अलग और खास के लिए अलग
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शंकर नगर के रहवासियों को छूट और कबीर नगर वालों की रजिस्ट्री निरस्त करने की कवायद

भ्रष्ट अधिकारियों व्दारा विगत 15 सालों सेे भारी भ्रष्टाचार हाउसिंग बोर्ड में किया है, भ्रष्टाचार के मुद्दे को डायवर्ड करने नया फितूर

राज्य सरकार को भूमि परिवर्तन के अधिकार से वंचित करने का कारनाम हाउसिंग बोर्ड ने किया

मास्टर प्लान में ले-आउट पास आवासीय कालोनी को किसी भी प्रकार के व्यवसायिक परिवर्तन का प्रवाधान नहीं है

भूमि का व्यवसायिक परिवर्तन राज्य सरकार के अधीन है और इसका परिवर्तन संबंधित भूभाटक प्रब्याजी और दंडित राशि लेने का अधिकार सिर्फ राज्य शासन हो ही है

हाउसिंग बोर्ड ने शंकर नगर को मनमाने ढंग से व्यवसायिक कर शासन को करोड़ोंं रुपए राजस्व की हानि की है

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। हमेशा भ्रष्टाचार के लिए सुर्खियों में बने रहने वाले अधिकारियों ने सरकार का माइंड डायवर्ड करने के लिए मकान-दुकान की दोहरी नीति का चक्र चलाकर कमाई का नया फंडा ढूंढ रहे है और मकान मालिकों को रजिस्ट्री निरस्त करने का दम देकर वसूली के मूड में दिखाई दे रहे है। इस दोहरी नीति को लेकर राजधानी में चर्चा गरमाया हुआ है। हाउसिंग बोर्ड कालोनी कबीर नगर में मकानों में दुकान संचालित करने वालों की रजिस्ट्री निरस्त करने की नोटिस जारी कर रिहायशी लोगों में हड़कंप मचा दिया है। वहीं शंकर नगर में जितने भी मकान है सभी दुकान के रूप में परिवर्तित हो चुके है। उन मकान मालिकों को हाउसिंग बोर्ड ने खास होने का अलग से नीति निर्धारित कर उनकी रजिस्ट्री यथावत रखने का अभयदान दे दिया है। हाउसिंग बोर्ड की इस दोहरी नीति को लेकर हाउसिंग बोर्ड की कालोनियों में निवास कर रहे लोगों अज्ञात भय और किसी अनहोनी कार्रवाई से सशंकित नजर आ रहे है। राजधानी सहित प्रदेश में जितनी भी हाउसिंग बोर्ड का कालोनियों है- डीडी नगर, कचना, मोवा, जनता कालोनी,सड्डू, कबीर नगर, टाटीबंद, रायपुरा के मकान दुकान में परिवर्तित हो चुके है। ऐसे में कई मकान मालिक हाुसिंग बोर्ड कार्यालय पहुंचकर नोटिस के संबंध में जांच कर रहे है वहीं हाउसिंग बोर्ड दोहरी नीति की तैयारियों में जुटा हुआ है। पूर्व में जिन्हें नोटिस दिया जो चुका है, उनकी रजिस्ट्री शून्य कराने वाद दायर करने की कवायद जारी है। हाल ही में खुले दुकानों का चिन्हांकन करके नोटिस भेजी जा रही है। जबकि शंकर नगर में जब से मकान निर्माण होकर आवंटित हुआ है तब से मकान के अंदर दुकान चल रहे है। रोड के आसपास सहित अंदर गली में मकान को कमर्शियल रुप देकर आफिस कार्यालय में बदल दिया गया है, जो पिछले 25 सालों से संचालित हो रहे है। वहीं कबीर नगर में लोगों ने मकानों में ही दुकान बना लिए है, ऐसे मकान मालिकों को नोटिस देकर सात दिनों में यथास्थिति नहीं बहाल करने पर हाउसिंग बोर्ड ने आगे की कार्रवाई करने की नोटिस दी है। दुकान संचालित करने वालों में ज्यादातर मकान मालिकों को पूर्व में नोटिस जारी कर चुकी है। जिन मकान मालिकों को नोटिस जारी नहीं हुआ है उन्हें जल्द नोटिस जारी करने वाली है। समझ में नहीं आ रहा है हाउसिंग बोर्ड कमाई के चक्कर में कोई न कोई अफलातून कदम उठाकर सुर्खियों में आ ही जाता है। मकान आवंटित हुए 15 साल से अधिक हो चुके है अब दुकान के नाम पर कबीर नगर वालों को संताप देने नोटिस जारी कर दिया है। जबकि पूरे प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड की कालोनियों में दुकान संचालित हो रहे है, फिर उन्हें क्यों बख्शा जा रहा है। ऐसी दोहरी नीति क्यों, किसे फायदा पहुंचाना चाहती है हाउसिंग बोर्ड समझ से परे।

अधिकार नहीं फिर भी बोर्ड कर रहा भूमि का व्यवसायीकरण

हाउसिंग बोर्ड हमेशा कोई न कोई कार्रवाई के माध्यम से सुर्खियों में बने रहने के लिए आमादा रहता है। सरकार रियायती दर पर हाऊसिंग बोर्ड को गरीब और आवासहीन परिवारों के लिए आवासीय योजना के तहत सरकारी भूमि का आवंटन करती है। लेकिन हाउसिंग बोर्ड कानून का अतिक्रमण कर शासकीय भूमि को रियायती दरों में लेने के उपरांत अपने ही अधिकार क्षेत्र में मानकर भूमि का परिवर्तन समझौता शुल्क लेकर कर रहा है। जबकि भूमि का मालिकाना हक राज्य शासन के पास होता है और भूमि का किसी भी प्रकार का प्रयोग भूमि का परिवर्तन शासन की अनुमति और मास्टर प्लान में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की एनओसी और संबंधित सभी विभागों से अनुमति लेकर ही किया जा सकता है। सूत्रों से खबर आ रही है कि 15 साल से भ्रष्ट भाजपा शासनकाल में जमे और पदोन्नत हुए अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर शंकर नगर क्षेत्र में भी न्यू शंिित नगर जैसा प्रोजेक्ट लाने का इु:साहस कर सकते है।

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