छत्तीसगढ़

हाउसिंग बोर्ड का तालपुरी घोटाला, लोकायुक्त में शिकायतकर्ता के बयान दर्ज

Admin2
6 Feb 2021 4:53 AM GMT
हाउसिंग बोर्ड का तालपुरी घोटाला, लोकायुक्त में शिकायतकर्ता के बयान दर्ज
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08 पेज का बयान दर्ज, लगभग 700 पेज के दस्तावेज सौंपे गए

हाउसिंग बोर्ड के तालपुरी प्रोजेक्ट में 100 करोड़ से ज्यादा की अनियमितता हुई

भ्रष्ट अफ सरों ने ठेकेदार को फ ायदा पहुंचाने टेंडर अनुबंध में क्लास 3 सी के प्रावधान को ही हटा दिया

अधिकारियों ने बिना हृढ्ढञ्ज स्वीकृति के प्रोजेक्ट का टेंडर जारी किया

सर्विस टैक्स और खऱाब गुणवत्ता की शिकायत की जांच के बजाय की गई लीपापोती

उपायुक्त आरके राठौर तक पहुंचने के बाद हाउसिंग बोर्ड दफ्तर से फाइलें हो गईं गायब

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की तालपुरी आवास योजना में हुए करोड़ों के घोटाले पर लोक आयोग ने शिकायतकर्ता का बयान दर्ज कर लिया है। शिकायतकर्ता पप्पू फरिश्ता ने पिछले दिनों लगभग 08 पन्ने का बयान दर्ज कराया है और दस्तावेज सौंपे हैं। बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया तीन दिनों तक चला। माना जा रहा है कि इसके बाद लोकायुक्त मामले में प्रकरण दर्ज कर संबंधित पक्षों का भी जल्द बयान दर्ज करेगा। लोकायुक्त ने पिछले दिनों शिकायत के आधार पर हाउसिंग बोर्ड के अफसरों को दस्तावेज पेश करने को कहा था, हालांकि इस संबंध में बोर्ड के अफसर कोई भी जानकारी देने से बच रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई थी। कैग की रिपोर्ट में भी 115 करोड़ रुपये के खर्च को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। जांच हुई, लेकिन लीपापोती कर घोटाले को दबा दिया गया। गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि पदोन्नात कर दिया गया। अब लोकायुक्त में शिकायत के बाद एक बार फिर से यह मामला गरमा गया है। इस संबंध में बोर्ड के अधिकारी जांच का हवाला देकर अधिकृत तौर पर कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं।

हाउसिंग बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि भिलाई के रुआबांधा में तालपुरी प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल कालोनी के नाम से वर्ष 2008 में प्रचारित कर मकानों की बुकिंग करवाई गई। इस प्रस्तावित कालोनी में करीब 1800 मकान ईडब्ल्यूएस और 1800 सामान्य एलआइजी, एमआइजी व एचआइजी थे। ईडब्ल्यूएस आवासों को पारिजात व अन्य को गुलमोहर, लोटस, रोज, लिली, टिली, बीजी, डहलिया, आर्किड जूही, मोंगरा टाइप बनाए गए थे। इस पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसमें सर्विस टैक्स में गड़बड़ी करने और गुणवत्ता खराब होने की शिकायत मिलने पर सीएजी (कैग) ने 2012 में जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी। यह रिपोर्ट मार्च 2013 में सार्वजनिक हुई थी,जिसमें करीब 115 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। जानकारों का दावा है घोटाला इससे कहीं ज्यादा का है। सीएजी की रिपोर्ट में निर्माण का काम एजेंसी मेग्नाटोस कोलकाता को जिस दिन दिया गया, उसी दिन मेग्नाटोस ने एसएस निर्माण नामक एजेंसी को काम दे दिया। इन दोनों एजेंसियों ने अधूरा निर्माण कर गड़बड़ी की। ए और बी टाइप के जनसामान्य के आवासों के निर्माण में अलग-अलग रेट कोट किया गया। बाद में जब मोंगरा व जूही आवासों का निर्माण हुआ, उनमें भी ए टाइप को छोड़कर बी टाइप के आवास का रेट कोट किया गया, जबकि पहले ए टाइप के निर्माण में 19 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान दिया गया था। बाद में बिना कारण के यह छूट नहीं दी गई। छूट की आड़ में बोर्ड के जिम्मेदार अफसरों पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगा है।

तत्कालीन कार्यपालन अभियंता की भूमिका

जब पांच साल बाद भी तालपुरी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ तो बैंक लोन लेने वाले हितग्राहियों ने हाऊसिंग बोर्ड के विरुद्ध दबाव बनाना शुरू किया. ऐसे में हाउसिंग बोर्ड ने यथास्थिति मकान देने की योजना निकाली. इस दौरान तत्कालिन कार्यपालन अभियंता ने सामान परिस्थिति के मकानों का अलग-अलग मूल्य निर्धारण करवाकर भारी घोटाला किया।इसके अलावा कार्यपालन अभियंता ने हितग्राहियों से जानबूझकर नियम विरुद्ध सर्विस टैक्स डबल वसूली की। उनके विरुद्ध विभागीय जांच भी हुई। लेकिन विजलेंस अधिकारी केडी दीवान जो खुद भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त होने के साथ जेल गए। उन्होंने सांठगांठ कर जांच दबवा दी।

फाइलें भी कर दी गईं गायब

जब तालपुरी घोटाले की आंच बढऩे लगी तो बाद में तत्कालीन मुख्य संपदा अधिकारी सीएस बाजवा की अध्यक्षता में भी एक जांच कमेटी गठित की गई। जिसकी रिपोर्ट भी बनी. लेकिन यही रिपोर्ट वाली फ ाइलें उपायुक्त आरके राठौर तक पहुंचने के बाद हाउसिंग बोर्ड दफ्तर से गायब हो गई। हेराफेरी के लिए फर्जी बिल और फ र्जी स्टॉक को हथियार बनाया गया था. काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा राजनीतिक चंदे और दो रसूखदार लोगों ने हड़प लिया। घोटाले की शेष रकम हाऊसिंग बोर्ड के अधिकारियों के पास चली गई. इस घोटाले के संदिग्ध आरोपी प्रमोशन पाकर एडिशनल कमिश्नर बन गए है. इस मामले में हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपी अधिकारी अपने ही काले कारनामों की जांच कमेटी में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से शामिल रहते थे. जिसके कारण ना केवल जांच प्रभावित होती रही बल्कि मामला ही दबा दिया गया।

सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में टालमटोल

हाउसिंग बोर्ड के सूचना अधिकारी सहित बड़े अधिकारियों ने सूचना के अधिकार के तहत हाउसिंग बोर्ड में हुए निर्माण घोटाले और प्लांट आवंटन को लेकर पिछले 15 सालों की जानकारी मांगी गई। बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी हाउसिंग बोर्ड के सूचना अधिकारी जानकारी देने में टालमटोल करते रहे है जिसकी शिकायत सूचना आयोग में भी की गई उसके बाद भी जानकारी नहीं दी गई। सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करना हाउसिंग बोर्ड की आदत में शुमार हो गया है।

सिराजुद्दीन के साथ पहले भी हुआ था कमिश्नर की मीटिंग में दुव्र्यवहार

हाउसिंग बोर्ड के दो कर्मचारियों के बीच मारपीट का मामला सामने आया है। अवैध वसूली के आरोप-प्रत्यारोप पर विवाद हुआ। राजधानी रायपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र अंतर्गत शंकरनगर स्थित आस्था अपार्टमेंट के सामने मारपीट हुई। इसके पहले भी 2020 में भी कमिश्नर के सामने भरी मिटिंग में सिराजुद्दीन के साथ दुव्र्यवहार किया गया था। संपदा अधिकारी मोहम्मद सिराजुद्दीन ने विभाग में पदस्थ पीआरओ राजेश नायर पर 10 लाख रुपयों की अवैध वसूली के चलते मारपीट करने का आरोप लगाया है। सिराजुद्दीन ने कहा कि राजेश द्वारा अक्टूबर 2020 में भी जबरदस्ती बदनाम कर प्रमोशन रुकवा देने की धमकी देते हुए 10 लाख रुपयों की मांग की थी, जिस पर सिराजुद्दीन ने पैसे देने से साफ इन्कार कर दिया था। मनोज नायर हाउसिंग बोर्ड में इससे पहले भी कई बार अधिकारी और कर्मचारियों से लड़ाई झगड़ा कर चुका है। इस बात की सूचना सिराजुद्दीन ने कार्यालय में पदस्थ अन्य कर्मचारियों को भी दी थी। आरोप है कि राजेश नायर द्वारा प्रेस-मीडिया के माध्यम से बदनामी करवा देने की धमकी देकर अपने घर से कैंटीन जाते हुए सिराजुद्दीन की गाड़ी के सामने अपनी गाड़ी अड़ाकर जबरदस्ती गाली-गलौच कर मारपीट की। इसके बाद सिराजुद्दीन ने घटना की सूचना डायल 112 में दी। इसके बाद दोनों अधिकारी थाना पंहुचे।सिराजुद्दीन को पुलिस डाक्टरी मुलाहिजा कराने रात में ही लेकर अस्पताल गई। वहीं, इस मामले में पुलिस के आला अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं। दोनों पक्षों के लोग भारी संख्या में सिविल लाइन पुलिस थाना पहुंचे थे। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई है, जिसकी फुटेज प्राप्त करने में पुलिस टीम जुटी हुई है।

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