सरकार लोगों को रोजगार दे रही है और कमिश्नर बेरोजगार कर रहे हैं
हाउसिंग बोर्ड सरकार की छवि को कर रहा धूमिल
एक दर्जन दैनिक वेतन भोगियों को नौकरी से बाहर किया
वर्षो से काम कर रहे कर्मचारी मिलेंगे सीएम से
कमिशनर के कार्यप्रणाली से कर्मचारी हलाकान
विगत कई सालों से हाउसिंग बोर्ड की अनियमितताओं को जनता से रिश्ता उजागर करते आ रहा है
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों कोर्ट के निर्देशानुसार 58 प्रतिशत आरक्षण बहाल होने के बाद तुरंत प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल दनादन नौकरी की झड़ी लगा दिए थे। देखा जाय तो पिछले माह में ही सरकार ने लगभग 25 से 30 हजार करीब नई भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। जिसमें सबसे ज्यादा लगभग 12 हजार से अधिक शिक्षकों के पद है।ताकि सभी जिलों-तहसीलों में स्वामी आत्मानंद विद्यालय खोलकर अच्छी से अच्छी शिक्षा आम लोगों के बच्चों को दे सकें। साथ ही सीएम भूपेश बघेल अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने साथ एवं नई भर्ती करने जनहित में मुहिम चला रहे है। दूसरी ओर हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर वर्षो से कार्यरत कर्मचारियों को नौकरी से बाहर निकालकर भूपेश बघेल की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। इस बात से भूपेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है। हाउसिंग बोर्ड हमेशा अपनी करनी से सुर्खियों में बना रहता है। एक तो लोगों को गुणवत्तायुक्त मकान-दुकान नहीं देने का धब्बा तो लगा ही है, वहीं नियमित लीजरेंट और क्रयभाड़ा वसूली करने वाले दैनिक वेतन भोगियों को कमिश्नर ने तानाशाही तरीके से बिना नोटिस के काम से हटा दिया। इस संबंध में हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन कुलदीप जुनेजा ने कहा कि विभाग में नियमित कर्मचारियों की संख्या कम होने के वजह से प्लसमेंट के जरिए काम पर रखा गया था, और इनके ही भरोसे विभाग का काम चल रहा था। अचानक इनको निकाल देना समझ से परे है। इस संबंध में मैं कमिश्नर से बात करूंगा और उपर भी बात करूंगा। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा लेकिन खुद अपने स्टाफ को नहीं बचा पाए। उन्होंने आगे कहा मैं कर्मचारियों के साथ हूं। निकाले गए कर्मचारी विभाग के की-पर्सन माने जाते थे, कमिश्नर ने ऐसे मौैके पर निकाला है जब हाउसिंग बोर्ड के कामों पर उंगली उठ रही है। हाउसिंग बोर्ड मकान के मामले में कमिटमेंट भी पूरा नहीं कर रहा है। जबकि ये वही कर्मचारी है जो दिनरात हाउसिंग बोर्ड में लिखा पढ़ी से लेकर प्यून-साफ सफाई का काम करते थे। अब उनके सामने भूखेमरने की नौबत आन पड़ी है। कर्मचारी संघ ने कहा कि हमें चेयरमैन पर पूरा विश्वास है, हमारे साथ न्याय होगा ऐसा विश्वास है।
रेरा ने लगाया था जुर्माना
पिछले साल रेरा ने बड़ी कार्रवाई करते हाउसिंग बोर्ड पर जुर्माना भी लगाया था। धमतरी निवासी एक उपभोक्ता ने रेरा में शिकायत की थी। उसे छग हाउसिंग बोर्ड नवा रायपुर में क्करूत्रस्ङ्घ के तहत रुढ्ढत्र फ्लैट 25 जून 2016 को आबंटित किया था। जिसका भुगतान उन्होंने 8 लाख 50 हजार रूपए 1 फरवरी 2018 तक कर भी दिया था। फ्लैट नहीं दिया गया. इस मामले में रेरा अध्यक्ष ने हाउसिंग बोर्ड को फटकार लगाते जुर्माना लगाया था।
बोर्ड चेयरमैन असहाय, अफसर हावी
विधायक कुलदीप जुनेजा के निजी स्टाफ को भी कमिश्नर ने दबंगई के साथ हटा दिया है। चेयरमैन पूरी तरह असहाय नजर आ रहे है। कर्मचारी नहीं होने सेे चेयरमैन का काम भी प्रभावित हो रहा है। विधानसभा में जनता की आवाज उठाने वाले चेयरमैन अपने ही स्टाफ के लिए आवाज नहीं उठा पा रहे है। इस तरह का असहाय चैयरमैन किसी भी कार्यकाल में नहीं देखा गया। भाजपा शासनकाल में सुभाष राव और सवन्नी का जलवा केबिनेट मंत्री से भी ज्यादा पावरफुल था। 30-40 निजी स्टाफ के साथ प्रोटोकाल पायलट वाहन लेकर चलते थे। कभी भी कमिश्नर की हिम्मत नहीं हुई की उनके स्टाफ से छेड़छाड़ कर सके। पूर्व अध्यक्ष ने जगदलपुर-कोंडागांव के दर्जनों लोगों को नौकरी पर रखा और वे नियमित हो गए। वहीं एक पूर्व चेयरमैन ने भी अपने कार्यकाल में बिलासपुर-मुंगेली के लोगों को नौकरी पर रखा और वे नियमित हो गए। जबकि पिछले चार साल साढ़े में हाउसिंंग बोर्ड चेयरमैन तो दो साल पहले नियुक्त हुए है। उसके पहले के सभी स्टाफ नियमित होकर अपने-अपने जिले में काम कर रहे है।
मकान निर्माण को लेकर छिछालेदर
किसी सरकारी संस्थान की इतनी छिछालेदर नहीं हुई जितनी हाउसिंग बोर्ड की हुई है। यह न तो अपने अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा कर पा रही है और न ही पूर्व में दिए मकानों-दुकानों का मेंटनेंस कर पा रही है। जो संपत्ति है उसे पब्लिक ने घटिया निर्माण का ताज पहना दिया है। करोड़ों अरबों की संपत्ति पानी की तरह डिसमेंटल की स्थिति में आ चुकी है। नया कोई काम नहीं है, जिसके स्ववित्त पोषित संस्था की आय बढ़े। यहां तो सरकार से जो अनुदान मिलता है उससे अफसरों की उदर पूर्ति और शानो-शौकत पर खर्च किया जाता है। जबकि दैनिक वेतन भोगिया के लिए फंड लीजरेंट और किराया क्रय भाड़ा से पूरा होता है।
अरबों की सरकारी संपत्ति वाला कंगाल हाउसिंग बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति होने के बाद भी कंगाली की हालात के पीछे कहानी ही कुछ अलग है। जो भी चेयरमैन बना हाउसिंग बोर्ड को निजी संपत्ति की तरह उपयोग किया। लोगों से पूरे पैसे लेकर भी गुणवत्ता युक्त मकान-दुकान नहीं दो पाया। जिसके कारण हाउसिंग बोर्ड का आधे सेे अधिक संपत्ति पर अवैध कब्जाधारी वाले काबिज है जिस पर कार्रवाई करने के लिए स्टाफ नहीं है उपर से जो है उसे भी हटा दिया गया है। वहां पर नियमित काम करने वाले कर्मचारी दैनिक वेतन भोगियों के बराबर भी काम नहीं कर पा रहे है।संपत्ति का देखरेख रखरखाव शून्य होने से कबाड़ी लोहा काट कर निकाल ले गए है।
अधिकारी मालामाल सरकार व बोर्ड कंगाल
हाउसिंग बोर्ड अपनी करनी और कथनी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रही है? बिना सोचे समझे अपने लोगों को खुश करने के लिए धड़ाधड़ प्रोजेक्ट तैयार कर सरकार को अरबों रुपए के कर्ज से लाद दिया। विगत 15 वर्षों से अनाप-सनाप लाया गया जो अभि तक नहीं विके व जरजर हालत में हो गए। छग के जनता के पैसा की जम कर दुरुपयोग हुई है। अब मकानों का रेट बढऩा तो दूर 30 से 40 प्रतिशत कम में भी मकानों के खरीददार नहीं मिल रहे। वहीं संपत्ति समय पर नहीं बिकने से डिसमेंटल की स्थिति में आ चुके हैं। पूरे प्रदेश में यह अधिकारियों की मनमानी का शिकार हुआ है। अधिकारी अपने चहेतों को मालामाल करने बिना टेंडर से निर्माण का ठेका देकर हमेशा सुर्खिया बटोरा है।
निकाले गए कर्मचारियों को योग्यता के हिसाब से रखा जाएगा। फिलहाल 4 लोगों को वापस ले लिया गया है। बाकी लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार समायोजित कर दिया जाएगा।
-एसएन राठौर (आईएएस)
कमिश्नर हाउसिंग बोर्ड