हर प्रोजेक्ट में बंदरबांट, अधिकारियों-ठेकेदारों ने मिली भगत से करोड़ों कमाए
घोटालों का हाऊसिंग बोर्ड, भ्रष्ट अधिकारियों की मौज...
गृह निर्माण मंडल में ब्रांड कंपनी के नाम पर किया रंगरोगन घोटाला
ठेकेदार ने अफसरों से मिलीभगत कर घटिया सामग्री का किया इस्तेमाल
तालपुरी में लगभग 1000 करोड़, हिमालयन हाइट्स में 500 करोड़, अभिलाषा परिसर में 700 करोड़ का घोटाला करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की जगह जेल होना था। उन भ्रष्ट अधिकारियों को मुख्यालय में पदस्थ कर मौज-मस्ती के लिए खुली छूट दे कर रखे हैं.
रायपुर। गृहनिर्माण मंडल के अफसरों और ठेकेदार की मिलीभगत से हाऊसिंग बोर्ड के आधिपत्य वाले बिल्ंिडग के रंगरोगन के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया है। बहुमंजिला बिल्डिंग की रंगाई-पुताई मामले की जानकारी के लिए लगाई गई आरटीआई का जवाब देने में अफसरों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड जमीन पर अपनी योजना के तहत आवासीय और कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण किया है। इसके रंगरोगन का ठेका तथाकथित कंपनी को दिया गया है। कंपनी ने करोड़ों रुपए के इस काम को करने का जिम्मा एक स्थानीय ठेकेदार को सौंप दिया, जिसने गृह निर्माण मंडल के अफसरों से मिलीभगत कर ब्रांड कपनी के नाम पर घटिया रंग से पूरी बिल्डिंग की रंगाई-पुताई के नाम पर काला पीला कर दिया?
नए ठेकेदार ने शुरू किया काम
हाऊसिंग बोर्ड की बहुमंजिला बिल्डिंग में रंगरोगन घोटाला उजागर होते ही हाउसिंग बोर्ड अफसरों ने ठेकेदार पर शिकंजा कसा तो ठेकेदार काम छोडक़र भाग गया। इसके चलते ठेका लेने वाली कंपनी ने नए पेटीकॉन्ट्रेक्टर को रंगरोगन का ठेका दे दिया। इस तरह पुराना ठेकेदार जिसने रंगाई-पुताई में घोटाला किया उसकी जगह नए ठेकेदार ने कामकाज शुरू कर दिया है। ठेकेदार बदले जाने के संबंध में जब अधिकारियों से जानकारी लेना चाही तो वह ठेका लेने वाली कंपनी को जिम्मेदार बताते हुए इस मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।
ड्रग्स माफिया कर रहे कब्जा,जमीन पर अवैध कब्जा
हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर ड्रग्स माफिया द्वारा अवैध निर्माण किया जा रहा है, जिसकी शिकायत रहवासियों द्वारा सीएम हेल्पलाइन, क्षेत्रीय पार्षद और नगर निगम के बिल्डिंग ऑफिसर तक की गई, इसके बावजूद अवैध निर्माण लगातार जारी है। अब यहां नशाखोरों का जमावड़ा शुरू हो गया है। कब्जे और नशाखोरी से परेशान पीडि़त रहवासी क्षेत्रीय विधायक के पास पहुंचे तो विधायक ने निगम अधिकारी को सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए। रहवासियों ने बताया कि क्षेत्र में रहने वाले ड्रग माफिया लोगों के साथ मिलकर हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर अवैध तरीके से मंदिर निर्माण करवा रहा है। एक बार पहले भी अवैध मंदिर निर्माण किया गया था, जिसे हटाया गया था, लेकिन अगस्त 2023 से एक बार फिर अवैध निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही ग्रीन बेल्ट में लगे हुए कई पेड़ भी काट दिए गए हैं, जिसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन, क्षेत्रीय पार्षदऔर निगम के संबंधित अधिकारियों से की गई है, लेकिन इस मामले में पार्षद की निष्क्रियता सामने आई है।
जमा कराए 56 लाख रुपये
शंकर नगर में पदस्थ संपदा अधिकारी हितग्राहियों को टैक्स की रसीद तो देता था लेकिन उनसे वसूली गई रकम सरकारी खजाने में जमा नहीं करता था।हाउसिंग बोर्ड के सूत्रों की माने तो संपदा अधिकारी ने दो करोड़ रुपये की रसीद बुक जला दी या फिर गायब कर दी है। मामले का पर्दाफाश होने पर उसने जुलाई 2020 में हाउसिंग बोर्ड के खाते में चुपचाप 25 लाख जमा कराए उसके बाद दूसरी किस्त में करीब 31 लाख रुपये जमा करवाए।
इस तरह कुल 56 लाख रुपये जमा किया। आकलन है कि मामले की पूरी जांच की जाए तो 15 करो? रुपये से अधिक की गड़बड़ी सामने आएगी। बनर्जी ने अभी बाकी राशि नहीं जमा की है तथा विभाग की तरफ से उसपर केस भी दर्ज नहीं हुआ है। अफसरों ने अभी तक इस मामले को दबा रखा है।
स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन
पोल खुलने के बाद संपदा अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन लगा दिया है। आवेदन में लिखा है कि वह पिछले 10 से 12 सालों से बीपी और शुगर से पीडि़त है। इसके लिए उसको इंसुलिन भी लेना पड़ता है। साथ ही वह शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ है। वर्तमान में उसका उपचार चल रहा है इसलिए उसे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति दे दी जाए।
यह नियम कर दिए मोडिफाई
मध्य प्रदेश राज्य की ओर से बैंक और वित्तीय संस्थान, श्रमिकों के साथ चल रहे प्रकरणों में देनदारियों के निराकरण का अनुभव हो, जो कम से कम 100 करोड़ रुपए का होना चाहिए।10 वर्षों में प्रदेश सरकार की यूएलबी के लिए 100 से 500 करोड़ या 700 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाने का अनुभव भी संबंधित फर्म के लिए आवश्यक किया गया है।
तीन अफसरों पर हाउसिंग बोर्ड घोटाले में हो सकती है कार्रवाई
हाउसिंग बोर्ड अपने कारनामे से हमेसा सुर्खियों में रहता है। 8 वर्ष पहले हुए एक फर्जी नामांतरण के आधार पर दूसरों के प्लॉट बेच देने के मामले में बोर्ड के 3 अधिकारी भी फंसते जा रहे हैं। पुलिस ने तीनों की प्रकरण में भूमिका पर शासकीय अधिवक्ता से राय मांगी है। पुलिस का कहना है तीनों अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। हाउसिंग बोर्ड से दो प्रकरणों की और भी डिटेल मांगी है।
दीनदयाल नगर के दो प्लॉट का फर्जी नामांतरण करने के मामले में दीनदयाल नगर थाने में 2 अलग-अलग एफआईआर दर्ज है। इन मामलों में एक महिला, हाउसिंग बोर्ड के 3 कर्मचारी और 2 दलाल गिरफ्तार किए गए हैं। पांचों फिलहाल जेल में हैं। इसके अलावा पुलिस ने मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले जितेंद्र और पप्पू शर्मा के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया है। ये दोनों फरार हैं। दोनों ही एफआईआर में आवेदकों ने हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालन यंत्री डी.के. बाथम, प्रभारी संपदा अधिकारी पवन दाभाड़े और सहायक संपत्ति अधिकारी वी.डी. नागर के नाम भी लिखाए हैं। तीनों के खिलाफ पुलिस ने फिलहाल कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया है। हाउसिंग बोर्ड में चल रहे इस खेल को उजागर करने वाली आरटीआई कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मंगलवार को एसपी अविनाश शर्मा से मुलाकात की थी। इन लोगों ने आरोप लगाए कि तीनों ही अधिकारियों की प्रकरण में स्पष्ट भूमिका होने के बावजूद इन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।
एसपी ने इस मामले में डीडी नगर थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह पंवार को निर्देश दिए थे। पंवार ने भास्कर को बताया कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ फिलहाल पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इस कारण तीनों को आरोपी नहीं बनाया गया है। प्रकरण में तीनों ही अधिकारियों की आपराधिक भूमिका के संदर्भ में शासकीय अधिवक्ता से सलाह मांगी गई है।र्ड को भी नोटिस जारी कर प्रकरण से जुड़े कुछ और दस्तावेज मांगे हैं।
हाउसिंग बोर्ड शंकर नगर जोन-दो में दो करोड़ रुपये का रसीद घोटाला
हाउसिंग बोर्ड में 24 साल के घोटालों की जांच की जाए तो अकेले इसी जोन में करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आ सकता है। छत्तीसगढ़ में ऐसे 22 डिवीजन हैं और घोटाले की राशि हर जगह जांच की जरूरत बता रही है। शंकर नगर हाउसिंग बोर्ड कार्यालय के सब-डिवीजन दो के अंर्तगत कचना, शंकर नगर, खम्हारडीह, सरहद, बोरियाखुर्द, डूमरतराई और धरमपुरा आदि हाउसिंग बोर्ड सोसायटी आते हैं। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) शंकर डिवीजन-दो में दो करोड़ रुपये का रसीद घोटाला सामने आया है। यहां कार्यरत संपदा अधिकारी एके बनर्जी टैक्स की रकम की खोजबीन शुरू होने पर फरार हो गया था। वह दो दिन तक लापता रहा। मगर, उसके साथियों ने ही ढूंढ़ निकाला। इसके बाद उसने स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) के लिए आवेदन कर दिया और मामले को दबाने केलिए गुपचुप तरीके से 56 लाख रुपये जमा करा दिए गए। यहां मकान पर अधिपत्य लेने के बाद मेंटेनेंस, जल कर और अन्य मदों में हितग्राहियों से नकद राशि ली जाती है। इस मद में एक साल में करीब दो करोड़ 20 लाख रुपये टैक्स के रूप में वसूल किए जाते हैं। मगर यहां तैनात मुख्य संपदा प्रबंधक और उसके अधिकारियों ने इस रकम को पचा लिया। साल 2016-17 से 2019-20 तक करीब दो करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।
हद तो तब हो गई जब हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने संपदा अधिकारी के ऊपर कार्रवाई करने के बजाय जांच का हवाला देकर उसे दोबारा ड्यूटी पर रख लिया। अधिकारी का कहना है कि मामले में अभी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट होगा कि कितने रुपये का गबन किया है।