उम्मीद जगाती 'आशा एक उम्मीद की किरण ', सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं अपना रही हैं स्व-रोजगार
कोंडागांव। ममता झा, जयमनी देवांगन, इंद्रा देवांगन, सुब्बी मरकाम, पुष्पलता देवांगन, श्रीमती आरती मरकाम एवं श्रीमती अर्चना शर्मा जैसी कई महिलाएं है, जो आज घर की चार दीवारी से बाहर निकलकर अपने सपनों को पूरा कर पा रही है। कुछ कर गुजरने की चाह लिए यह महिलाएं अवसर की तलाश में थी। इनके उम्मीदों को पंख देने का काम किया है ''आशा एक उम्मीद की किरण'' नामक महिला संस्थान ने। अपने नाम के अनुरूप यह संस्था महिलाओं को न केवल सिलाई कार्य में प्रशिक्षित कर स्व-रोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रही है, बल्कि अपने स्तर पर लघु उद्यम स्थापित करने में भी मदद कर रही है। आज इस प्रोजेक्ट से 150 महिलाएं जुड़ी है।
कोण्डागांव जिले में लाईवलीहुड कॉलेज के सौजन्य से संचालित ''आशा एक उम्मीद की किरण'' परियोजना से जुड़ी प्रशिक्षक श्रीमती वेदिका पांडेय ने बताया कि वर्तमान में इस प्रोजेक्ट से 150 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें जिला मुख्यालय के अलावा आस-पास के गांव-देहात की महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सिलाई से संबंधित सभी कार्य एवं इससे जुड़ी बारीकियां सिखाई जाती है। यहां पर आंगनबाड़ी से लेकर स्कूली बच्चों के गणवेश एवं महिलाओं के कपड़े बनाना भी सिखाया जाता है। इनकी आपूर्ति शासकीय और गैर शासकीय विभागों में भी की जाती है। इनमें शिक्षा विभाग, आदिम जाति विकास विभाग प्रमुख हैं। हाल ही में महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए कपड़े सिलाई के ऑर्डर भी मिले हैं। इसके अलावा कोरोना काल में मास्क निर्माण का कार्य भी इन महिलाओं द्वारा किया गया था। अगर कोई महिला निजी तौर पर अपने घर में ही सिलाई करना चाहती है, तो उन्हें भी सिलाई मशीन के लिए ऋण दिया जाता है। उक्त प्रशिक्षण केन्द्र में ग्राम बांसकोट निवासी श्रीमती आरती मरकाम, कोण्डागांव मुख्यालय निवासी श्रीमती अर्चना शर्मा के अलावा संस्थान में कार्यरत् अन्य महिलाएं ममता झा, जयमनी देवांगन, इंद्रा देवांगन, सुब्बी मरकाम, पुष्पलता देवांगन ने बताया कि कपड़ों की सिलाई को वे हमेशा एक व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहती थीं, परंतु इस हुनर में पारंगत न होने तथा सहीं एवं व्यवस्थित प्रशिक्षण के अभाव की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा था। परंतु अब 'आशा एक उम्मीद की किरण' संस्थान से जुड़ने एवं यहां प्रशिक्षित होने से अब वे पूरे आत्मविश्वास के साथ इसे व्यवसाय के रूप में अपना चुकी हैं। इन महिलाओं ने इसके लिए राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया है।