छत्तीसगढ़

कांग्रेस सरकार आने के बाद हिंदुत्व खतरे में: कौशिक

jantaserishta.com
8 Oct 2021 4:32 AM GMT
कांग्रेस सरकार आने के बाद हिंदुत्व खतरे में: कौशिक
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कवर्धा विवाद: बीजेपी ने की न्यायिक जांच की मांग।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कवर्धा में हुए विवाद को लेकर सियासी संग्राम जारी है. भाजपा इस मामले को लेकर अब राजभवन तक जाने वाली है. कल भाजपा के बड़े नेता जहाँ कवर्धा दौरे पर थे, आज उन्होंने प्रेसवार्ता कर सरकार पर कई आरोप भी लगा दिए. भाजपा नेताओं ने प्रेसवार्ता कर पूरे मामले में न्यायिक जाँच की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि हम कवर्धा के हालात का जायज़ा लेने गए थे. कवर्धा में नवरात्रि के पहले पुराना ध्वज हटाकर नया लगाने की परंपरा रही है. ध्वज लगाने के बाद अधिकारियों को बुलाया गया. अधिकारियों ने दुर्गेश देवांगन को बुलाकर ध्वज निकलवाया. इसके ठीक बाद एक भीड़ आई और दुर्गेश को अधिकारियों की मौजूदगी में पिटा गया. इसके बाद दोनों समुदायों के बीच झड़प के हालात बने. एक समुदाय से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ ज़्यादा एफआईआर दर्ज की गई. दूसरे समुदाय के कम लोगों के ख़िलाफ़ प्रकरण बना. कई ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज की गई, जो वहां नहीं थे. छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में कम चल रहा है. घटना को लेकर कलेक्टर-एसपी जि़म्मेदार है, लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई. धरमलाल कौशिक ने कहा कि बीजेपी इस मामले में कल राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगी. हम इस पूरे मामले में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं. दूसरे समुदाय के ऐसे लोग जिनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं हुई. ऐसे लोगों की गिरफ़्तारी की जाए. बेवजह गिरफ़्तार किए गए लोगों की निशर्त रिहाई की जाए.
प्रशासन की नादानी की वजह से घटना : पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस घटना की तैयारी लंबे समय से की जा रही थी. 3 तारीख़ को घटना को रोका जा सकता था. भगवा ध्वज शौर्य का प्रतीक है. सनातन परम्परा का प्रतीक है. ये बीजेपी, कांग्रेस का झंडा नहीं था. धर्मातरंण के मामले को हम लगातार उठा रहे हैं. प्रशासन ऐसे मामलों को संरक्षण दे रहा है. कवर्धा में पथराव शुरू करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं हुई. इस घटना का ही विरोध था कि गाँव-गाँव से लोग 5 तारीख़ को वहां पहुंचे. शहर के बाहर बीस हज़ार से ज़्यादा लोगों ने चक्काजाम किया. प्रशासन की नादानी की वजह से घटना घटित हुई. मुख्यमंत्री हाईकमान को खुश करने उत्तर प्रदेश की सैर कर रहे हैं. गृहमंत्री लापता है. प्रभारी मंत्री अज्ञातवास पर हैं. पीडि़त परिवारों से मिलने की मांग हमने की थी, लेकिन हमें सर्किट हाउस में रोक दिया गया. हमने लोगों से अपील की है कि शांति व्यवस्था बनी रहे.
आईजी सिन्हा की गिरफ्तारी की मांग, भाजपा नेताओं ने डीजीपी को भेजा ज्ञापन : कवर्धा कांड पर बयान देने वाले दुर्ग आई विवेकानंद सिन्हा के खिलाफ एफआईआर करने और गिरफ्तार करने की मांग करते हुए भाजपा नेताओं ने पुलिस महानिदेशक के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन सौंपने वालों में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और भाटापारा विधायक शिवरातन शर्मा आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि आज दोनों भाजपा नेता कवर्धा में मौके पर जाना चाहते थे। वे रवाना भी हो चुके थे, लेकिन कवर्धा के बाहर ही नेशनल हाइवे पर दोनों नेताओं को पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर रोक लिया। वे वहीं धरने पर बैठ गए और आईजी सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने लगे। धरने पर बैठे अजय चंद्राकर ने कहा कि ये वही पुलिस अफसर हैं, जिन्होंने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय का अंग-भंग किया था। और अब, कवर्धा कांड पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बयान दे रहे हैं कि कवर्धा में माहौल बाहर से आए भाजपाइयों ने बिगाड़ा है। गौरतलब है कि आज नेशनल हाइवे पर धरने में बैठे-बैठे दोनों नेताओं ने फोन पर कलेक्टर से बातचीत की, लेकिन इसके बाद भी उन्हें धारा 144 प्रभावशील इलाके में प्रवेश से रोका गया। ज्ञातव्य है कि कवर्धा में आज धार 144 का तीसरा दिन है।
जल्द सब के सामने आएगा कवर्धा की घटना सच: मुख्यमंत्री बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि एक-दो दिन में वे खुद इसकी जानकारी सभी लोगों के साथ साझा करेंगे।
छत्तीसगढ़ में बीते दिनों कवर्धा में हुई घटना को लेकर सियासत का दौर शुरू हो गया है। भाजपा के सदस्?यों ने बुधवार को कवर्धा में बीते दिनों हुई घटना में पीडि़त परिवार से मिलने के लिए गए थे। इसी घटना के बाद प्रदेश के मुखिया सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कवर्धा में छोटी सी घटना को बड़ा रूप देने की साजिश की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि जल्द ही इस घटना का सच सबके सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में वे खुद इसकी जानकारी सभी लोगों के साथ साझा करेंगे। यह बातें मुख्यमंत्री निवास पर गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता में एक सवाल के जवाब मुख्?यमंत्री भूपेश बघेल ने कहीं। बघेल ने प्रेसवार्ता में कहा कि हमारा प्रदेश शांति प्रिय है। प्रदेश की शांति भंग करने वालों को नहीं छोड़ा जाएगा। यह अपराध है। यहां इस तरह की घटना को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भाजपा के प्रतिनिधि मंडल को वहां जाने से रोके जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हम शांति व्यवस्था को बिगडऩे देना नहीं चाहते। इसके अलावा लखीमपुर खीरी के किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से 50 लाख रुपये दिए जाने की घोषणा के बाद इस घोषणा को लेकर विपक्ष की तरफ से उठ रहे सवालों पर भूपेश बघेल ने अपनी बात रखी। भूपेश बघेल ने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना की तुलना दूसरी किसी घटना से नहीं की जा सकती। वहां किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन उनकी आवाज दबाने की कोशिश की गई।
सांसद संतोष पांडेय, अभिषेक समेत 14 के खिलाफ एफआईआर
दो दिन पहले 5 अक्टूबर को शहर में कानून-व्यवस्था बिगडऩे व हिंसा के मामले में अब भाजपा के बड़े नेताओं के नाम भी एफआईआर की कॉपी में जोड़ दिए गए हैं। इन नेताओं में राजनांदगांव-कवर्धा लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पांडेय, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, अशोक साहू, भाजपा प्रदेश मंत्री विजय शर्मा, विश्व हिन्दू परिषद के जिला प्रमुख नंदलाल चंद्राकर, भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल सिंह, भाजयुमो जिलाध्यक्ष पीयूष ठाकुर समेत वरिष्ठ नेता कैलाश चंद्रवंशी, राजेन्द्र चंद्रवंशी, पन्ना चंद्रवंशी, उमंग पांडेय, राहुल चौरसिया, भुनेश्वर चंद्राकर के नाम शामिल हैं। ये सभी कबीरधाम भाजपा के प्रथम पंक्ति के नेता हैं। इससे पहले तक मामले में 59 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिन पर बलवा समेत कई धाराएं लगाई गई हैं। इन पर धारा 147, 148, 149, 153 क, 188, 295, 332, 353, भादवि की धारा 109 व लोक संपत्ति की क्षति की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है। भाजपा ने एफआईआर की कॉपी कोर्ट से निकलवाई है, तब जाकर इन वरिष्ठ नेताओं का नाम पता चल सका है। जानकारी के मुताबिक इनके खिलाफ भी 5 अक्टूबर की तारीख में ही एफआईआर की गई है। ऐसे में संभव है कि जल्द ही इनकी गिरफ्तारी हो। हालांकि, एसपी मोहित गर्ग ने कहा कि मामला संवेदनशील है, इसलिए वे बिना सूची देखे यह नाम नहीं बता सकेंगे।
ये पीसीसी प्रदेश कांग्रेस कमेटी नहीं, पुलिस कांग्रेस कमेटी : इस विषय पर सांसद संतोष पांडेय ने कहा कि ये जो पीसीसी कहते हैं न प्रदेश कांग्रेस कमेटी यह दरअसल पीसीसी यानी पुलिस कांग्रेस कमेटी हो गई है। प्रशासन के साथ हुई बातचीत में 59 लोगों की गिरफ्तारी के बाद इस संख्या को आगे न बढ़ाने को लेकर आश्वासन दिया गया था। इन 59 लोगों में भी जो दोषी नहीं हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है। बाद में फिर से जो 14 नाम जोड़े गए हैं, यह राजनीतिक विद्वेष की भावना को दर्शाता है। गिरफ्तारी के लिए चुन-चुनकर भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं का नाम शामिल करना, धारा बढ़ाना, साफ-साफ राजनीति झलकती है।


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