मां-बेटी को मुआवजा देने हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, फर्जी केस का मामला
बिलासपुर। पड़ोसी से बाउंड्री वॉल बनाने के विवाद को लेकर शिकायत करने पहुंची रिटायर्ड शिक्षिका और उनकी इंजीनियर बेटी को सिविल लाइन पुलिस ने पुलिस ने अवैध तरीके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। दोनों को 30 घंटे के बाद जमानत पर रिहा किया गया। दोनों ने संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका लगाई थी।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने पुलिस को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन का जिम्मेदार ठहराते हुए मां को एक लाख रुपए और बेटी को दो लाख रुपए जुर्माना देने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। 30 दिनों के भीतर राशि का भुगतान करने कहा गया है।
ग्रीन गॉर्डन कॉलोनी के पीछे नंदन विहार, मंगला में रहने वाली रिटायर्ड शिक्षिका अंजू लाल और उनकी बेटी दीक्षा लाल ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें बताया था कि उन्होंने अंग्रेजी और सोशियोलॉजी में एमए किया है और रिटायर्ड शिक्षिका हैं। उनकी बेटी ने बीई सिविल के बाद बीएड किया और वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। उनका आरोप है कि उनके पड़ोसी सड़क की जमीन पर बाउंड्री वॉल बना रहे हैं। इसी बात की शिकायत करने पर सिविल लाइन पुलिस ने 16 सितंबर 2023 को मां-बेटी को ही उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। दोनों को दोपहर करीब 12.30 बजे गिरफ्तार करने के बाद एक कमरे में बंद कर दिया गया।
इधर, हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में पुलिस की तरफ से बताया कि पुलिस शिकायत की जांच करने मौके पर पहुंची थी। पता चला कि पड़ोसी सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर अपनी जमीन पर वैध तरीके से बाउंड्री वॉल बना रहे थे। मां- बेटी के विवाद करने की पुलिस से शिकायत की गई। शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस से मां और बेटी ने विवाद किया। समझाइश के बाद भी रवैया नहीं बदलने पर दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस थाने लेकर आई। इसके तत्काल बाद महिला के बेटे को उसके मोबाइल पर सूचना दी गई थी।