छत्तीसगढ़

गांव में घुसा जंगली हाथियों का झुण्ड, इलाके में मचा हड़कंप

Shantanu Roy
3 April 2022 4:27 PM GMT
गांव में घुसा जंगली हाथियों का झुण्ड, इलाके में मचा हड़कंप
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छग

लखनपुर। वन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत लब्जी के आश्रित ग्राम लोटाढोढ़ी में पिछले एक पखवाड़े से हाथियों के दल ने ग्रामीणों का सुख-चैन छीन लिया है। जंगली हाथियों के स्वच्छंद विचरण से जनहानि से बचने लोग छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ भटक रहे है।वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने के कारण किसी प्रकार की कोई मदद भी नहीं मिल पा रही है।

जंगली हाथियों ने अब तक लगभग 15 घर क्षतिग्रस्त कर दिए है। घर का सारा अनाज हाथियों ने खा लिया है प्रभावित परिवारों के समक्ष अब आजीविका का संकट भी खड़ा हो गया है।ग्रामीण तेज रोशनी वाले टार्च के लिए भी फंसे हुए है।पेड़ के नीचे प्रभावित परिवार के सदस्य किसी तरह दिन गुजार रहे है। सारी रात हाथियो से जान बचाने में बीत रही है।

लखनपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत लब्जी के आश्रित ग्राम लोटाढोढ़ी में गत 17 मार्च को आठ हाथियों का दल रायगढ़ जिला के कापू जंगल होते हुए पहुंचा था।इन हाथियों ने मकानों में तोड़फोड़ के साथ धान, मक्का,चावल और महुआ खाना शुरू किया था।इन हाथियों को सुरक्षित तरीके से जंगल की ओर खदेड़ने की व्यवस्था हो पाती उसके पहले ही छह हाथी और पहुंच गए है।

कुल मिलाकर 14 हाथियो द्वारा ही टूटे मकानों पर दो-दो, तीन-तीन बार हमला कर रहे है।गांव के ननका राम कोरवा ने बताया कि हाथियों के द्वारा टूटे हुए घर को पुनः कई बार आकर तोड़ा जा रहा है ।ग्राम लोटा ढोडी में लगभग ग्रामीणों के घर हाथियों के द्वारा तोड़े गए है इनमें जंत्री यादव, प्रदीप केरकेट्टा, मोहना उराव, प्रकाश एक्का ,नान्हू कोरवा,रूगसू कोरवा , ननका राम कोरवा,ईश्वर कोरवा , जगदीश कोरवा , रूपन केरकेट्टा,कोलाई कोरवा शामिल है।जिस तरह हाथियों के द्वारा स्वच्छंद विचरण कर घरों को तोड़ा जा रहा है उससे नए सिरे से व्यवस्थित कर पाना इन गरीबों के लिए आसान नहीं है।

वन कर्मचारियों की हड़ताल से दिक्कत बढ़ी
इन दिनों वन विभाग के मैदानी कर्मचारी हड़ताल पर है। इससे क्षति का आंकलन भी नहीं हो सका है। पहले मैदानी वन कर्मचारी प्रभावित क्षेत्र में जाते भी थे लेकिन हड़ताल पर होने के कारण अब वे झांकने भी नहीं जा रहे है। प्रभावित परिवारों को हाथियों से बचाव के लिए खुद ही जूझना पड़ रहा है। कब तक मुआवजा मिलेगा इसे लेकर भी ग्रामीण आशंकित हैं। एसडीओ,रेंजर द्वारा कथित रूप से इस क्षेत्र से चले जाने की सलाह दे रहे है लेकिन बगैर प्रशासनिक मदद और कोई व्यवस्था के घर-बाड़ी छोड़कर जाने से भी ग्रामीण कतरा रहे है।
टार्च के लिए भी तरस रहे ग्रामीण
प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों का क्षण है कि इलाके में क्षेत्र की बिजली व्यवस्था ठीक नहीं है। रात को जब हाथी निकलते हैं तो उनके लोकेशन का भी पता नहीं चल पाता।यदि तेज रोशनी वाला टार्च मिल जाए तो भी थोड़ी राहत मिल सकेगी।वे दूर से ही जंगली हाथियों को देख सकेंगे। अभी तक मदद के नाम पर पांच लीटर मिट्टी तेल दिया गया था।मशाल की रोशनी से भी हाथी नहीं भाग रहे है।
वर्जन
एसडीओ,रेंजर के साथ हाथी मित्र दल के सदस्य और फायर वाचर प्रभावित क्षेत्र में सक्रिय है। उनके द्वारा हाथियों पर निगरानी भी की जा रही है। जरूरत के हिसाब से प्रभावित क्षेत्र के लोगों को समय-समय पर शासकीय भवनों में शिफ्ट भी किया जाता रहा है। लखनपुर के अलावा सरगुजा के लुंड्रा से लगे राजपुर के सीमावर्ती क्षेत्र में पांच हाथी विचरण कर रहे है।
पंकज कमल, डीएफओ, सरगुजा
Shantanu Roy

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