- सड़क निर्माण में कई हजार करोड़ का घोटाला...
- पीके बने हैं सरकारी दामाद - 25 साल से पार्टी बदल गई, अधिकारी बदल गए, आमआदमी और जनता की पीढ़ी बदल गई, जनता के अधिकार बढ़ गए, लेकिन पीके वर्मा अपनी जगह 25 साल से हटे नहीं, हटाए भी नहीं गए। न जाने ऐसा कौन सा जादू कर दिया है जो पार्टी बदलने के बावजूद सरकार बदल जाने के बाद भी अधिकारियों की बदली हो जाने के बाद भी पीके वर्मा जैसे अधिकारी की बदली नहीं हुई और बड़े अधिकारी वर्षों से जमे अधिकारियों को हटाने की हिम्मत भी नहीं दिखा पा रहे है। लगता है पीके वर्मा को सरकारी दामाद होने का पट्टा मिल गया है। तीन सरकार बदलने के बावजूद एक ही जगह पदस्थ रहने वाले अधिकारी का सिर चढ़कर जादू बोलता है, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की खस्ताहाल योजनाओं को अधिकारीगण अपनी जेब भरने के अलावा कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया, जिससे करोड़ों रुपए की सड़क का निर्माण ग्रामीण स्तर में देखा जा सकता है । प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना घोटाला की अगर गंभीरता से जांच की जाए तो प्रदेश के सभी संभाग के अधिकारी इस घोटाले की चपेट में आएंगे । प्रदेश भर में जितनी भी सड़कों का निर्माण हुआ है और सरकार ने जनता के पैसा जो सड़क में लगाया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो बार पृथ्वी से चांद की दूरी सड़क निर्माण करके पूरी की जा सकती थी, उतना पैसा प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना में घपला और घोटाला हुआ है । विभाग के मंत्री को यह भी नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री सड़क योजना में कितनी सड़क प्रदेश में निर्माण हुई और उसका भौतिक सत्यापन और ऑडिट कब और कैसे हुआ। किस आधार पर टेक्निकल टीम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सर्टिफिकेट दिया सब जांच का विषय है?
रायपुर (जसेरि)। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार कर स्तरहीन निर्माण सामग्री का उपयोग कर सड़क निर्माण कराया जा रहा है। प्रदेश में हर जगह सड़कें बनायी गई एवं पांच साल के मेंटनेन्स सहित संविदा की पूर्ति भी गई है, किन्तु भ्रष्टाचार के कारण सड़कें केवल नाम मात्र के लिए ही निर्मित की गई, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ। गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण से कुछ महीनों में ही सड़कों पर दरारें आ रहीं हैं और जगह-जगह धंसने भी लगी हैं। योजना के तहत बनी सड़कों का कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसा हाल है। अधिकारियों ने इस योजना को तिजोरी भरने का माध्यम बनाकर ठेकेदारों को घटिया निर्माण करने का लाइसेंस दे दिया है। जो सड़कें वर्तमान में बन रही हैं उसकी गुणवत्ता निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर जांचा जा सकता है वहीं कुछ साल बनी सड़कों की दुर्दशा घटिया निर्माण की कहानी खुद ही बयां कर रही हैं। पांच साल तक सड़कों के मेंटनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। राज्य निर्माण के साथ ही जब से योजना शुरू हुई है अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने जमकर कमाई की है। राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को संज्ञान में लेने की जगह ठेकेदारों और कमीशन खोर अधिकारियों को उपकृत कर रहा है। सड़क घोटालों को छुपाने के लिए राज्य सरकार मरम्मत के लिए भी टेंडर जारी कर उन्हें कमाई का मौका देती है जिससे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
निर्माण कार्यों की नहीं हो रही मानिटरिंग : केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी कर रहे हैं। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं।
एक भी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है. ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।
केन्द्र-राज्य सरकार करें जांच
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार की जांच करनी चाहिए। एसई, ईई, एसडीओ, ठेकेदार के साथ विभाग के उच्चाधिकारी सीईओ और टेंडर डिपार्टमेंट की मिलीभगत से ही हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। योजना के तहत बनाई गई सड़कों की सही मानिटरिंग और निर्माण कार्य की जांच नहीं होने से अधिकार-ठेकेदार बेखौफ हो कर सरकारी रकम डकार रहे हैं। केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों ईडी, आईटी और सेंट्रल विजिलेंस को स्वत: योजना में लगे अधिकारी और ठेकेदारों की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार को भी अपनी जांच एजेंसियों के माध्यम से अलग से जांच कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।