मोहरी वादन लोकगीतों से मंदराजी को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

रायपुर। विश्व धरोहर के रूप में चिह्नित छत्तीसगढ़ी नाचा के पुरोधा दाऊ दुलार सिंह मंदराजी के जन्म दिवस पर 'सम्मान संग श्रद्धांजलि' समारोह का आयोजन कन्हारपुरी राजनांदगांव में किया गया। राज्य सरकार द्वारा देय सर्वोच्च लोक कलाकार सम्मान से विभूषित लोक गायिका जयंती यादव, लोकनाट्य निर्देशक विजय मिश्रा 'अमित' लोक संगीतकार आत्माराम कोशा ‘अमात्य, नाचा कलाकार चतुर सिंह, बजरंग,मोहरी वादक नत्थन दास आदि ने मंदराजी दाऊ जी की प्रतिमा में माल्यार्पण तिलकाभिषेक कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर दाऊ मंदराजी लोक संस्था की ओर से विजय मिश्रा,अन्नपूर्णा यादव को लोक कला जगत में उत्कृष्ट योगदान हेतु शाल श्रीफल, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात् सुप्रसिद्ध लोक गायिका जयंती यादव ने अंचरा ल रो-रो भिगोवत हों… देखे-देखे, देवर बाबू-तोर भइया के चाल ,,, जैसे अपने गाए लोकप्रिय गीतों को गाकर जनमन को भाव- विभोर किया। साथ ही भोलाराम साहू ने हास्य- व्यंग्य से लोगों को हसांया।
कार्यक्रम संयोजक आत्माराम कोशा द्वारा लिखे गए छत्तीसगढ़ी बायोपिक फिल्म मदराजी के टाइटल गीत- ‘बबा मदराजी… लोक कला नाचा के सियान गा.. को लोक गायक महादेव हिरवानी ने अपने सुमधुर आवाज में प्रस्तुत किया।इस दौरान ढोलक तबले पर दिनेश साहू,हारमोनियम पर नाचा कलाकार दाऊ चतुर सिंग ने शानदार संगत दी। कार्यक्रम अध्यक्ष की आसंदी से रंगकर्मी विजय मिश्रा ने मंदराजी के योगदान को नाचा जगत हेतु भूतों न भविष्यति अभूतपूर्व अद्वितीय निरूपित किया।आगे उन्होने कहा शोषित उपेक्षित कलाकारों के भीतर दाऊ जी ने आत्मविश्वास का बीजारोपण करके नाचा कला को अमिट पहिचान दी है।
कार्यक्रम का संचालन कोशा सहित ग्रामीण कवि पवन यादव ‘पहुंना’ ने किया।अंत में लोक संगीतकार स्व. खुमान लाल साव, स्व. देवी लाल नाग. रवि रंगारी को श्रद्धांजलि दी गई।