छत्तीसगढ़

हार्ट अटैक की वजह से मरीज के दिल में छेद, रीढ़ की हड्‌डी कई जगह से मुड़ी, सरकारी डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

Nilmani Pal
3 May 2022 1:56 PM GMT
हार्ट अटैक की वजह से मरीज के दिल में छेद, रीढ़ की हड्‌डी कई जगह से मुड़ी, सरकारी डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के सरकारी डॉक्टरों ने दिल का एक दुर्लभ ऑपरेशन कर शारीरिक रूप से जटिल अवस्था वाले एक बुजुर्ग की जान बचाई है। तीव्र हार्ट अटैक की वजह से 71 वर्षीय मरीज के दिल में छेद हो गया था। मरीज के रीढ़ की हड्‌डी कई जगह से मुड़ी हुई थी, ऐसे में ऑपरेशन टेबल पर उन्हें सीधा भी नहीं लिटाया जा सकता था। इसके बाद भी डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल के एडवांस कॉर्डियक इंस्टिट्यूट (ACI) के डॉक्टरों ने आधुनिक तकनीक की मदद से मरीज की सर्जरी की।

अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक 27 अप्रैल को 71 वर्षीय मरीज को अचानक तीव्र हार्ट अटैक आया। शॉक की स्थिति में उन्हें एडवांस्ड कार्डियक इंस्टिट्यूट रेफर कर दिया गया। कई जगह से मुड़ी हुई रीढ़ की हड्‌डी में लगातार खिंचाव होने के कारण मरीज के पैरों को ऑपरेशन टेबल पर सीधा स्थिर नहीं रख पा रहा था। शनिवार को दिल में हुए छेद की जांच के लिए एंजियोग्राफी हो रही थी, लेकिन रीढ़ की हड्‌डी के अति टेढेपन की वजह से कार्डियक कैथेटर महाधमनी एओर्टा से पार नहीं जा पाया था। इसके बाद इकोकार्डियोग्राफी से छेद का अनुमान लगा कर सुराख़ और हार्ट की बंद नसों की एंजियोप्लास्टी की योजना बनाई गई। बटन डिवाइस (ट्रांसक्यूटेनियस क्लोजर) की प्रक्रिया ऐसे शॉक के मरीज में स्वयं में ही चुनौती पूर्ण होती है। रीढ़ के टेढ़ेपन के कारण ऑपरेशन और ज्यादा जटिल हो गया था। मरीज़ ऑपरेशन टेबल स्थिर नहीं लेट पा रहा था। हर क्षण रीढ़ से पैरों की मांसपेशियों में संकुचन की लहर उठती थी। इसकी वजह से प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ता था। डॉक्टरों ने रणनीति बदली और मरीज़ की पहले हार्ट की दो नसों की एंजियोप्लास्टी की, ताकि हार्ट को सपोर्ट मिल सके और वह छेद को बंद करने की लंबी और कठिन प्रक्रिया को सहन कर सके। फिर तुरंत दिल के छेद को बटन डिवाइस ( ट्रांसक्यूटेनियस क्लोजर) से इलाज किया गया। इस जटिल सर्जरी को पूरी करने वाली टीम में डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ निश्चेतना विभाग से डॉ. शशांक, डॉ. फाल्गुधारा पांडा, कार्डियक सर्जरी से डॉ. निशांत सिंह चंदेल, कार्डियोलॉजी से डॉ. जोगेश, डॉ. सरजू, डॉ. निधि, टेक्नीशियन आईपी वर्मा, नवीन ठाकुर, खेम सिंह, अश्वन्तिन, महेंद्र, प्रेम, कुसुम, और नर्सिंग स्टाफ में हेमलता, पूर्णिमा, अनीता और निर्मला शामिल रहे।

डॉक्टरों की चुनौती यहीं खत्म नहीं हुई। दिल के छेद और बंद नसों की एंजियोप्लास्टी सफल होने के बाद रीढ़ की हड्‌डी के टेढ़ेपन से बनी जटिलता की वजह से कार्डियक कैथिटर का एक सिरा दिल के अंदर ही टूट गया। डॉक्टरों ने एक फंदा बनाकर उसे महाधमनी एओर्टा से मछली की तरह पकड़ कर निकाला। छेद के बंद होते ही मरीज़ का ब्लड प्रेशर सामान्य हो गया और 1 दिन के बाद इंस्टिट्यूट से छुट्टी होने की योजना है।

डॉक्टरों का कहना था, इस हर्ट अटैक की इस अवस्था को पोस्ट मायोकार्डियल इंफार्क्शन वेंट्रिकुलर रप्चर (PMVSR) कहते हैं। यह बेहद जटिल अवस्था है। अभ्सी तक इस बीमारी के 8 मरीज एडवांस कॉर्डियक इंस्टीस्च्यूट पहुंचे हैं। उनमें से केवल दो की जान बचाई जा सकी है। अब से पहले अक्टूबर 2019 में ऐसे मरीज को टीसीसी लगाकर बचाया गया था। यह मध्य भारत में ऐसी पहली सफल प्रक्रिया थी।

पोस्ट मायोकार्डियल इंफार्क्शन वेंट्रिकुलर रप्चर (PMVSR) तीव्र हार्ट अटैक की एक दुर्लभ लेकिन घातक जटिलता है। सिर्फ दवाइयों से इलाज करने पर कोई भी मरीज जीवित नहीं बच पता है। अस्पताल में भर्ती होते ही 94% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। ऐसे में तुरंत सर्जरी किये जाने की सलाह दी जाती है। अधिकतर मरीज सर्जरी के लिए फिट नहीं होते हैं।

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