आरक्षण की सीमा को बढ़ाने के मामले में हुई सुनवाई, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
बिलासपुर। आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत से 68 प्रतिशत करने के मामले में दायर याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में बुधवार को चीफ जस्टिस की डबल बेंच के समक्ष महाधिवक्ता की ओर से अंतिम बहस की गई। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने शासकीय सेवाओं में अनुसूचित जाति के आरक्षण का प्रतिशत 16 से घटाकर 12 कर दिया है, जबकि अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया है। अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण कोटा पूर्ववत 14 प्रतिशत रखा गया है। इस तरह से आरक्षण का कुल प्रतिशत 58 हो गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की है।
भाजपा शासनकाल के दौरान लिए गए के इस फैसले को अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई है। इनमें आरक्षण का कुल प्रतिशत बढ़ाये जाने को तथा अनुसूचित जाति के आरक्षण का प्रतिशत घटाने को चुनौती भी शामिल है। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क पिछली सुनवाई में पूरी होने के बाद अंतिम बहस महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने की। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के संबंध में कोई डेटा इकठ्ठा नहीं किया था। न ही इस बारे मे कोर्ट को सूचित किया था।