छत्तीसगढ़

Gariaband में स्वास्थ्य वर्करों ने किया थाने का घेराव

Nilmani Pal
29 Jun 2024 6:02 AM GMT
Gariaband में स्वास्थ्य वर्करों ने किया थाने का घेराव
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देवभोग devbhog news। गरियाबंद जिले Gariaband district में स्वास्थ्य वर्करों ने देवभोग थाने का घेराव किया। health workers स्वास्थ्य वर्करों का कहना है कि आजकल स्वास्थ्य केंद्रों में बदतमीजी,गाली गलौच तो बहुत आम हो चुका है। दारू पीकर हंगामा करना शोरगुल मचाना हर इवनिंग/नाइट ड्यूटी की कहानी है। संसाधनों और सुविधाओं की कमी,जो कि शासन स्तर का है,जिसके लिए मंत्री,बड़े बड़े अधिकारी जिम्मेदार हैं,उनके लिए रोज हमसे बदतमीजी की जाती है,हमें खरी खोटी सुनाई जाती है और ज्यादातर मामलों में सब चुप चाप सह लेते हैं,शायद हमने सहने की आदत से विकसित कर ली है।

chhattisgarh news हिंसा का नया स्वरूप - हमारे चुपचाप सहने के कारण ही अब ये बदतमीजी भीड़ की हिंसा और बलवे में तब्दील होने लगी है और ये स्तिथि आए दिन निर्मित होने लगी है। अब लोग भारी भीड़ के साथ आते हैं और बदतमीजी,हिंसा पर उतारू रहते हैं।अब तो किसी गंभीर मरीज को देखते ही जान का खतरा सा महसूस होता है।अब तो पुलिस थाने में हमरे विरुद्ध एफआईआर भी होने लगी है। यही हिंसा का नया स्वरूप है और स्थानीय नेता,समाज,स्थानीय प्रशासन और हमारे अधिकारी सब हमारे विरुद्ध ही अक्सर खड़े दिखते हैं।

वायलेंस प्रोटोकाल - इसलिए CIDA द्वारा हिंसा के विरुद्ध एक वायलेंस प्रोटोकाल किया गया है।कहीं भी किसी भी अधिकारी कर्मचारी के साथ बदतमीजी,गाली गलौच,हिंसा की घटना होने पर 24 घंटे के भीतर विभागीय FIR,मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की धारा एवम गिरफ्तारी होना आवश्यक होना चाहिए। यह हमारी सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। किंतु ऐसा होता नहीं है,इसलिए CIDA द्वारा वायलेंस प्रोटोकाल बनाया गया है -

किसी भी कर्मचारी अधिकारी के साथ हिंसा होने पर विक्टिम के साथ साथ संस्था प्रमुख द्वारा भी पुलिस शिकायत दर्ज कराया जाएगा।

24 घंटे के बाद भी विभागीय FIR और गिरफ्तारी न होने पर संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के सभी डॉक्टर संपूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे।

उसके बाद भी कार्यवाही न होने पर सम्पूर्ण ब्लॉक कार्य बहिष्कार करेंगे।

तत्पश्चात भी कार्यवाही न होने पर सम्पूर्ण जिला कार्य बहिष्कार करेगा।

उसके बाद संभाग और पूरे राज्य में यही क्रम अपनाया जाएगा।

प्रोटेस्ट का समापन - एक बार आंदोलन का निर्णय लिए जाने पर प्रोटेस्ट समाप्ति की शर्त पहले से ही निर्धारित होगी। किसी प्रकार की बातचीत और समझौते की कोई गुंजाइश नहीं होगी। विभागीय FIR,मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और आरोपियों की गिरफ्तारी ही आंदोलन खत्म करने का एकमात्र तरीका होगा।


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