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Balrampur. बलरामपुर। वाड्रफनगर विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला कन्या आश्रम पशुपतिपुर में कुप्रबंधन, अनुशासनहीनता और छात्रों की उपेक्षा के गंभीर आरोपों के बाद शासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच में आरोप सही पाए जाने पर प्रधानपाठक एवं प्रभारी अधीक्षिका सुमित्रा सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मामला तब सामने आया जब आश्रम में कार्यरत कर्मचारियों ने सुमित्रा सिंह के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना, अमर्यादित व्यवहार और बच्चों को भोजन न देने की शिकायत की थी। शिकायत की जांच के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि सुमित्रा सिंह का रवैया अत्यंत अनुचित और शासकीय सेवक के अनुरूप नहीं था। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि प्रधानपाठक सुमित्रा सिंह आश्रम में कार्यरत कर्मचारियों से अभद्रता से पेश आती थीं और बच्चों को आवश्यक मात्रा में खाद्य सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती थी। इससे आश्रम के छात्राओं को बुनियादी पोषण सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा।
भंडार कक्ष पर ताला लगाकर रखा अधिपत्य
जांच में यह भी सामने आया कि उन्हें अधीक्षिका के प्रभार से मुक्त कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने आश्रम के भंडार कक्ष में ताला लगाकर अपने कब्जे में रखा था। इससे आश्रम के संचालन और बच्चों को भोजन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराने में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई। प्रशासन ने जब उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया, तो सुमित्रा सिंह ने पत्र लेने से इंकार कर दिया। यह उनके अनुशासनहीन रवैये का स्पष्ट प्रमाण माना गया है। जांच समिति ने कहा कि उनका आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन है।
शासकीय सेवा से निलंबन, रामचंद्रपुर मुख्यालय निर्धारित
इन तथ्यों के आधार पर शासन ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम-9 (1)(क) के तहत तत्काल प्रभाव से सुमित्रा सिंह को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय खंड शिक्षा अधिकारी, रामचंद्रपुर कार्यालय निर्धारित किया गया है। निलंबन अवधि में सुमित्रा सिंह को नियमों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता (subsistence allowance) प्रदान किया जाएगा। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि सुमित्रा सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही नियम 14 के अंतर्गत की जाएगी।
प्रशासन का सख्त रुख
शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि आश्रमों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बालिकाओं की सुरक्षा, भोजन और शिक्षा से जुड़ी लापरवाही को गंभीर अपराध की श्रेणी में लिया जाएगा। यह कार्रवाई न केवल शिक्षा विभाग में अनुशासन कायम करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है, बल्कि यह संदेश भी दे रही है कि सरकारी आश्रमों में बच्चों के अधिकारों से कोई खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।
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