कोटप्पा एक्ट के तहत नाममात्र की कार्रवाई
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। शासन के प्रतिबंध व कोर्ट के आदेश के बाद भी राजधानी की दुकानों में गुटखा खुलेआम बिक रहा है। दिखावे के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी छापा मार रहे हैं वो भी पहले से ऐलान करके। रोक के बाद भी राजधानी में इतनी मात्रा में गुटखा कहां से पहुंच रहा है, विभाग इसकी पड़ताल नहीं करता।
राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहा: प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन पड़ोसी राज्यों में निर्मित गुटखे राजधानी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर। शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है। किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है।
प्रदेश के कुछ शहरों में हो रहा निर्माण : बताया जा रहा है कि राजधानी में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश के कुछ शहरों में इसका निर्माण भी किया जाता है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है। प्रदेश में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है। इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है। चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं।
कैेंसर के साथ हृदय रोग का बड़ा कारण
गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग हैण् इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।
कोटपा एक्ट के तहत नहीं हो रही कार्रवाई
18 मई 2003 को केंद्र सरकार द्वारा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा एक्ट) लागू किया गया है। अधिनियम के तहत विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनिमय पर स्पष्ट प्रावधान है। अधिनियम में सिगरेट, जर्दायुक्त गुटका, सुंघकर नशा करने वाले पदार्थ आदि सभी का उल्लेख है। जिसके विक्रय के लिए आवश्यक नियम, अधिनियम में उल्लेखित है। एक्ट में नाबालिगों को तंबाकूयुक्त पदार्थ देना दंडनीय है। जिस पर जुर्माने का प्रावधान है।
अधिकारी झाड़ रहे अपनी जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इन्हीं स्वास्थ्यगत समस्याओं की वजह से प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन चंद पैसों की लालच में दुकानदार खुलेआम मौत के इस सामान को बेच रहे है वहीं जिम्मेदार विभाग के अधिकारी भी सबकुछ जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं सवाल करने पर दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालने लगते है राजधानी में खुलेआम गुटखा बिक्री के सवाल पर असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर रायपुर धीरेंद्र पटेल फ़ूड का प्रभार नहीं होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
जानते सबकुछ हैं लेकिन कहेंगे कुछ नहीं
वहीं खाद्य के प्रभारी अधिकारी और एसडीएम प्रणव सिंह आधिकारिक तौर पर नहीं देने की बात कहते हुए गुटखा बेचने वालों के खिलाफ टीम भेजकर तत्काल कार्रवाई की बात कहते है इधर राज्य कंट्रोलर केडी कुंजाम कहते हैं कि इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं वे इसे गंभीर बात बताते हुए तत्काल कार्रवाई की बात भी कहते हैं लेकिन सवाल है कि यह कार्रवाई जमीन पर कब देखने को मिलेगी।