रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और राष्ट्रगान के रचयिता गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर एक मानवता वादी विचारक एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनका शिक्षा, साहित्य सहित कला के क्षेत्र में योगदान अद्धितीय है। वे भारत ही नही एशिया के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री बघेल ने कहा है कि युवा पीढ़ी को गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के विचार मूल्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
बता दें कि...
महाकवि रवींद्रनाथ टैगोर को जनगण का कवि कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। गुरुदेव टैगोर दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनके लिखे दो गीत दो देशों के राष्ट्रगान बने हैं। उनका लिखा गीत जन गण मन भारत का राष्ट्रीय गान बना है। वही उनका लिखा एक दूसरा गीत आमार सोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान है। दुनिया में गुरुदेव जैसे विरले ही लोग होते हैं जिन्हें इतना बड़ा सम्मान मिला है। जिनके लिखे गीत दो देशों के राष्ट्रगान बनकर अमर हो गए। भारत और बांग्लादेश में जब भी कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम होता है तो गुरुदेव टैगोर द्वारा लिखित गीत राष्ट्रीय धुन के रूप में गाए जाते हैं। गुरुदेव के लिखे इन गीतों के माध्यम से उन्हें हर समारोह में याद किया जाता है।
ऐसा कोई भी भारतीय नहीं होगा जो रविंद्रनाथ टैगोर को नहीं जानता होगा। राष्ट्रीय कवि रविंद्रनाथ टैगोर ऐसी शख्सियत थे जिन्होने कई कविताएं, उपन्यास, कहानी लिख कर साहित्य के विभिन्न विद्याओं में अपनी उत्कृष्ट योगदान देकर संसार भर में ख्याति प्राप्त की। रविंद्रनाथ टैगोर ने अपनी रचना से ना केवल हिंदी साहित्य के विकास में योगदान दिया। बल्कि अनेकों कवियों और साहित्यकार को भी प्रोत्साहित किया है। वह एक ऐसे प्रकाश स्तंभ थे जिन्होंने पूरे संसार को अपनी रचनाओं के माध्यम से आलोकित किया।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा वे ही थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक थे। गुरूदेव रविंद्रनाथ जी की रचनाओं की यही विशेषता थी कि वह अपनी रचनाओं में मानवीय दुखों और निर्बलता को बहुत ही कलात्मक ढंग से लिखते थे। अपनी सभी रचनाओं को मन और आत्मा से लिखते थे। यही कारण है कि उनकी ज्यादातर रचनाएं विश्व प्रसिद्ध हो गई।