छत्तीसगढ़

जीएसटी की चोरी, बिना बिल बेच रहे इलेक्ट्रानिक्स व अन्य उत्पाद

Nilmani Pal
8 Aug 2022 5:16 AM GMT
जीएसटी की चोरी, बिना बिल बेच रहे इलेक्ट्रानिक्स व अन्य उत्पाद
x

जीएसटी लागू होने के बाद भी नियमों का नहीं हो रहा पालन

राजधानी के इलेक्ट्रानिक्स मार्केट में बिना जीएसटी एलईडी और अन्य सामान उपलब्ध

उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा बिल, टैक्स चोरी कर रहे व्यापारी

सामानों का बिल देंगे ही नहीं तो जीएसटी पटेगा कैसे ?

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। केंद्र सरकार ने दो वर्ष पहले देश में समान टैक्स लागू करने के लिए जीएसटी लागू किया, लेकिन अधिकांश व्यापारियों द्वारा जीएसटी के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। व्यापारी ग्राहकों द्वारा बिल नहीं मांगे जाने का बहाना बनाकर सामानों का बिल नहीं देते हैं तो वहीं ग्राहकों का मानना है कि यदि हम बिल नहीं लेंगे तो सामान सस्ता मिलेगा। जीएसटी बिल लागू करते समय बड़े बदलाव की बातें कही जा रही थी, लेकिन प्रदेश सहित आसपास के राज्यों कारोबारियों के पुराने ढर्रे पर ही सामान की बिक्री जा रही है। ग्राहक चाहे जितने की खरीददारी कर लें उसे पक्का बिल नहीं दिया जाता।

सामग्री के दाम बढऩे का झांसा

व्यापारी पक्के बिल के नाम पर सामग्री के दाम कुछ और बढ़ जाने की बात कहते हैं जिससे ग्राहक बिना बिल के संतुष्ट हो जाता है। कम पढ़े लिखे लोगों को बचत के नाम पर पक्का बिल देने के बजाय सादे कागज पर लिखकर दे दिया जाता हैं। दरअसल, बिलिंग के आधार पर ही सरकारी खजाने में टैक्स जमा होता है लेकिन व्यापारियों द्वारा टैक्स चोरी करने के लिए बिल नहीं काटे जा रहे हैं। आयकर और वाणिज्य कर विभाग के द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर टैक्स चोरी करने वालों पर कार्रवाई की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है। लेकिन राजधानी में जीएसटी लागू होने के बाद से आज तक किसी भी कारोबारी के यहां विभाग के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि रायपुर में प्रतिदिन करोड़ों रुपए का व्यापार किया जा रहा है।

सबसे ज्यादा इलेक्ट्रानिक्स दुकानों में घालमेल

रायपुर के इलेक्ट्रानिक्स दुकानों में सबसे ज्यादा घालमेल है। पक्के बिल की बात तो छोडि़ए कच्चा बिल भी बनाकर नहीं देते है। कहते है 18 प्रतिशत जीएसटी देना है या कम कीमत पर माल खरीदना है। रायपुर को छोटे बड़े किराना, कपड़ा, वर्तन, हार्डवेयर,खाद बीज, आभूषणों, दवाई, इलेक्ट्रॉनिक, आदि की दुकानों पर ग्राहक बिल मांगे या ना मांगे पर दुकानदार को बिल दिया जाना चाहिए। लेकिन शातिर कारोबारी खरीदार को पक्का बिल मांगे जाने पर नित नए बहाने के साथ कच्चा बिल थमाकर खिसका दिया जाता है। देव उठनी एकादशी के बाद शादी का सीजन आने वाला है। पिछले सीजन में 1-2लाख के फर्नीचर, बर्तन, कपड़े आदि खरीदी पर या तो मौखिक हिसाब बनाकर पैसा ले लिया गया या फिर साधारण कागज पर बिल बनाकर दे दिया गया। जिससे शासन के साथ लाखों रुपए की कर चोरी हुई।

पक्का बिल नहीं दिया जाता

इसी तरह आभूषणों, इलेक्ट्रॉनिक, खाद-बीज, दवाईयां आदि की दुकानों पर ग्राहक को अधिकांश जगह पर कच्चा बिल ही मिलता है लेकिन दुकानदार द्वारा अपने रिकॉर्ड पर पक्के बिल ही काटता है। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक दुकानदारों द्वारा पक्का बिल इसलिए नहीं दिया जाता हैं कि सामान में गुणवत्ता संबंधित कोई समस्या हो तो बिल के आभाव में कहीं शिकायत का दावा भी नहीं किया जा सकता।

200 से ऊपर के सामान खरीदी पर बिल देना अनिवार्य

दो सौ से से ज्यादा सामान बेचने पर व्यापारी को बिल अनिवार्य रूप से जारी करना होगा। बिल नहीं देने वाले व्यापारियों की शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 1800-233-5382 भी जारी किया है। यदि उपभोक्ता को किसी दुकानदार या व्यापारी सही बिल जारी नहीं करता है तो ग्राहक शिकायत कर सकते हैं। इस संबंध में वाणिज्यकर अधिकारियों का ताकिया कलाम है कि आपने अवगत कराया है। जल्द ही जायजा लिया जाएगा। जो भी व्यापारी बिल नहीं दे रहे हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी।

किराना दुकानदार नहीं कर पाएंगे टैक्स चोरी

जीएसटी की व्यवस्था के तहत बड़े कारोबारियों के साथ ही किराना स्टोर वाले छोटे कारोबारी भी टैक्स के दायरे से नहीं बच सकेंगे। जीएसटी में प्रत्येक व्यवसाय के खरीददार की जीएसटी पंजीकरण संख्या को जीएसटी डाटाबेस में अपडेट किया गया है, ताकि हर बिक्री और खरीद का पता लगाया जा सके।

लगाम कसने की संभावना कम

जीएसटी से टैक्स चोरी रोकने की सरकार की कोशिशों के बावजूद इस पर लगाम कसने की संभावना कम ही दिख रही है। जीएसटी के तहत 20 लाख रुपये से अधिक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारी के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इससे बचने के छोटे ट्रांजैक्शंस का तरीका अपना सकते हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह बहुत आसान नहीं होगा। जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म के तहत नई प्रणाली को एक साथ रखा गया है, जिसमें एक विक्रेता के द्वारा सभी चालान अपलोड करते ही इनवॉइस मैचिंग शुरू हो जाएगी।

टैक्स चोरी के बहुत कम मौके छोड़े गए

विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी डिजाइन में टैक्स चोरी के लिए बहुत कम मौके छोड़े गए हैं। जीएसटी में प्रत्येक व्यवसाय के खरीददार की जीएसटी पंजीकरण संख्या को जीएसटी डाटाबेस में अपडेट करने की जरूरत होगी ताकि हर बिक्री और खरीद का पता लगाया जा सके। आसान शब्दों में कहें तो जीएसटी में प्रत्येक लेनदेन पर टैक्स एकत्र किया जाएगा और भुगतान किया जाएगा, जिससे चोरी को रोकने में मदद मिलेगी।

रिटर्न फाइलिंग की नई व्यवस्था

टैक्स रिटर्न फाइलिंग की इस नई व्यवस्था के तहत मासिक, तिमाही और सालाना रिटर्न की जरूरत होगी। इसके अलावा जीएसटी के साथ इनवॉइस मैचिंग को लेकर चिंता जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इससे कारोबारियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। एक राज्य के पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि जब राज्य सरकारों ने वैल्यू ऐडेड टैक्स को शुरू करने के बाद स्व-घोषणा की प्रणाली में कदम रखा, तब कैग ने इसमे बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताते हुए इनवॉइस मिलान की व्यवस्था की सिफारिश की थी।

टैक्स अधिकारियों ने कहा कि व्यापारियों द्वारा जीएसटी के विरोध का यह भी एक कारण है। एक अधिकारी ने बताया कि सिस्टम फू लप्रूफ है, इसलिए लोगों को पता है कि नेट से बचने में मुश्किल होगी। इससे पहले, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बंटे हुए टैक्सों के कारण व्यवसाय टैक्स चोरी के साथ चल रहे थे।

टैक्स के दायरे से कोई नहीं बच पाएगा

जीएसटी की व्यवस्था के तहत बड़े कारोबारियों के साथ ही किराना स्टोर चलाने वाले छोटे कारोबारी भी टैक्स के दायरे से नहीं बच सकेंगे। जीएसटी में प्रत्येक व्यवसाय के खरीददार की जीएसटी पंजीकरण संख्या को जीएसटी डाटाबेस में अपडेट करने की जरूरत होगी ताकि हर बिक्री और खरीद का पता लगाया जा सके।

मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-

जो दिखेगा, वो छपेगा...

Nilmani Pal

Nilmani Pal

    Next Story