दंतेवाड़ा। स्त्री को अबला समझने वालों के लिए कुआकोंडा के समेली में नई मिसाल सामने आई है। यहां की महिलाएं सबला के रूप में तब्दील हो चुकी है। वे अब ईंट निर्माण कर रही हैं। जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर विकासखण्ड कुआकोण्डा से 25 किमी. की दूरी पर वनाच्छादित क्षेत्र में ग्राम समेली स्थित है।
चारों तरफ से पहाडिय़ों से घिरा बेहद ही खूबसूरत ग्राम है। ग्राम समेली में मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना अनुरूप गौठान निर्माण किया गया है। उक्त गौठान में विभिन्न प्रकार के आजीविका संबंधित गतिविधियां संचालित की जा रही है। जिसमें से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मोंगरा स्व-सहायता समूह की दीदीयों द्वारा सीमेंट के बड़ी ईंटों का निर्माण किया जा रहा है।
गौठान में ही कई प्रकार के निर्माण कार्य हो रहे है। जिसमें ईंट बाहर से लाई जा रही थी। यह दीदीयों का हौसला ही है कि मात्र एक माह के भीतर बिना किसी मशीन के हस्त निर्मित सांचे से 6 हजार से अधिक पुल साईज के ईंटो का निर्माण किया है। और निर्माण कार्य अभी भी जारी है।