छत्तीसगढ़

किराना दुकानें बंद, जरूरी सामानों के लिए भटकने लगे जरूरतमंद

Admin2
23 April 2021 6:50 AM GMT
किराना दुकानें बंद, जरूरी सामानों के लिए भटकने लगे जरूरतमंद
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होम डिलीवरी का फायदा सिर्फ पैसे वालों को

< कोरोनाकाल में किराना दुकानदार, सब्जी, दूध वाले बने महंगाई डायन

< आपदा काल को कालाबाजारियों ने बनाया अवसर, चौगुने दाम पर बेच रहे सामान

< रोजी-रोजगार बंद गरीब आदमी भूख से हलाकान, बस अब सरकारी राहत का इंतजार

< लॉकडाउन में किराना थोक बाजार बंद, व्यापारियों के पास स्टाक नहीं

< 14 दिनों के लॉकडाउन ने बिगाड़ दी घर-परिवार की स्थिति

< पैसे वालों को घर पहुंच सेवा मिलने लगी, आमजनता ने प्रशासन से की मांग किराना दुकान खोलों कलेक्टर साहब

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी समेत जिले में राशन-पानी के लिए लोगों को भारी किल्लत उठानी पड़ रही है। पहले आटा, दाल, चावल, तेल और नमक के लिए केवल ठेले से बेचने की अनुमति थी अब जिला प्रशासन ने छोटे वाहनों में पिकअप, मिनी ट्रक, छोटे वाहनों से सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक होम डिलीवरी करने की अनुमति दी है पर थोक दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं होने से चिल्हर दुकानदारों के पास पर्याप्त राशन ही नहीं है। ऐसे में लोगों को राशन के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। साथ ही सब्जी, फल, राशन सभी में मनमानी दाम भी लगाए जा रहें हैं। कारोबारियों का कहना है कि स्टाक की किल्लत तो रहेगी क्योंकि अभी डूमरतराई थोक बाजार पूरी तरह से बंद है। उनके संस्थान में भी चीजें तो वहां से ही आती हैं और वहां से सामान ही नहीं आएंगे तो किल्लत की स्थिति पैदा होगी। जानकारी के मुताबिक किराना संस्थानों व सुपर बाजार में स्टाक की कमी बनी हुई है। इसकी वजह से लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। व्यापारियों व सुपर बाजार संचालकों ने अपने ग्राहकों को होम डिलीवरी सुविधा के लिए मैसेज भेजने भी शुरू किए गए है। बताया जा रहा है कि संस्थानों में आटा, मैदा, सुजी, बिस्किट, बेसन की कमी पहले से ही बनी हुई है। सामानों की किल्लत बनी रही तो आने वाले दिनों में इसका फायदा भी दुकानदारों द्वारा उठाया जा सकता है और जमाखोरों द्वारा सामानों की कीमतों में और बढ़ोतरी की जा सकती है।

होम डिलीवरी के लिए 500 की खरीदारी जरूरी : कुछ सुपर बाजार व किराना संस्थानों द्वारा अपने संस्थानों में चस्पा कर दिए गए है कि उनके यहां होम डिलीवरी की सुविधा है। लोग इन नंबरों पर मैसेज कर अपने सामान मंगवा सकते है,लेकिन इसमें भी शर्त है कि कम से कम 500 रुपये की खरीदारी करनी होगी। ऐसे में थोड़े समान के लिए लोगों को भटकना मजबूरी है।

खाद्य तेल हुआ सबसे महंगा : एक तरफ खाने के तेल के दामों में जिस तरह से बढ़ोत्तरी होती जा रही लोग अब खाने के तेल को खरीदना तो दूर इस तेल को याद भी नहीं रख पाएंगे। तेल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से लोग तेल का टीपा तो क्या पैकेट भी खरीदना भी मुश्किल हो गया है। दुकानदारों का एक तरह से नुकसान ही होते जा रहा है क्योंकि तेल सबसे महंगा हो गया है। तेल का टीन 3000 रूपये हो गया है और वही तेल का पैकेट 200 रुपए के पार हो गया। जिसकी वजह से आम आदमी तेल खरीदे तो कैसे?

दूध भी चला तेल के रास्ते : लॉकडाउन के नाम पर जिस तरह से किराना सामान में लूट खसोट हो रहा है वैसे ही अब दूध के दाम में भी लूट खसोट शुरू हो गया है। 60 रुपए किलों वाला दूध 100 में भी नहीं मिल रहा है। जबकि दूध की सप्लाई पहले की तरह ही है। मिठाई नहीं बनने के बाद भी दूध को थोक में खरीदी कर 400 किलो की पनीर बना कर बेच रहे है। दही, छाछ तो बाजार से लापता हो गया है। घी का तो नाम ही मत लो एक हजार रुपए किलो में भी नहीं मिल पा रहा है।

थोक दुकानें बंद, रिटेलरों के पास मॉल की किल्लत

कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन की अवधि में लोगों को राहत पहुंचाते हुए जिला प्रशासन ने भले ही किराना संस्थानों, सुपर बाजारों को होम डिलीवरी की अनुमति दे दी है। लेकिन इससे उपभोक्ताओं की परेशानी हल नहीं हो रही है। किराना संस्थानों व सुपर बाजार में ही स्टाक की किल्लत की वजह से लोगों को उनके पसंदीदा सामानों के साथ ही जरूरत की सामग्री भी नहीं मिल पा रही है। आलम यह है कि डिलीवरी करने वाले सुपर बाजार व किराना संस्थानों में स्टाकों की किल्लत बनी हुई है। आटा, मैदा, सूजी, पोहा के साथ ही बिस्किट और दालों तक की किल्लत शुरू होने लगी है। कारोबारियों का कहना है कि लाकडाउन लगने के दो दिन पहले ही आम उपभोक्ताओं द्वारा दस दिनों के लाकडाउन को देखते हुए जबरदस्त खरीदारी की गई और लाकडाउन लगने से माल भी नहीं आ पाया। संस्थानों में स्टाक की कमी के कारण ऐसा हो रहा है कि लोगों को पसंदीदा ब्रांड का तेल, आटा, मैगी नहीं मिल रही है। कारोबारियों का कहना है कि कुछ दिन और ऐसा हालात रहे, तो आने वाले दिनों में उत्पादों की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है क्योंकि थोक बाजार में माल पर्याप्त है। मगर, उस माल को थोक बाजार से रिटेलरों के पास आने की अनुमति नहीं है। जब थोक बाजारों को अनुमति नहीं है तो किस प्रकार से रिटलरों के पास स्टाक आएगा। स्टाक की कमी तो अभी बनी ही रहेगी।

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