
रायपुर। त्रिलोकी मां कालीबाड़ी समिति डॉ. राजेंद्र नगर द्वारा 2 नवंबर 2022 को जगद्धात्री पुजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। समिति के सचिव विवेक बर्धन ने बताया कि कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन आंवला नवमी के साथ ही जगद्धात्री पूजा का महा पर्व शुरू होता हैं। बर्धन ने बताया कि हिन्दू धर्म में जगद्धात्री पूजा का नवरात्रि पूजा की तरह विशेष स्थान है। ये पूजा पश्चिम बंगाल और ओडिशा में खासकर की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दुर्गा माता इस दिन धरती पर फिर से जगत की धात्री के तौर पर आती हैं। यह मान्यता है कि जगद्धात्री माता दुर्गा का ही एक अवतार है।
यह तंत्र से उत्पन्न हुई है। यह मां काली और दुर्गा के साथ ही सत्व रूप में है। इन्हें राजस एवं तमस का प्रतीक माना जाता है। श्री बर्धन के अनुसार यदि हम इसका इतिहास देखें तो सर्वप्रथम इस पूजा का प्रारंभ सन 1750 में पश्चिम बंगाल के चंदन नगर से हुआ था। इंद्रनारायण चौधरी ने सबसे पहले अपने घर में जगद्धात्री पूजा की थी। कहा जाता है कि इस त्योहार की शुरूआत रामकृष्ण मिशन के संस्थापक रामकृष्ण परमहंस की पत्नी ने की थी। उनकी पत्नी पुनर्जन्म में काफी विश्वास रखती थीं और उनका कहना था कि मां इस दिन फिर से धरती पर आकर दुष्टों का नाश कर के खुशियां देने आती है। धीरे-धीरे पश्चिम बंगाल सहित बिहार, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों में भी यह पूूजा की जाने लगी। छत्तीसगढ़ में भी बंगाली समुदाय द्वारा अब जगद्धात्री पूजा की जाने लगी है। श्री बर्धन ने बताया कि त्रिलोकी मां कालीबाड़ी मंदिर, राजेंद्र नगर में सुबह 9 बजे से जगद्धात्री पूजा प्रारंभ की जाएगी। पूजा के दौरान समिति के समस्त पदाधिकरीगण, सदस्य एवं श्रद्धालुगण उपस्थित रहेंगे। पूजा के उपरांत प्रसाद वितरण किया जाएगा। इस पूजा की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।
