छत्तीसगढ़

बीएसएस प्रणवानंद अकादमी के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल रमेन डेका

Shantanu Roy
22 Dec 2024 4:36 PM GMT
बीएसएस प्रणवानंद अकादमी के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल रमेन डेका
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छग
Raipur. रायपुर। राज्यपाल रमेन डेका आज भारत सेवा संघ प्रणवानंद अकादमी के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए। उन्होंने विद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों के लिए 2 लाख रूपये प्रोत्साहन राशि राजभवन की ओर से देने की घोषणा की। वार्षिकोत्सव में मुख्यअतिथि राज्यपाल श्री डेका ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरूकुल आश्रम शिक्षा की पद्धति हमारी देश की प्राचीन काल की पद्धति है जहां वेद, उपनिषद के साथ-साथ नैतिकता, आध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी। भगवान राम और कृष्ण ने भी गुरूकुल से शिक्षा प्राप्त की थी। वर्तमान समय में भारत सेवाश्रम संघ द्वारा संचालित यह अकादमी भी भारतीय संस्कृति, परंपराओं और नैतिक मूल्यों के संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि वे भी इस संस्था से जुड़े हुए है और यह संस्था जरूरत मंदों लोगों के लिए कार्य कर रही है जो बहुत सराहनीय है। राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 लागू करने से विद्यार्थियों का संर्वागीण विकास होगा।


आज हम सभी एक प्रतिस्पर्धा में हैं। हर विद्यार्थी को मेडिकल एवं इंजीनियर में जाना है। नई पीढ़ी की सबसे समस्या दूसरों की नकल करना है। अपनी क्षमता एवं रूचि के अनुसार अपना कैरियर चुनने का निर्णय उन्हें लेने चाहिए। अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने दुसरों की नकल न करें। विदेशों में बड़े-बड़े पैकेज की नौकरी मिलती है लेकिन सुकून नहीं मिलता है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि वे शिक्षा के साथ-साथ खेल, संगीत और अन्य गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। ये आपके व्यक्तित्व को निखरती है। भारत एक अदभुत राज्य है और यहां की संस्कृति भी
अदभुत
है। अपनी जड़ो से जुड़े रहें और देश के प्रति सदा कृतज्ञ रहें। इस अवसर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गुरूकुल आश्रमों में केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि नैतिकता, आध्यात्म, सेवा, देश भक्ति की शिक्षा दी जाती है। इससे संस्कारवान नागरिक तैयार होते है। इन गुणों के विकास के बिना शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्राचार्य आनंदिता घोष ने दिया। इस अवसर पर प्रणवानंद अकादमी के सचिव स्वामी शिवरूपानंद, परब्रम्हाानंद महराज एवं आश्रम के अन्य पदाधिकारी, स्कूल के शिक्षक, शिक्षिकाएं तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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