रायपुर। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम की 100वीं कड़ी को सुना। और कहा आज का दिन इस मायने में ऐतिहासिक है कि यह 03 अक्टूबर, 2014 को शुरू हुए इस कार्यक्रम की लोकप्रियता और इसकी निरंतरता को दर्शाता है। मन की बात केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोगों को प्रेरणा देने, हमारे बीच के प्रेरक प्रसंगों को सामने लाने और नये भारत के निर्माण के लिए जरूरी विचारों को जन-आंदोलन का रूप देने का एक सशक्त मंच बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों के साथ सीधे और दो-तरफा संवाद कर विकास की इस यात्रा में लोगों की भागीदारी को बढ़ाया है।
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा चरैवेति चरैवेति चरैवेति यानी चलते रहो-चलते रहो-चलते रहो की बात कही. उन्होंने कहा कि आज हम इसी चरैवेति चरैवेति की भावना के साथ ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड पूरा कर रहे हैं. हर एपिसोड में देशवासियों के सेवा और सामर्थ्य ने दूसरों को प्रेरणा दी है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि एक तरह से ‘मन की बात’ का हर एपिसोड अगले एपिसोड के लिए जमीन तैयार करता है. 'मन की बात’ हमेशा सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-भावना से ही आगे बढ़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम ने कभी मुझे आप लोगों से दूर नहीं होने दिया. जब मैं सीएम था, वहां लोगों से मिलना जुलना हो जाता था, लेकिन जब 2014 में दिल्ली आया तो मैंने पाया कि यहां का जीवन बहुत अलग है. दायित्व अलग, सुरक्षा का तामझाम, समय की सीमा, शुरुआती दिनों में कुछ अलग महसूस होता था.
50 साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जाएगा. जो देशवासी मेरा सब कुछ है, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. 'मन की बात' ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया. पदभार और प्रोटोकॉल, व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव, कोटि-कोटि जनों से साथ, मेरे भाव, विश्व का अटूट अंग बन गया.