रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर आयोजित किए गए समारोह में विजय मशाल का सम्मान किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने वर्ष 1971 के युद्ध में शहीद हुए शूरवीरों को नमन किया और युद्ध में भाग लिए सैनिकों और उनके परिजनों का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। राज्यपाल स्वयं सैनिकों और उनके परिजनों के मध्य पहुंची और उन्हें बधाई दी और उनका सम्मान किया। उन्होंने कहा कि विजय मशाल के छत्तीसगढ़ आगमन पर हम सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह मशाल टीम जिस जोश और उमंग के साथ इस विजयरूपी मशाल का संचालन कर रही हैं, यह हमारे वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत साबित होगी। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में जब विजय मशाल का राजभवन के दरबार हॉल में सैनिकों के साथ प्रवेश हुआ तो उपस्थित जन समुदाय रोमांचित हो उठा और सभी अपने स्थान पर खड़े होकर मशाल को सेल्यूट किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय सेना विश्व की महान सेनाओं में से एक है, जिसने अपने इतिहास में बहुत से युद्धों की अगुवाई की है एवं सफल अंजाम तक पहुंचाया है। इसमें से 1971 का युद्ध है जो पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के चलते 03 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 13 दिवस तक संघर्षपूर्ण चुनौती के बाद 16 दिसंबर 1971 को भारत को यादगार विजय प्राप्त हुई। इस युद्ध में हमारे वीर सैनिकों ने अदम्य साहस, युद्ध कौशलता एवं उत्कृष्ट रणनीति का बेहतरीन परिचय दिया। लगभग 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया और लगभग 9000 पाकिस्तानी सैनिकों ने अपनी जान गंवाई। इस युद्ध को सफल और विजयी बनाने में हमारे शूरवीर सैनिकों का स्मरणीय योगदान रहा है। लगभग 2000 सैनिकों ने देश के लिए निडरता के साथ अपने जीवन को कुर्बान किया और अमरता को प्राप्त किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त के 1971 के युद्ध में भाग लेने और उनके महत्वपूर्ण योगदान को याद किया और उन्हें बधाई दी।
उन्होंने सभी वीर नारियों को भी नमन किया, जिनके परिजनों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर के देशहित में एक अतुलनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम सभी यह जानते है कि भारतीय सेना का इतिहास सदैव गौरवशाली रहा है और जब-जब देश पर कोई बाहरी संकट आया या दुश्मन देशों की किसी भी प्रकार की कार्यवाही हो, हमारे सैनिकों ने उसका मुंह तोड़ जवाब, अपने बुलंद हौसले एवं दृढ़ निश्चय के साथ दिया है। भारतीय सेना मोर्चों पर मुस्तैदी के साथ तैनात है, चाहे बर्फ से गला देने वाला सियाचिन ग्लेशियर हो या फिर आग की तरह तपता हुआ रेगिस्तान, हमारे जांबाज सैनिक अपने कर्तव्य पर वचनबद्ध एवं कड़े सुरक्षा प्रहरी के रूप में दीवार बनकर खड़े हैं ताकि देशवासी निश्चिंतता से रह सकें।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की आजादी के लिये कुर्बान हुए सैनिकों की शहादत को याद रखने के लिए आजादी के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, जिससे नई पीढ़ी को ज्ञात हो सके कि इस आजादी के लिए असंख्य गुमनाम शहीदों ने भी कुर्बानियां दी हैं।