छत्तीसगढ़

सरकार कराएगी जांच, तीन दिन में मिलेगी रिपोर्ट...20 पंडो की मौत पर शुरू हुई सियासत

HARRY
16 Sep 2021 5:20 AM GMT
सरकार कराएगी जांच, तीन दिन में मिलेगी रिपोर्ट...20 पंडो की मौत पर शुरू हुई सियासत
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जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। बलरामपुर में पंडो जनजाति के 20 लोगों की मौत पर राज्य सरकार ने जांच के लिए संयुक्त सचिव को निर्देश दिए हैं. जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही घटना की सही वजह का पता चल पाएगा. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि मामले की जैसे ही जानकारी मिली उसके बाद तत्काल जेडी को निर्देश दिया गया है कि वहाँ जाकर मामले की जाँच करें. कम से कम तीन दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपे, साथ ही बताया कि पंडों जनजाति के लोगों में ज़्यादातर हीमोग्लोबीन कम होने का मामला सामने आता है. इसके लिए तमाम दवा फि़लहाल इस समय में सप्लाई करने का निर्देश दिए गए हैं ,और उनकी दवा भी पहुंचाई जा रही है. मंत्री ने कहा कि इनमें से अधिकतर लोगों में हीमोग्लोबिन कम होता है. इसके अलावा कुपोषण भी कारण हो सकता है. रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि क्या सही समय में इलाज नहीं मिला. मौत का कारण क्या है. वहीं डॉक्टर रमन सिंह के आरोप पर कहा कि मौत का कारण क्या हैं जांच होने के बाद पता चलेगा. अच्छी बात है कि अपनी टीम भेजे हैं. जांच होनी चाहिए. हीमोग्लोबिन कम होना कुपोषण की ओर इशारा करता है.
भाजपा ने गठित की समिति : बता दें कि पंडो जनजाति के लोगों की कुपोषण से मौत के मामले में भाजपा ने टीम गठित कर पीडि़तों से मुलाकात करने का निर्णय लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि अधिकारी कुपोषण से पंडों की मौत की बात कह रही है. सरकार दावा करती है कि राज्य में कुपोषण की दर में कमी आई है, लेकिन हक़ीक़त सामने है. दरअसल, सरकार को इनकी चिंता नहीं है.
कांग्रेस राज में आदिवासियों की न अस्मत बच रही न जान : बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने बलरामपुर जि़ले के रामचंद्रपुर इलाक़े में पिछले चार महीने में विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के 20 लोगों की मौत पर दु:ख जताया है. उन्होंने इन मौतों के लिए प्रदेश सरकार के आदिवासी-विरोधी चरित्र पर तीखा हमला बोला है. नेताम ने कहा कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौतों के बाद भी ख़ामोश बैठी प्रदेश सरकार ने अपने निकम्मेपन और संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी हैं.सांसद रामविचार नेताम ने कहा कि प्रदेशभर को झकझोर देने वाली इन मौतों से यह एकदम साफ़ हो चला है कि प्रदेश सरकार आदिवासियों और ख़ासकर पंडों जनजाति की सुरक्षा और उत्थान के नाम पर केवल सियासी ढोल पीटने के अलावा कुछ भी नहीं कर रही है. प्रदेश में पौने तीन साल के कांग्रेस शासनकाल में आदिवासियों के साथ हर स्तर पर छल, मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा और आर्थिक शोषण ही हुआ है।
न तो उनकी समस्याएँ दूर करने में इस नाकारा प्रदेश सरकार ने कोई रुचि ली है, न सुरक्षित व सम्मानपूर्वक जीवन जीने का कोई अवसर बाकी रखा और न ही इन लोगों की आर्थिक दशा में सुधार लाने की कोई नीतिगत योजना ज़मीन पर नजऱ आई है.
पंडो महिला की मृत्यु में कुपोषण नहीं है कारण: प्रशासन
विभिन्न अखबारों में पण्डो महिला की मृत्यु की खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई है। जिसमें कुपोषण को प्रमुख कारण उल्लेखित किया गया है। किन्तु जांच प्रतिवेदन में कुपोषण को कारण नहीं माना गया है। रामानुजगंज के खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ.कैलाश कैवत्र्त्य की अगुवाई में टीम द्वारा जांच उपरांत पाया गया कि महिला देवन्ती पण्डो 19 अगस्त 2021 को उपस्वास्थ्य केन्द्र बरवाही में प्रसव हेतु भर्ती हुई थी तथा अगले दिन 20 अगस्त को उनका प्रसव हुआ। महिला की स्थिति को देखते हुए उनके बेहतर इलाज हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रामानुजगंज भेजा गया था, किन्तु परिजनों के द्वारा उन्हें अस्पताल न ले-जाकर अपने घर बरवाही ले जाया गया तथा 09 सितम्बर 2021 को उनकी मृत्यु हो गई। जांच में पाया गया कि महिला देवन्ती पण्डो के स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर की गई थी। मितानिन द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सनावल में महिला चिकित्सक के द्वारा देवन्ती पण्डो की जांच कराई गई और आयरन एवं कैल्शियम की गोलियां भी दी गई। महिला की दूसरी और तीसरी एएनसी जांच की गई तथा प्रसव पश्चात् बेहतर इलाज के लिये उच्च अस्पताल ले जाने को कहा गया, परन्तु परिजनों के द्वारा अस्पताल ले जाने से मना कर दिया गया। मृतिका के पति शिवलाल पण्डो ने बताया कि गर्भ के दौरान देवन्ती का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सनावल में दो बार तथा उप स्वास्थ्य केन्द्र बरवाही में तीन बार जांच हुआ है।
जांच उपरांत उन्हें दी गई आयरन व कैल्सियम की गोलियों का सेवन नहीं किया गया। देवन्ती की मृत्यु की जांच में यह पाया गया कि उन्होंने चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह का पालन नहीं किया तथा महिला की मृत्यु कुपोषण के कारण नहीं हुई है। प्रसव उपरांत मृतिका के बच्चे की स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष निगरानी की जा रही है। साथ ही अखबार द्वारा प्रसारित एक अन्य खबर में उल्लेखित किया गया है कि विकासखण्ड रामचन्द्रपुर में पिछले 4 माह में विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के 20 सदस्यों की मृत्यु हुई है, जिसकी जांच की जा रही है।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा बच्ची की कुपोषण से मौत
एक तरफ महिला बाल विकास विभाग कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए कई अभियान चला रहा है, वहीं जशपुर में पोषण माह संचालित किया जा रहा है. लेकिन इसी दौरान कुपोषण का शिकार हुई एक पहाड़ी कोरवा बच्ची की मौत हो गई. ये बच्ची बगीचा क्षेत्र की रहने वाली बताई जा रही है.बता दें कि पहाड़ी कोरवा को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का दर्जा हासिल है. इस मामले में कलेक्टर जशपुर महादेव कावरे का कहना है कि जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उस पर कार्रवाई की जाएगी. खैर कार्रवाई तो होती रहेगी. लेकिन कुपोषण का शिकार हुई एक बच्ची की जान चली गई जो अब लौटकर नहीं आएगी. जानकारी के मुताबिक जशपुर जिले में कुपोषण की दर 16 प्रतिशत है. जिले के नगर पंचायत बगीचा के वार्ड 10 में रहने वाले पहाड़ी कोरवा बस्ती में सनु कोरवा अपने 5 बच्चों के साथ जीवन यापन करता है. पौष्टिक भोजन के अभाव में उसके पांचों बच्चे कुपोषण के शिकार बन गए है, उनमें एक बच्ची पद्मा ने सोमवार को कुपोषण से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गई. 15 वर्षीय पद्मा भी लंबे समय से कुपोषण का शिकार थी. 4 दिन पहले पहाड़ी कोरवा बच्ची की तबीयत अधिक खराब हुई थी। इसके कारण उसका शरीर सूजकर पीला पड़ गया था और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. रविवार को उसे उल्टी होने लगी और अगले दिन बुखार से पीडि़त हो गई. सोमवार को पीडि़त बच्ची की सांसें तेज चलने लगी और परिजन स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को बगीचा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


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