सरकारी संपत्ति आपकी संपत्ति है, भू-माफियाओं ने सच कर दिखाया
- छेरीखेड़ी के छापन तालाब पर बिल्डरों की गिद्धदृष्टि, अधिकारियों से सांठगांठ, कर रहे धड़ाधड़ कब्जा
- खाली जमीन के अलावा तालाब को भी पाटने में संकोच नहीं कर रहे कब्जाधारी छुटभैया नेता
- राजधानी से लगे ग्राम छेरीखेड़ी में तालाब को पाटकर कर रहे कब्ज़ा
- निस्तारी के लिए ग्रामीणों को हो रही परेशानी
- विधायक सहित कलेक्टर, तहसीलदार, पटवारी से शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं
- राजधानी के आउटर में बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई नहीं
- दतरेंगा सहित आसपास के गांवों में अवैध प्लाटिंग कर बेची जा रही खेती की जमीन
- जिला प्रशासन और निगम की अनदेखी
- शहर में छोटे-छोटे अवैध अतिक्रमण पर ही कार्रवाई
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी के आउटर व नवा रायपुर के गांवों में जमीनों की अवैध प्लाटिंग व खरीद फरोख्त जमकर हो रही है। कई कालोनाइजर और बिल्डर कई एकड़ जमीन पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लांच कर रहे हैं। इन प्रोजेक्ट के लिए जरूरी प्रक्रियाओं को भी पूरा नहीं किया गया और लोगों को प्लाट बेचे जा रहे हैं। ताजा मामला राजधानी से लगे ग्राम छेरीखेड़ी का है जहाँ पर बिल्डर और भू-माफियाओं द्वारा निस्तारी हेतु उपयोग में ला रहे छापन तालाब को पाटकर अवैध कब्ज़ा खुले आम किया जा रहा है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक सहित कलेक्टर, पटवारी, तहसीलदार, सरपंच सहित अन्य अधिकारियों से की है परन्तु स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों ने कहा कि इसकी जानकारी सभी को है लेकिन किस वजह से कार्रवाई नहीं हो रही है समझ से परे है। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि भविष्य में निस्तारी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि एक मात्र तालाब है जो लगभग 100 सालों से ग्रामीणों के निस्तारी के काम आ रही है। शासन द्वारा तालाबों को संरक्षित करने का कदम उठाया गया था लेकिन अधिकारी शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं पर बिल्डरों के साथ मिलकर पलीता लगा रहे हैं। छेरीखेड़ी का मामला चूंकि ग्रामीणों का है इस वजह से उनके आवेदन को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है और कब्जेधारी राजनीतिक रसूख वाले हैं इसलिए इश ओर भी ध्यान नहीं दिया जाता। ग्रामीणों को कोर्ट जाने की सलाह देकर अधिकारी अपना इतिश्री कर लेते हैं। अवैध कब्जाधारी किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े होते हैं इस लिए भी अधिकारी कार्रवाई करने में ज्यादा रूचि नहीं लेतेवहीँ दतरेंगा में भी एक नामचीन बिल्डर द्वारा 45 एकड़ जमीन पर अवैध प्लाटिंग की जा रही है। इसकी शिकायत भी जिला प्रशासन को मिली है लेकिन आज तक इस पर संज्ञान नहीं लिया गया है।
एनआरडीए ने अवैध कब्जाधारियों को चेताया
नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण ने इन मामलों की शिकायत मिलने पर अवैध प्लाटिंग करने वालों तथा खरीदारों के लिए चेतावनी जारी की थी इसके बावजूद अवैध प्लाटिंग पर रोक नहीं लगी है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में डायवर्सन की प्रक्रिया का करने तथा छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री शुरू करने के बाद से खेती की जमीन बेचने के लिए यह किया जा रहा है। कुछ महीने पहले नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक प्रशासन विश्वास मेश्राम ने इस मामले को लेकर सार्वजनिक सूचना का प्रकाशन भी करवाया है। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि नवा रायपुर के लेयर वन के बाहर आने वाले गांवों में इस प्रकार की गतिविधियां तेज हो गईं। लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी व धोखाधड़ी से बचाने के लिए यह सूचना जाहिर की जा रही है। प्राधिकरण ने नवा रायपुर अटल नगर क्षेत्र में शामिल 41 गांवों की सूची जारी कर कहा है कि इन गांवों में खेती की जमीन की अवैध प्लाटिंग की जा रही है। प्राधिकरण ने कहा है कि बिना ले.आउट पास हुए प्लाट को खरीदना खतरे से खाली नहीं है। इन प्लाट में किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध माना जाएगा। इस तरह के प्लाट बेचने व खरीदने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। लेकिन उनके चेतावनी का असर किसी को पड़ते दिख नहीं रहा है।। छेरीखेड़ी और दतरेंगा में अवैध प्लाटिंग इसका उदाहरण है। तालाबों को पाटकर और खेती की जमीन में प्लाटिंग नवा रायपुर से लगे गांवों में जमीन की अवैध प्लाटिंग की जा रही है। जबकि एनआरडीए ने सख्त कदम उठाने हेतु विज्ञापन जारी किया था उसके बावजूद भी इन बिल्डरों को कोई फर्क पड़ता नजऱ नहीं आ रहा है। यह काम कई गांवों में चल रहा है। नवा रायपुर से सटे गांवों में तालाबों को पाटकर और सड़क से लगी जमीन पर प्लाट काटने और बेचने का काम सबसे ज्यादा तेजी पर है।
नियमों में छूट का गलत फायदा उठा रहे
नवा रायपुर के आसपास इन गतिविधियों के जानकारों की मानें तो हाल ही में राज्य सरकार द्वारा छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री प्रारंभ करने के फैसले के बाद से अवैध प्लाटिंग तेज हुई है। खेती की जमीन की प्लाटिंग करने वाले कारोबारी लोगों को बता रहे हैं कि अब कृषि भूमि के छोटे हिस्से की भी रजिस्ट्री हो सकती है। साथ ही खेती की जमीन का आवासीय या अन्य प्रयोजन के लिए डायवर्सन भी आसानी से हो जाएगा। इस तरह कानून के प्रावधान की व्याख्या कर ग्राहकों को नवा रायपुर के करीब कम दरों पर प्लाट दिलाने का झांसा देकर जमीन के टुकड़े बेचने का प्रयास कर रहे हैं।
एफआईआर के बाद कोई कार्रवाई नहीं
रायपुर में अवैध प्लॉटिंग का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है. नगर निगम रायपुर की शिकायत और एफआईआर के बाद भी इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं चंद मामलों में ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। अवैध प्लाटिंग करने वाले कई रसूखदारों के खिलाफ रायपुर नगर निगम ने शहर के विभिन्न थानों में लिखित शिकायत दर्ज करा रखी है. नगर निगम के की ओर से 200 से अधिक प्रतिवेदन 32 थानों में दिए गए हैं. एफआईआर के बाद भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। राजधानी रायपुर के दक्षिण और पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक अवैध प्लॉटिंग की शिकायत दर्ज की गई है. नगर निगम से बिना अनुमति लिए कबीर नगर थाना क्षेत्र, खमतराई, पुरानी बस्ती, गुढिय़ारी, डीडी नगर, टिकरापारा समेत अनेक थाना क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का खेल धड़ल्ले से चल रहा था. जब मामले का पता चला तो जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने का सिलसिला शुरू कर दिया. शहर के अलग अलग जोन क्षेत्रों के अधिकारी ने थाने पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई है.कार्रवाई पर हीलाहवाला अवैध प्लॉटिंग को लेकर रायपुर नगर निगम की ओर से की गई शिकायत और एफआईआर के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है
अधिकारियों की चुप्पी संदेह पैदा कर रहा
इस सम्बन्ध में राजस्व विभाग और पुलिस के आला अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो किसी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। करीब दो महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अवैध प्लॉटिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। कार्रवाई नहीं करने को लेकर रायपुर पुलिस की यह चुप्पी अब कई तरह के सवाल पैदा कर रही है. क्योंकि अन्य मामलों में तो पुलिस तत्काल प्रभाव से गिरफ्तारी कर लेती है. लेकिन भू माफियाओं के खिलाफ पुलिस की सुस्ती संदिग्ध हो गई है सरकारी जमीन पर भी कब्जा राजधानी में सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल इस कदर धड़ल्ले से जारी है कि सरकार का कोई भी विभाग हो, उसकी जमीन सुरक्षित नहीं है। जमीनों पर कब्जे व अतिक्रमण हटाने का काम करने वाला नगर निगम खुद अपनी जमीन बचाने में नाकाम साबित हुआ है तो सरकार में बैठे अधिकारी कहाँ ध्यान देंगे ।
सरकारी संपत्ति आपकी संपत्ति है
सरकारी विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जाधारियों ने कब्ज़ा जमाया हुआ है। वन विभाग हो या सिंचाई विभाग या फिर पीडब्लूडी विभाग, कोई भी ऐसा विभाग नहीं, जिस पर भू-माफियाओं की बुरी नजर न पड़ी हो। सरकारी संपत्ति आपकी संपत्ति है इस स्लोगन को कब्जाधारियों ने अपने लिए ही समझ लिया है लेकिन उन्हें पता है कि नहीं कि सेन्ट्रल जेल भी अपना है। कब्जाधारियों ने इस स्लोगन को आधार मानकर करोड़ों कीमत की सरकारी जमीं पर अवैध कब्ज़ा जमा लिए हैं। छुटभैया नेताओं के दबाव से कार्रवाई से खींच रहे हाथ छुटभैया नेताओं का वर्चस्व और राजनीतिक घुसपैठ के चलते अधिकारी अवैध कब्जा और अवैध प्लाटिंग पर चाह कर भी कार्रवाई नहीं कर पाते है। छुटभैया नेता की मिली भगत से ही बिल्डर जमीनों पर कब्जा कर उसमें प्लाटिंग करने की हिम्मत दिखाते है। क्योंकि बिल्डरों के मिडयेटर के रूप में छुटभैया काम करते है और अवैध प्लाटिंग कराते है। उसके बदले में बिल्डर उन्हें नजराना पेश करते है। अधिकारियों को सब कुछ जानकारी होने के बाद भी रसूखदारों पर कार्रवाई करने से पीछे हट जाते है।
सरकार का 2031 का मास्टर प्लान भू-माफियाओं की भेंट चढ़ गया
भू-माफियाओं की सोच सरकार से भी बहुत आगे
मास्टर प्लान में शामिल गांवों की अधिकतर जमीनों पर भू-माफियाओं का कब्जा
सरकार को अपने प्लान को धरातल पर लाने के लिए नहीं मिल रही है जमीन
प्रदेश के भू-माफिया और बिल्डरों की सोच है कि सरकार तो आती-जाती रहती है, लेकिन बिल्डर हमेशा विद्यमान रहते है। बिल्डरों की अधिकारियों और कर्मचारियों से इतनी तगड़ी है कि सरकार की आने वाली योजनाओं की जानकारी आसानी से मिल जाती है। राज्य बनने का बाद साथ बिल्डरों ने सरकार के 2031 तक के मास्टर प्लान की कापी गोपनीय तरीके से निकाल कर अपने फायदे वाली सभी जमीनों को किसानों से खरीद लिया है। सरकार की घास भूमि, कोटवारी भूमि, उद्यम, सड़क, स्कूल अस्पताल की आरक्षित भूमि पर कब्जा वर्षो पहले कर लिया है। अब सरकार 2031 को धरातल पर उचतारने के लिए जो सर्वे किया उसमें सभी जमीनों पर कब्जा बिल्डरों का दिखा रहा है। बिल्डरों ने अपने रसूख का फायदा उठाकर मौके की सभी जमीनों को अलग-अलग व्यापारिक संंगठन बनाकर जमीनों पर काबिज करवा दिया है। खबर तो ये भी आ रही है कि एक नामचीन व्यापारी ने विदेशों में कारोबार करने वालों को यहां बसाने तक की प्लानिंग कर ली है। जिसके लिए अलग से एक टाउन बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। जिसमें छत्तीसगढ़ के उद्योग व्यवसाय में निवेश करने वाले एनआरआई और विदेशी विनेशकों का परिवार निवास करेगा। जिसके लिए व्यापारियों से संगठनों ने गोपनीय तरीके से अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर जमीन को हथिया लिया है। अब योजना को सिर्फ मूर्त रूप देना है। 2031 के मास्टर प्लान में शामिल होने वाले 300 गावों में सरकार से पहले बिल्डरों और भूमाफियाओं ने पैर पसार लिया है। अब सरकार को अपने प्लान पर काम करने के लिए इन बिल्ड़रों और बू-माफियाओं को मुंह मांगा मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहण करना पड़ेगा नहीं तो 2031 का मास्टर प्लान धरा का धरा रह जाएगा। बिल्डर लाबी तो यहीं चाहती है कि सरकार का प्लान हर हालत में हो और यदि प्लान पर काम करना चाहती है तो बिल्डरों को मुंहमांगा मुआवजा देकर ही जमीन खाली करानी पड़ेगी। रायपुर से दुर्ग रोड, धमतरी-जगदलपुर रोड बिलासपुर रोड, बलौदाबाजार रोड के लगे गांव जो 2031 के शहरी मास्टर प्लान का हिस्सा बनेंगे वो पहले से ही बिल्डरों और भू-माफियाओं के कब्जे में है। ऐसे में आशंका है कि सरकार का 2031 वाला मास्टर प्लान पूरी तक ध्वस्त हो सकता है। क्योंकि यह साजिश बिल्डरों ने आज से 20 साल पहले रच चुके है।
मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-
जो दिखेगा, वो छपेगा...