पशुओं को लम्पी स्कीन रोक से बचाने छग सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किया

रायपुर। पशुओं को लम्पी स्कीन रोग से बचाव के लिए संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छत्तीसगढ़ ने विभाग के संयुक्त संचालकों एवं उप संचालकों को इस रोग के नियंत्रण एवं बचाव के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। लम्पी स्कीन रोक से संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने, अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने के साथ ही वेक्टर नियंत्रण एवं संक्रमित ग्रामों के 5 किलोमीटर की परिधि में गोटपाक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन कराने के निर्देश दिए गए है। रोग ग्रस्त पशुओं से नमूना एकत्र कर राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर को भिजवाने के भी हिदायत अधिकारियों को दी गई है। लम्पी स्कीन रोक विषाणुजनित संक्रमित रोग है, जो रोगी पशु से स्वस्थ पशु में छूने एवं मच्छर व मक्खियों के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुटली बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है। लम्पी स्कीन रोग संक्रमण से दूधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता, भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता एवं कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
परिणाम स्वरूप पशु पालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। संचालक पशु चिकित्सा ने लम्पी स्कीन रोक के नियंत्रण हेतु राज्य सीमा से लगे क्षेत्रों में चेक पोस्ट लगाने तथा नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के 18 जिलों की सीमा अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है। जहां से बीमार पशुओं के आवागमन की संभावना है। यह भी संभव है कि पशु व्यापारी द्वारा विक्रय हेतु राज्य में लाए गए पशु रोग ग्रस्त हो, इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सीमावर्ती ग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर चेक पोस्ट लगाकर नियमित चेकिंग सुनिश्चित की जाए तथा आसपास के गांवों में कोटवारों को भी इस संबंध में अलर्ट किया जाए। साथ ही इन गांवों में पशु मेला का आयोजन नहीं करने और पशु बिचौलियों पर भी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।