छत्तीसगढ़

राखी में आज गोठान मेला सह-कृषक संगोष्ठी का आयोजन

Nilmani Pal
21 Feb 2022 3:55 AM GMT
राखी में आज गोठान मेला सह-कृषक संगोष्ठी का आयोजन
x

बेमेतरा। बेमेतरा जिले के राखी गोठान में आज गोठान मेला सह-कृषक संगोष्ठी का आयोजन कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की विशेष मौजूदगी में होगा। इस मौके पर मंत्री चौबे राखी गोठान में केला तना रेशा उत्पादन इकाई का शुभारंभ करेंगे। बेमेतरा जिले के ग्राम पंचायत मही-दही के आश्रित गांव भैसामुड़ा के गोठान में ही दाल प्रसंस्करण इकाई की शुरूआत होगी। राखी में गोठान मेला सह-कृषक संगोष्ठी का आयोजन पूर्वान्ह 10ः00 बजे से संध्या 5ः00 बजे तक किया जाएगा। कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा, जनपद पंचायत साजा एवं उन्नति कृषक उत्पादक सहकारी समिति साजा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में कृषकों एवं ग्रामीणों से सहभागी होने की अपील की गई है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गोठानों को आजीविका का केन्द्र बनाने तथा ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गोठानों में वृहद पैमाने पर आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गोठानों में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत खरीदे जा रहे गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ही अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं व्यवसाय को गति देने के लिए अब गोठानों में कृषि एवं लघु वनोपज के प्रसंस्करण की इकाईयां भी तेजी से स्थापित की जा रही हैं। इसी कड़ी में बेमेतरा जिले के राखी गोठान में केला तना रेशा प्रसंसकरण तथा भैसामुड़ा गोठान में दाल प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है। जिसका शुभारंभ 21 फरवरी को कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे करेंगे। ज्ञातव्य है कि बेमेतरा जिले के राखी गोठान में गोबर से बिजली बनाने की परियोजना का शुभारंभ 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने किया था।

गौरतलब है कि राज्य के 8 हजार से अधिक सक्रिय गोठानों में से अब तक 152 गोठानों में तेल मिल तथा 173 गोठानों में दाल मिल स्थापित किए जाने की प्रक्रिया शुरू है। जिसमें से 18 गोठानों तेल मिल तथा 53 गोठानों में दाल मिल की स्थापना की जा चुकी है। गोठानों में प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से महिला स्व-सहायता समूह के आय में वृद्धि होगी। गोठानों में महिला समूहों द्वारा वर्मी खाद, सामुदायिक बाड़ी के माध्यम से सब्जी उतपादन, मछली, बकरी, मुर्गी पालन सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। जिससे महिला समूहों को अब तक 51 करोड़ 36 लाख रूपए की आय हो चुकी है।

Next Story