छत्तीसगढ़

हाथियों से प्रभावित इलाके में अच्छे पेड़ों की हो रही कटाई

Shantanu Roy
28 March 2022 4:27 PM GMT
हाथियों से प्रभावित इलाके में अच्छे पेड़ों की हो रही कटाई
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छग

प्रतापपुर। वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत धरमपुर वन क्षेत्र के ग्राम सिंघरा जंगल में कूप कटाई के नाम पर सैकड़ों की संख्या में संरक्षित प्रजाति के हरे-भरे साल वृक्षों को कटवाने का मामला सामने आया है। हाथी प्रभावित इस इलाके के जंगल के भीतर पहुंचकर मामले की पड़ताल की गई तो पहली नजर में ही वृक्षों की कटाई संदिग्ध नजर आई। जंगल के भीतर जगह-जगह बड़ी संख्या में काटे गए इमारती साल वृक्षों की लकड़ी के ढेर पड़े हुए थे। इनमें विशालकाय वृक्षों के मोटे-मोटे गोले भी हैं।

साथ ही बड़ी मात्रा में वृक्षों से अलग की गई शाखाओं के ढेर भी पड़े हुए हैं। विभाग इस बात से अनजान है कि लावारिस हालत में पड़े इन लकड़ी के ढेरों पर लकड़ी तस्करों की भी नजर पड़ सकती है। शासन द्वारा प्रति वर्ष वृक्षारोपण योजना के तहत वन विभाग को बड़ी राशि मुहैया कराई जाती है जिसमें वन विभाग द्वारा वन भूमि पर पौधारोपण कराया जाता है। साथ ही ग्रामीणों की जमीन पर भी पौधारोपण हेतु प्रेरित कर पौधे बांटने होते हैं, मगर यहां न तो वन भूमि पर पौधारोपण का कार्य सही तरीके से किया जा रहा है और न ही लोगों को पौधे लगाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।

यहां पौधारोपण का कार्य केवल कागजों पर ही पूरा कर लिया जाता है, और जो थोड़े बहुत पौधे लगाए भी जाते हैं तो वे भी देख-रेख के अभाव में नष्ट हो जाते हैं। अगर शासन द्वारा कूप कटाई की गंभीरता से जांच कराई जाए तो यह पता चल जाएगा कि ये पेड़ बिलकुल भी काटने योग्य नहीं थे, बल्कि जानबूझकर नियमों को ताक पर रखते हुए गलत तरीके से सर्वे कर इन स्वस्थ वृक्षों की बलि चढ़ाई गई है। यह भी बताया जा रहा कि वन विभाग की टीम काटे गए वृक्षों की लकड़ी के उठाव के लिए वाहन लेकर पहुंची थी।

लेकिन नाराज ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम का विरोध करते हुए उसे खाली वाहन के साथ बैरंग लौटा दिया। गांव वालों का कहना है कि नियमों के विपरीत की गई कूप कटाई की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए, और यदि ऐसा नहीं होता है तो वन विभाग को जंगल से लकड़ी नहीं ले जाने दी जाएगी। इधर प्रतापपुर रेंजर पीसी मिश्रा ने ग्रामीणों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि कूप कटाई का कार्य सर्वे के आधार पर ही किया गया है।

बीमार, सूखे एवं अल्प विकसित पेड़ों की होनी थी कटाई
इस संबंध में जब ग्राम पंचायत सिंघरा के ग्रामीणों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि कूप कटाई से पूर्व धरमपुर के एक वन अधिकारी ने गांव वालों के साथ बैठक की थी। इसमें प्रतापपुर के रेंजर भी शामिल हुए थे। बैठक में मौजूद ग्रामीणों, पंचों व सरपंच से वन विभाग के अधिकारियों ने कूप कटाई की सहमति हेतु जिन कागजातों पर हस्ताक्षर कराए थे उनमें बताया गया था कि ग्राम सिंघरा के जंगल में सर्वे के आधार पर कूप कटाई का कार्य किया जाएगा जिसमें केवल बीमार, सूखे, खोखले व अर्धविकसित पाए गए वृक्षों को ही काटा जाएगा। ग्रामीणों का आरोप है की वन विभाग ने जानबूझकर कुछ खराब वृक्षों के साथ साथ स्वस्थ वृक्षों को भी कूप कटाई बता काट डाला।
इस वजह से पहुंचता है वृक्षों को नुकसान
जंगलों में झाड़ीनुमा पंचफूली फूल का पौधा पाया जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम 'लैंटाना कैमरा' है। यह एक प्रकार का खरपतवार है जिसमें बेहद खतरनाक हानिकारक गुण होता है जो वृक्षों तक पहुंचकर उन्हें संक्रमित करने का कार्य करता है फिर यह संक्रमण एक वृक्ष से होते हुए अन्य वृक्षों में भी फैलने लगता है। इसके कारण वृक्षों का विकास अवरूद्ध हो जाता है और परिणामस्वरूप वृक्ष बेकार हो जाते हैं। यह हानिकारक पौधा देश के कई राज्यों के जंगलों में पाया जाता है। इसके हानिकारक गुणों के कारण इसे कुरी और छतियानाशी नामों से भी जाना जाता है। इस खरपतवार के उन्मूलन हेतु राज्य कैंपा निधि के तहत शासन द्वारा वन विभाग को बड़ी राशि दी जाती है मगर वन विभाग द्वारा इस राशि का उपयोग जमीनी स्तर पर नहीं किया जाता।
वन समिति को भी नहीं दी जानकारी
वन समिति अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य मंजु संतोष मिंज का कहना है कि वन विभाग ने कूप कटाई के कार्य से मुझे अनजान रखा है। मुझे अभी आपसे जानकारी मिल रही है। मैं स्वयं मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करूंगी और यदि मामला अवैध कटाई का निकला तो दोषियों पर कार्रवाई की मांग करूंगी।
बयान
केंद्र सरकार के अनुमोदन व राज्य सरकार के निर्देश पर दस वषोर् के लिए कूप कटाई की कार्य योजना बनाई जाती है। फलदार वृक्षों को छोड़कर उन वृक्षों को काटे जाने हेतु चिन्हित किया जाता है जो किसी भी प्रकार से खराब हालत में पाए जाते हैं। वन विभाग चिन्हित वृक्षों से ज्यादा वृक्षों को नहीं काट सकता। ग्रामीणों के आरोपों की जांच कराई जाएगी। आरोप सही पाए जाने पर जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी। काटे गए अतिरिक्त वृक्षों के मूल्य के बराबर की राशि उनसे वसूल की जाएगी।
मनीष कश्यप, वन मंडलाधिकारी सूरजपुर
Shantanu Roy

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