हाथियों से प्रभावित इलाके में अच्छे पेड़ों की हो रही कटाई
प्रतापपुर। वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत धरमपुर वन क्षेत्र के ग्राम सिंघरा जंगल में कूप कटाई के नाम पर सैकड़ों की संख्या में संरक्षित प्रजाति के हरे-भरे साल वृक्षों को कटवाने का मामला सामने आया है। हाथी प्रभावित इस इलाके के जंगल के भीतर पहुंचकर मामले की पड़ताल की गई तो पहली नजर में ही वृक्षों की कटाई संदिग्ध नजर आई। जंगल के भीतर जगह-जगह बड़ी संख्या में काटे गए इमारती साल वृक्षों की लकड़ी के ढेर पड़े हुए थे। इनमें विशालकाय वृक्षों के मोटे-मोटे गोले भी हैं।
साथ ही बड़ी मात्रा में वृक्षों से अलग की गई शाखाओं के ढेर भी पड़े हुए हैं। विभाग इस बात से अनजान है कि लावारिस हालत में पड़े इन लकड़ी के ढेरों पर लकड़ी तस्करों की भी नजर पड़ सकती है। शासन द्वारा प्रति वर्ष वृक्षारोपण योजना के तहत वन विभाग को बड़ी राशि मुहैया कराई जाती है जिसमें वन विभाग द्वारा वन भूमि पर पौधारोपण कराया जाता है। साथ ही ग्रामीणों की जमीन पर भी पौधारोपण हेतु प्रेरित कर पौधे बांटने होते हैं, मगर यहां न तो वन भूमि पर पौधारोपण का कार्य सही तरीके से किया जा रहा है और न ही लोगों को पौधे लगाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
यहां पौधारोपण का कार्य केवल कागजों पर ही पूरा कर लिया जाता है, और जो थोड़े बहुत पौधे लगाए भी जाते हैं तो वे भी देख-रेख के अभाव में नष्ट हो जाते हैं। अगर शासन द्वारा कूप कटाई की गंभीरता से जांच कराई जाए तो यह पता चल जाएगा कि ये पेड़ बिलकुल भी काटने योग्य नहीं थे, बल्कि जानबूझकर नियमों को ताक पर रखते हुए गलत तरीके से सर्वे कर इन स्वस्थ वृक्षों की बलि चढ़ाई गई है। यह भी बताया जा रहा कि वन विभाग की टीम काटे गए वृक्षों की लकड़ी के उठाव के लिए वाहन लेकर पहुंची थी।
लेकिन नाराज ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम का विरोध करते हुए उसे खाली वाहन के साथ बैरंग लौटा दिया। गांव वालों का कहना है कि नियमों के विपरीत की गई कूप कटाई की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए, और यदि ऐसा नहीं होता है तो वन विभाग को जंगल से लकड़ी नहीं ले जाने दी जाएगी। इधर प्रतापपुर रेंजर पीसी मिश्रा ने ग्रामीणों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि कूप कटाई का कार्य सर्वे के आधार पर ही किया गया है।