इसके अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने यह भी बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट पीटिशन (सिविल) क्र0 427/2022, बचपन बचाओ आंदोलन विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया में दिये गये निर्देशों के पालन के अनुक्रम में गुमशुदा बच्चों के अलावा दुर्घटनाओं में मृतक की पहचान, मानसिक रोगियों आदि की पहचान सरलता, सुंगमता एवं शीघ्रता से किये जाने में आधार कार्ड एक प्रमुख दस्तावेज होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा बच्चा ही क्यों न हो, उनका आधार कार्ड बनवाया जाना आवश्यक है, ताकि छोटे बच्चों के गुम होने या चौंक चौराहों पर उनकी भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर या अत्यंत ही वृद्ध व्यक्तियों के द्वारा भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर और उनके द्वारा अपने निवास या परिजनों का पता नहीं बता सकने की स्थिति में उनके निवास एवं परिजनों का पता उनके अंगूठा निशानी एवं आंखो की पुतलियों की जांच कर आधार कार्ड के माध्यम से आसानी से लगाया जा सकता है तथा उन्हें उनके निवास पता/परिजनों तक राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सकुशल पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा पुलिस द्वारा गुमशुदा बच्चों की बरामदगी किये जाने एवं बच्चों द्वारा अपने निवास स्थान या परिजनों का सम्पूर्ण ब्यौरा देने में असमर्थ होने की स्थिति में संबंधित पुलिस कर्मी द्वारा ऐसे गुमशुदा बच्चों का च्वाईस सेंटर/ आधार कार्ड सेवा केन्द्र के माध्यम से उनके उंगलियों एवं आखों की जांच उपरांत उनके आधार कार्ड के आधार पर तत्काल उनके परिजनों का पता लगाया जाकर उनकी सकुशल घर वापसी कराया जा सकता है। इस हेतु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव द्वारा समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को तत्संबंध में एक विशेष अभियान ‘‘पहचान’’ के तहत जिला एवं तालुका स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों, शिविरों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं संबंधित विभाग के सहयोग एवं समन्वय से आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देश जारी किये गये है।
ज्ञात हो कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा स्वस्थ हो चुके मानसिक मरीजों को उनके परिवारजन से मिलाने व उनके निवास स्थान तक भिजवाने की कार्यवाही हेतु पूर्व से अभियान ‘‘उम्मीद’’ चलाई जा रही है।