महासंमुद। ज़िले के महासमुंद सहित सभी विकासखंण्ड के गांवों में सामाजिक, आर्थिक स्थिति के अलावा वहां के भूमिहीन एवं गरीब परिवारों की समस्याओं का समाधान, ग्रामीण महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक एवं उनकी राजनीति क्षेत्र में सहभागिता तथा विभिन्न राज्य स्तरीय योजनाओं तथा पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्रामीणों के जीवन में गुणवत्तापूर्ण सुधार आ रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना ने ज़िले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति तो मिली ही बल्कि गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़े। इस योजना के तहत गौठानों में ग्रामीण पशुपालकों से 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी तथा अब 4 रूपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। जिले के गौठानों में स्वसहायता समूह की महिलाओं को बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों के समन्वय से मल्टीएक्टीविटी व्यवसायों से जोड़कर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के तहत जिले में जल संरक्षण एव संवधर्न के साथ-साथ किसानों के लिए सिंचाई के साधन भी उपलब्ध हो रहे है। आपको गांव में जाकर पता चलेगा कि पालकों से दो रूपये किलो में गोबर खरीदा जा रहा है। ज़िले में अब तक इस योजना में गोबर ख़रीदी कर 11 करोड़ 66 लाख 15 हज़ार का भुगतान हितग्राहियों को किया जा चुका।
गौठानों में समूह की महिलायें वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर रही है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही अब समूह की महिलायें रिपा अन्तर्गत गोबर डिस्टम्पर बना रही है। बिरकोनी गौठान में हाल ही शुरुआत में 1800 लीटर डिस्टम्पर पेंट का उत्पादन किया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से 1000 लीटर डिस्टम्पर का ऑडर मिला है। गोड़बहाल गौठान में दुग्ध संयन्त्र केंद्र की स्थापना से दुग्ध उत्पादन विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाकर ग्रामीण अपनी आय बढ़ा रहे। वही बिरकोनी गौठान में रिपा अन्तर्गत स्थापित की गयी सीएनसी मशीन ने पूरे गौठान में एक अपनी अलग पहचान बना ली है। सीएनसी मशीन का उपयोग ज्यादातर लोग ज्यादा प्रोडक्शन निकालने के लिए करते हैं। माया समूह की अध्यक्ष सुश्री इंद्राणी कश्यप ने बताता कि शुरुआत में उन्हें 10 हज़ार का लाभ हुआ। पहले वह माँ-बाप से पैसे माँगा करती थी। किंतु अब ऐसा नहीं है। अन्य काम के साथ सीएनसी ( कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल") मशीन पर कार्ड बोर्ड ( थर्माकोल शीट) पर विभिन्न साज-सज्जा की आकृति, चित्र बनाकर और उसकी कटिंग करती है। इसकी डिमांड मार्केट में बहुत ज्यादा हो गई है। मुनाफ़ा भी अच्छा है। अभी और प्रशिक्षण की ज़रूरत है। प्रशासन सहयोग कर रहा है। समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित सामग्री सी-मार्ट के ज़रिए बेच रही। वही रोज़मर्रा की सामग्री स्कूल, शाला-आश्रमों सरकारी कार्यालयों में अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ क्रय की जा रही है। दूसरे शहरों राज्यों में रोज़गार या काम की तलाश में जाने वाले में कमी आयी है।
राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सरकार द्वारा सभी शासकीय विभागों, निगम, मंडलों, स्थानीय निकायों में रंग-रोगन कार्य के लिए गोबर डिस्टम्पर पेंट का उपयोग पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी करके इससे वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं। गोबर से विद्युत उत्पादन और प्राकृतिक डिस्टम्पर पेंट निर्माण की शुरूआत की गई है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला समूहों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है।
इसी माह छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बिश्व भूषण हरिचन्दन महासमुंद जिले के ग्राम सिरपुर (बांसकुड़ा) में क़मार जनजाति की बिहान समूह की महिलाओं और हितग्राहियों से मुलाक़ात दौरान, उन्हें कार्यक्रम परिसर में आंगनबाड़ी और सरकारी उचित मूल्य की दुकान को गोबर डिस्टम्पर पेंट से पुताई से अवगत कराया।जिसकी सराहना हुई।