रायपुर। सामान्य सा आदिवासी कृषक परिवार अब परिवार की महिला के सूझबूझ और मेहनत से बकरी पालन के नए व्यवसाय में महात्मा गांधी नरेगा की मदद से आगे बेहतर भविष्य की राह में आगे बढ़ रहा है। एक आदिवासी परिवार की महिला सदस्य के लिए यह एक स्वरोजगार की तरह स्थापित हो रहा है। परिवार की महिला सदस्य श्रीमती जयकुमारी ने बीते छह माह में ही बकरियों को बेचकर 60 हजार रूपए का आर्थिक लाभ प्राप्त कर लिया है।
कोरिया जिले के सोनहत वनांचल के ग्राम कुशहा में रहने वाले सोनवंशी परिवार के लिए कृषि आजीविका का मुख्य साधन रहा है और खेती बाड़ी के अलावा परंपरागत रूप से बकरी पालन का काम परिवार करता रहा है। आज से एक साल पहले तक इस परिवार के लिए बकरी पालन सामान्य कार्य ही था पर अब यह जयकुमारी और उनके परिवार के लिए सुदृढ़ आमदनी के व्यवसाय में बदल रहा है। मुस्कुराते हुए जयकुमारी कहती हैं कि अब रोजगार की कोई चिंता नहीं है इसी काम को और आगे बढ़ाना है।