छत्तीसगढ़

बच्चों को दें बेहतर खानपान की सीख, मौसमी बीमारियों से कम होंगे बीमार

Nilmani Pal
26 Aug 2022 10:41 AM GMT
बच्चों को दें बेहतर खानपान की सीख, मौसमी बीमारियों से कम होंगे बीमार
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रायगढ़। शहर में पिछले एक महीने के दौरान मौसम में आए बदलाव के साथ बच्चों में वायरल फीवर के केस बढ़े हैं। आमतौर पर तीन से सात दिनों में ठीक होने वाले बच्चों को फिलहाल 10-15 दिन लग रहे हैं। किसी किसी को बुखार ठीक होने के बाद सर्दी और खांसी सही होने में पंद्रह दिन से ज्यादा लग रहे हैं। डाक्टरों के अनुसार ऐसी स्थिति से बचने के लिए बच्चों में बेहतर और स्वस्थ खानपान की आदत डालने चाहिए। बेहतर खान पान से बच्चे मौसमी बीमारियों से कम बीमार पड़ेंगे।

इस सम्बन्ध में 5 दशक से बच्चों को चिकित्सीय परामर्श दे रहे वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनमोहन श्रीवास्तव (एमडी, शिशु रोग) बताते हैं: " कोई भी वायरस हर साल बदलाव करता है। इस समय बच्चों में जो वायरल इंफेक्शन देखा जा रहा है, वह पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा अलग है। दरअसल, जितने भी बीमार बच्चों का हमने इलाज किया है उनमें सर्दी, खांसी ठीक होने के 7 दिन से अधिक समय लगा। कई मामलों में संक्रमण सांस नलियों को नुकसान पहुंचा रहा है, हालांकि यह घबराने वाली बात नहीं है। इस साल बच्चों को ज्यादा बुखार और सर्दी हो रही है। दो साल तक बच्चे बेहतर में माहौल में थे। खानपान घर का था तो उनकी इम्युनिटी बेहतर थी। कोरोना संक्रमण के कम होने से बच्चों के खानपान में बदलाव आया है और बाहरी खानपान का चलन तेजी बढ़ गया है। इस कारण बच्चों में बुखार, सर्दी-खांसी और टायफाइड के लक्षण आम है। अभी का बुखार लंबा खींच रहा है। ऐसे पालकों को सतर्क रहने की जरूरत है और बच्चों को बेहतर खानपान की सीख देनी चाहिए इससे मौसमी बीमारियों से बीमार पड़ने की सम्भावना कम रहती है।"

सेल्फ मेडिकेशन से बचें पालक

राज्य के वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सकों में शुमार डॉ. श्रीवास्तव ने आगे बताया: "आजकल पालक बहुत जल्द परेशान हो जाते हैं। वो सामान्य सर्दी-बुखार में भी डॉक्टर की दौड़ लगाते हैं। अभी एक बच्चे लेने का चलन है और पालक कामकाजी भी हो गए हैं जिसके कारण वे बच्चों को लेकर अधिक परेशान रहते हैं। घर में बड़े-बुजुर्गों भी नहीं होने के कारण उन्हें कोई सलाह नहीं दे पाता कि कई बीमारियां को घरेलू नुस्के और परहेज से ठीक हो जाती हैं। इससे विकट स्थिति तो पालकों द्वारा ऑनलाइन सर्च कर सेल्फ मेडिकेशन (खुद में डाक्टर बन जाना और दवा दुकान से दवा लेना) कर लेना है जो सही नही है। बच्चों के मामले में सजग रहना जरूरी है लेकिन अत्यधिक परेशान होना और इंटरनेट का सहारा लेना गलत। नेट में आपको सामान्य सी चीज बहुत बड़ी लगेगी और अनावश्यक डर लगेगा कई बार उसी को सच मानकर आपसे बहुत बड़ी गलती हो सकती है। टेस्ट रिपोर्ट को डॉक्टर ही बेहतर तरीके से समझा सकेगा। डॉक्टर रोग की पहचान करता है उसकी जांच करता है फिर उसके अनुसार इलाज करता है।"

बच्चों के स्वास्थ्य के साथ न करें खिलवाड़

डॉ. मनमोहन श्रीवास्तव ने बताया: "वायरल फीवर को ठीक होने में 5 दिन तक लगते हैं। जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। लेकिन पालकों को जल्द से जल्द बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार चाहिए क्योंकि आजकल ज्यादातर पालक कामकाजी है और उन्हें छुट्टी लेने में समस्या होती है तो उनके दबाव में एंटीबायोटिक देने का चलन बढ़ गया है। इसका पांच दिन का कोर्स होता है जिसे पूरा करना होता है पर ज्यादातर लोग कोर्स पूरा नहीं कर पाते। एंटीबायोटिक बच्चे के यूरिन और ब्लड टेस्ट को प्रभावित करते हैं। बच्चों में एंटीबोयटिक दवाओं के दुरूपयोग को रोकें। वैसे भी किसी भी दवा को असर करने में 48 घंटे लगते हैं। लोग अपने चिकित्सक पर विश्वास रखें और हड़बड़ाकर अपने बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें।"

कैसे रखें बच्चों को सुरक्षित

छोटे बच्चो को ज्यादा एक्सोज होने से बचाएं, तापमान के हिसाब से बच्चों का ख्याल रखें। घर में जिन लोगों को वायरल फीवर है उनसे बच्चों को दूर रखें। सभी मास्क का उपयगो करें। बाहर से आने वाले लोग सावधानी बरतें, बच्चे घर पर ही हैं आप उन्हें रोग दे सकते हैं।

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