छत्तीसगढ़

गेवरा खदान फिर तीन घंटे बंद, जानिए क्या है वजह

Shantanu Roy
13 July 2022 3:55 PM GMT
गेवरा खदान फिर तीन घंटे बंद, जानिए क्या है वजह
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कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में आज फिर सैकड़ों ग्रामीणों ने विस्थापित गांवों के बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग पर तीन घंटे तक गेवरा खदान के ओबी और कोयले के उत्पादन को ठप्प कर दिया। आंदोलनकारी किसान आऊटसोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार भूविस्थापितों को देने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकरियों को खदान के अंदर घुसने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सीआईएसएफ को लगाया गया था, लेकिन प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार खदान के अंदर घूसकर खदान बंद कराने में सफल हो गए। इससे परिवहन गाड़ियों की लंबी कतार लग गई और कोयला ढुलाई का भी काम ठप्प हो गया। इससे एसईसीएल और आऊट सोर्सिंग कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

उल्लेखनीय है कि किसान सभा के नेतृत्व में रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि स्थानीय भूविस्थापित बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाए इस क्षेत्र के बाहर के लोगों को रोजगार बेचा जा रहा है और इसमें एसईसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनियों की पूरी मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि विस्थापन प्रभावित लोगों के लिए रोजगार का प्रबंध करना एसईसीएल की जिम्मेदारी है, लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा प्रबंधन अपने इस सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने से मुकर रहा है।

किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक तथा जनवादी नौजवान सभा के दामोदर श्याम ने भूविस्थापित बेरोजगारों को खनन कार्यों में सक्षम बनाने हेतु प्रशिक्षण कैम्प लगाने की मांग करते हुए आउटसोर्सिंग कंपनियों में कार्य कर रहे लोगों का पुलिस वेरीफिकेशन करने की मांग की है, ताकि रोजगार खरीदने वाले लोगों का स्पष्ट पता लग सके। उन्होंने कहा कि नरईबोध और गंगानगर सहित दर्जनों गांव खनन परियोजना से प्रभावित है और हजारों परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने को मजबूर है, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन घूस लेकर रोजगार बेचने में लगा है।
तीन घंटे की खदान बंदी के बाद एसईसीएल के अधिकारी अमिताभ तिवारी दर्री सीएसपी लितेश सिंह के साथ मौके पर पहुंके और आंदोलनकारी नेताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने 16 जुलाई से स्थानीय बेरोजगारों के लिए प्रशिक्षण कैम्प लगाने और आउटसोर्सिंग कंपनियों से निकाले गए ड्राइवरों को वापस रखने एवं अन्य अनुभवी ड्राइवरों को 15 जुलाई तक काम पर रखने का आश्वासन दिया। उनके इस आश्वासन के बाद खदान बंदी खत्म की गई।
खदान बंद आंदोलन में प्रमुख रूप से रेशम, रघु, मोहन कौशिक, दीना, अनिल, हेमलाल, होरी, सुमेन्द्र सिंह, लंबोदर, पंकज, माखन यादव, विजय दास, दिलहरण चौहान, उमेश पटेल, मुरली मनोहर, जयपाल, उजाला, इंदल, श्याम रतन, मुखी, सहदेव, अरविंद, चम्पा बाई, अघन, लता, गीता, बृहस्पति, नीरा, लक्षमनिया, गंगा, रमिला, पूर्णिमा के साथ बड़ी संख्या में विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगार शामिल थे। किसान सभा ने कहा कि सभी गांव के बेरोजगारों को एकजुट करके बड़ी आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
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