x
छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् रायपुर में 25 दिसंबर को गीता जंयती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्वानों ने गीता के महत्व और संदेश, कर्म, ज्ञान, योग, भक्ति एवं सन्यास के संबंध में सारगर्भित व्याख्यान दिए। साथ ही गीता के महत्व को दर्शाते हुए गीता को संस्कृत के पाठ्यक्रम में रखे जाने का उल्लेख किया और संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं गीता जयंती वृहद स्तर पर आयोजित करने के सुझाव भी दिए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सहायक प्राध्यापक श्री तोयनिधि वैष्णव, अध्यक्षता सेवानिवृत प्राध्यापक श्री पार्थसार्थी राव और विशिष्ट अतिथि के तौर डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र, अध्यक्ष बक्शी शोधपीठ की डॉ. मनीषा पाठक, सेवानिवृत पार्चाय डॉ. सुखदेवराम साहू, और छत्तीसगढ़ विद्यामंडलम के पूर्व सचिव डॉ. सुरेश शर्मा मौजूद थे।
विद्वानों ने कहा कि गीता समस्त शास्त्रों का सार है। गीता सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। देश एवं विदेशों में लोग गीता के ज्ञान को ग्रहण कर रहे हैं। गीता का ज्ञान मानव जीवन में आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। कार्यक्रम में अध्यक्ष एवं विशिष्ट अतिथियों ने गीता के महत्व को दर्शाते हुए गीता को संस्कृत के पाठ्यक्रम में रखे जाने का उल्लेख किया। साथ ही संस्कृत के प्रचार-प्रसार एवं गीता जयंती वृहद स्तर पर आयोजित करने के सुझाव दिए। गोष्ठी का संचालन करते हुए विद्यामंडलम कें सहायक संचालक श्री लक्ष्मण प्रसाद साहू ने विद्वानों को बताया कि छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम व्यावयायिक कार्यक्रम मंे प्रवचनम् विषय मंे गीता को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम रायपुर के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने इस अवसर पर सभी विद्वानों का सम्मान किया एवं कहा कि संस्कृत विद्यालयों एवं संस्कृत भाषा के विकास के लिए प्रयास किया जाएगा। साथ ही अकादमिक कार्यक्रम तथा जयंती को वृहद पैमाने पर मनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। गोष्ठी में सहायक प्राध्यापक संस्कृत महाविद्यालय रायपुर के डॉ. बहुरन लाल साहू, सहायक संचालक एससीआरटी रायपुर के डॉ. विद्यावति चंद्राकर, व्याख्याता हाईस्कूल धरसींवा के श्री पीलाराम साहू, सहायक प्राध्यापक खैरागढ़ इंदिराकला संगीत विशविद्यालय के डॉ श्रीमती पूर्णिमा केलकर, प्राचार्य श्री हृदयेश्वर पाठक, व्याख्याता श्री लुनेश वर्मा, डॉ. संजय कुमार साहू, डॉ. व्यास नारायण आर्य और प्राचार्य दूधाधारी मठ के कृष्णवल्लभ शर्मा शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में सहायक संचालक श्रीमती पूर्णिमा पंाडेय ने आगंतुक अतिथियों एवं विद्वानों को कार्यक्रम में आने के लिए आभार व्यक्त किया।
Next Story