छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ को सुरक्षित कॉरिडोर मान रहे गांजा तस्कर

Admin2
22 July 2021 5:43 AM GMT
छत्तीसगढ़ को सुरक्षित कॉरिडोर मान रहे गांजा तस्कर
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रोज भारी तादात में पकड़ा रहा गांजा, कहीं जब्त माल रखने महासमुंद पुलिस को गोदाम न बनवाना पड़ जाए

गांजा की तस्करी पुलिस के लिए चुनौती

गांजा की अवैध तस्करी पर रोक लगाना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है। बड़ी मात्रा में परिवहन करने वालों को नियंत्रित करने के बाद अब पुलिस का पूरा फोकस फूटकर विक्रेताओं की दुकानदारी समाप्त करने की है। इसके लिए ऑपरेशन क्लीन चलाया जा रहा है। जिसके तहत जिले के सभी थाना क्षेत्रों में गांजा बेचने वालों को पकड़ा जा रहा है।

पुलिस ने अपनी कार्रवाई को इसी तरह जारी रखी तो गांजे के स्टाक के सुरक्षा के लिए एक अतिरिक्त बटालियन नियुक्त करनी पड़ेगी तथा महासमुंद के अलावा ओडिशा से सटे अन्य शहरी क्षेत्रों में अनिवार्य रुप से स्पेशल बेरिकेटिंग कर प्रत्येक वाहनों की जांच का जिम्मा अलग से विभागीय टीम बनाकर दिया जा सकता है। इसके अलावा गांजा तस्करी को रोकने ड्रग्स तस्करी स्क्वाड का गठन कर पूरे प्रदेश में प्रभारी नियुक्त करने पर ही गांजा तस्करी पर लगाम लगाया जा सकता है। प्रदेश के गृहमंत्री लगातार अपने अधिनस्थ अधिकारियों से चर्चा कर प्रदेश के गांजा तस्करी के कारनामों की जानकारी ले रहे हैं। प्रदेश में गृह विभाग आने वाले कुछ दिनों में गांजा तस्करी को रोकने के लिए कारगर कदम एवं स्पेशल टाक्स फोर्स के लिए बड़े स्तर पर नीति बनाने प्रस्ताव मंगा कर राज्य शासन को भेज सकता है। राज्यों को नशा मुक्त बनाने समय-समय पर चलाए जा रहे अभियान को ही गांजा तस्करी रोकने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता।

पिछले 1 हफ्ते में प्रदेश में 4 करोड़ 16 लाख 60 हज़ार का गांजा पकड़ाया

  1. 12 जुलाई को 72 किलो गांजे के जबलपुर पुलिस ने 1 आरोपी को गिरफ्तार किया
  2. 13 जुलाई को रायपुर पुलिस ने 28 किलो गांजे के साथ 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया
  3. 14 जुलाई को धमतरी पुलिस ने तीन लोगों को 4 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया
  4. 17 जुलाई को कवर्धा पुलिस ने 1 करोड़ के गांजे के साथ 1 आरोपी को गिरफ्तार किया
  5. 17 जुलाई को ही कोरबा पुलिस ने 10 लाख के गांजे के साथ 1 आरोपी को गिरफ्तार किया
  6. 19 जुलाई को जबलपुर पुलिस ने 300 किलो गांजे के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया
  7. 19 जुलाई को ही महासमुंद पुलिस ने 15 किलो गांजे के साथ 2 तस्करों को गिरफ्तार किया
  8. 20 जुलाई को महासमुंद पुलिस ने 1 करोड़ 60 लाख के गांजे के साथ 4 तस्करों को गिरफ्तार किया

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। प्रदेश भर में गांजे की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना उड़ीसा के रास्तों से होकर महासमुंद जिले को पार करके गांजे की बड़ी खेप देश के दूसरे राज्यों में जाता है, पुलिस लगातार गांजे की बड़ी खेप को पकड़ रही है लेकिन उसके बाद भी रोजाना गांजे की तस्करी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। गांजे की तस्करी को रोकने में पुलिस अमला कुछ हद तक नाकम भी हो रहा है, वही छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले के रास्तों से बहुत भारी मात्रा में गांजे की खेप रायपुर के रास्तों से होकर यूपी, बिहार जाती है। मगर जैसे-जैसे पुलिस ने चेकिंग पॉइंट बना दिए तब से गांजा तस्कर अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगे है। शहर भर में गांजा पीने वालों की होड़ भी लगी है। नशे का व्यापार पूरे शहर भर में बढ़ते जा रहा है नशे के सौदागरों ने राजधानी को अपना गुलाम बना लिया है और युवाओं को अपना दलाल। ये वो दलाल है जो चंद रुपयों के लिए नशे के दलदल अपने साथ दूसरों को भी धकेल लेते है। आखिरकार नशा क्या शहर में युवाओं की जड़ो को काट रहा है ?

1 करोड़ 40 लाख का गांजा जब्त

महासमुंद जिला पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है, चेकिंग के दौरान दो गांजा तस्करों से करीब एक करोड़ 40 लाख का गांजा बरामद किया है। पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। दोनों आरोपी भोजपुर बिहार का बताया जा रहा है, पुलिस ने दोनों आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है। महासमुंद पुलिस ने बताया कि तस्कर गांजे को नारियल के बुच में छिपाकर ले जा रहे थे। पुलिस ने बागबाहरा के पिथौरा चौक में वाहन जांच किया गया। तस्कर महिन्द्रा पिकअप में भगवतपुर बिहार निवासी छोटेलाल यादव (28), कुसुम्ही बिहार निवासी रविन्द्र तिवारी (52) सवार होकर ओडिशा से 700 किलो गांजा बिहार लेकर जा रहे थे। पुलिस ने दोनों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

फलों और सब्जियों की आड़ में गांजा तस्करी

उड़ीसा से महासमुंद के रास्तों से होकर फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में भी गांजा लाया जाता है। महासमुंद जिले की पुलिस रोज करोड़ों गांजे की खेप पकड़ रही है, मगर उसके बाद भी गांजे की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पूरे प्रदेश में नशे की तस्करी भारी मात्रा में चले जा रहा है। रायपुर के हर इलाके में गांजा तस्कर घूमते-फिरते रहते है जिसके चलते युवाओं के हाथ में भी गांजे की पुडिय़ा आसानी से मिल जाती है। गांजा तस्करी के लिए अब युवाओं ने मोटरसाइकल को ही अपना हथियार बना लिया है। युवा बाइक में ही पुलिस से बचने के लिए तस्करी करते है।

रोजाना करोड़ों रुपए का गांजा सप्लाई

रायपुर से रोजाना करोडो गांजा का गांजा सप्लाई किया जाता है, रायपुर होकर उड़ीसा का गांजा हर राज्य में जाता है। लगातार कटहल, कलिंदर, नमक, नारियल और अब गोभी की आड़ में गांजा तस्कर बड़ी मात्रा में गांजे की खेप को एक राज्य से दूसरे राज्य तक पहुंचा रहे है। फलों और सब्जियों की गाडिय़ों में मादक पदार्थ की तस्करी करने का नया और नायाब तरीका गांजा तस्करों ने ढूंढ निकाला है। राजधानी में नशे का कारोबार तेज़ी से बढ़ते जा रहा है। शहर में शराब-गांजे का अवैध कारोबार सालों से फल-फूल रहा है। नशे के काले कारोबार की सच्चाई रोंगटे खड़े कर देती है। यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। नशे का कारोबार करने वाले अपराधियों की रोजाना गिरफ्तारी हो रही है लेकिन उसके बाद भी ये कारोबार बंद नहीं हो रहा है।

जनता से रिश्ता की खबरें हुई सच

जनता से रिश्ता ने समाचार पत्र के माध्यम से कई महीनों से आगाह करते आ रहा है कि उड़ीसा से महासमुंद और महासमुंद के रास्ते से रायपुर वो भी सब्जी, फल, नमक की आड़ में तस्कर तस्करी करते जा रहे है। मोटरसाइकल के जरिए युवा 5 से 6 किलो गांजा लेकर परिवहन करते है। पुलिस से बचने के और पुलिस द्वारा चौक-चौराहों पर लगाए गए चेकिंग से बचने के दुपहिया से गलियों में भी भाग जाते है। रायपुर में गांजा की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है। सभी थाना क्षेत्रों में लगातार गांजे का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।

जिले में डीलर हो रहे तैयार

रायपुर जिले में गांजा की सप्लाई ओडिशा से होती है। हालांकि जिले में भी कई डीलर तैयार हो गए हैं। ये थोक व्यवसायी ओडिशा से गांजा लाते हैं और जिले में खपाते हैं। गांजा न केवल शहरों बल्कि गांवों में भी आसानी से मिल जाता है। शहरों और गांवों में संचालित किराना दुकानों व पान दुकानों में गांजा की पुडिय़ा आसानी से पांच रुपए में उपलब्ध हो जाती है। दाम कम होने के कारण इसे कोई भी खरीद लेता है। नशे के काले कारोबार की सच्चाई रोंगटे खड़े कर देती है। यह समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। नशे को लेकर रायपुर निशाने पर तो था ही अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।

प्रेस के नाम का हो रहा दुरुपयोग

वाहनों में प्रेस लिखवाना अब फैशन बन गया है। ऐसे लोग जिनका दूर-दूर तक मीडिया से किसी प्रकार नाता नहीं होता वे लोग भी अपने छोटे-बड़े सभी वाहनों में प्रेस लिखाकर रौब दिखाते रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सामान आपूर्ति करने वाले व्यापारी तक अपने चार पहिया वाहनों में प्रेस लिखाकर सामान बेचते रहते हैं। गांजा तस्करी करने वाले लोग भी अब अपनी बाइक में प्रेस लिखाकर गांजा की तस्करी करते है। आमतौर पर ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई से बचने और पार्किंग पर लगने वाले शुल्क से बचने के लिए भी लोग प्रेस का स्टीकर लगाते हैं।

तस्कर गुर्गो को करते सेट

रायपुर में गांजा तस्करों को पकडऩे के बाद पुलिस कार्रवाई तो करती है मगर आरोपी से यह जानने की शायद कोशिश नहीं की जाती कि आखिर उसे गांजा की सप्लाई कौन करता है। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि गांजा पकडऩे के बाद प्रकरण की विवेचना और कागजी कार्रवाई इतनी कठिन है कि विवेचक उसी में उलझ कर रह जाता है।

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